शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

नईदुनिया में प्रकाशित लेखक लोकेन्द्र सिंह से बातचीत

बातचीत : माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक लोकेन्द्र सिंह राजपूत ने साहित्य लेखन से जुड़े कई अनुभव साझा किए

नईदुनिया (नवदुनिया, भोपाल) के 'शब्द संसार' कॉलम में लेखक लोकेन्द्र सिंह की साहित्यिक यात्रा पर विशेष बातचीत 28 दिसंबर, 2023 को प्रकाशित हुई

"मुझे स्कूल के दिनों से ही समाचारपत्रों में प्रकाशित कहानियां, बोधकथा, व्यंग्य, यात्रा वृत्तांत के साथ-साथ साहित्यिक पुस्तकें आकर्षित करती रहीं। गर्मी की छुट्टियों में समाचारपत्रों के रविवारीय एवं बुधवारीय परिशिष्ट निकालकर पढ़ने से अध्ययन की शुरुआत हुई। ऐसे ही एक दिन समाचारपत्र पलटते हुए उन्हें अपनी मौसी सरला यादव की लिखी कहानी दिखी, तब उनके भीतर के साहित्यकार ने उमंग ली। मन बनाया कि मैं भी लिखूंगा। उसके बाद अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से आयोजित होनेवाले साहित्यक गोष्ठियों में साहित्यकारों की संगत मिली तो दिशा और स्पष्ट होती गई"। यह कहना है लोकेन्द्र सिंह राजपूत का। उन्होंने साहित्यिक यात्रा का अनुभव नवदुनिया/नईदुनिया से साझा किया।

गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

विपक्षी गठबंधन में हिन्दू विरोध की प्रतिस्पर्धा


ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के बीच हिन्दू धर्म और भारतीयता के विचार पर हमला करने की कोई प्रतिस्पर्धा चल रही है। डीएमके के नेताओं के हिन्दू एवं उत्तर भारत विरोधी बयानों के बाद एक बार फिर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिन्दू धर्म को लेकर घोर आपत्तिजनक बयान दिया है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह भी है कि राजनीतिक स्वार्थों के चलते विपक्षी गठबंधन के लगभग सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं की ओर से हिन्दू विरोधी बयानों की निंदा नहीं की जा रही है। सब चुप्पी साधकर बैठे हैं। केवल भारतीय जनता पार्टी के नेता ही आगे आकर हिन्दू और भारत विरोधी बयानों की निंदा कर रहे हैं। ऐसे में जनता यह क्यों नहीं माने कि हिन्दू धर्म का पक्ष लेने की बात हो तब भाजपा ही सबसे आगे दिखायी देती है। अन्य धर्मों का सम्मान रखने के साथ ही भाजपा प्राथमिकता के आधार पर हिन्दू हित की बात करती है।

शनिवार, 16 दिसंबर 2023

विवाद समाप्त होने से ही आएगा सांप्रदायिक सौहार्द


काशी के बाद अब मथुरा में भी श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर स्थित शाही ईदगाह का सर्वेक्षण किया जाएगा। इसकी अनुमति इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने की दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी शाही ईदगाह के सर्वे के निर्णय पर अपनी सहमति दी है। उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के रुख से संकेत मिलता है कि भारत की न्यायपालिका अब संवेदनशील मामलों को अटकाने के पक्ष में नहीं है। इतिहास में जो भूल हुई हैं, उन्हें सुधारने के लिए न्यायपालिका भी आज के समय को अनुकूल समझ रही है। नि:संदेह, देश में राष्ट्रीय विचार की सरकार है, जो किसी भी प्रकार के तुष्टीकरण का समर्थन न करके राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर वैज्ञानिक एवं संवैधानिक दृष्टिकोण रखती है। याद रखें कि धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद की यह स्थिति किसी भी प्रकार से देश और समाज के हित में नहीं है। विवाद की स्थिति बनी रहने से हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच आपसी तनाव भी बना रहता है।

बुधवार, 13 दिसंबर 2023

जम्मू-कश्मीर में संविधान की जीत

संपूर्ण देश को बेसब्री से प्रतीक्षा थी कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित अलगाववादी अनुच्छेद-370 पर सर्वोच्च न्यायालय क्या निर्णय सुनाता है। वैसे तो सब आश्वस्त थे कि न्यायालय में न्याय, सत्य और संविधान की विजय सुनिश्चित है। इसके बावजूद एक आशंका तो थी ही कि कहीं न्यायालय से प्रतिकूल निर्णय न आ जाए। यदि सर्वोच्च न्यायालय यह मान लेता कि अनुच्छेद-370 को हटाया नहीं जा सकता इसलिए उसे बहाल किया जाए, तब केंद्र सरकार के सामने बड़ी दुविधा खड़ी हो जाती। यह तो विश्वास है कि मोदी सरकार कोई न कोई मार्ग निकालती और इस अलगाववादी अनुच्छेद को पुन: स्थायी रूप से हटा देती। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का अपनी स्थापना के समय से ही यह संकल्प है कि देश की एकता-अखंडता को प्रभावित करनेवाले इस अनुच्छेद को समाप्त करना आवश्यक है। इसके लिए भाजपा के नेताओं ने अपना बलिदान भी दिया है। भाजपा के वैचारिक प्रेरणास्रोत श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान भी जम्मू-कश्मीर में ‘एक निशान, एक विधान और एक प्रधान’ की माँग करते हुआ।

मंगलवार, 12 दिसंबर 2023

मुख्यमंत्रियों के चयन में दिखी भाजपा की विशेषता

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत के बाद से खूब कयास लगाए जा रहे थे कि इन राज्यों में मुख्यमंत्री कौन बनेंगे? बहुत हद तक सब एक राय थे कि इन राज्यों में भाजपा नये लोगों को अवसर देगी। राज्यों में दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे लाने का अवसर आ गया है। लेकिन, किन नेताओं को कमान मिल सकती है इसका अंदाज बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी नहीं लगा सके। छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय, मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव और राजस्थान में भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने विपक्षी राजनीतिक दलों के सामने एक बड़ी लकीर खींच दी है। भाजपा ने बता दिया है कि वह प्रयोग करने में हिचकती नहीं है। पार्टी के साधारण नेता को सामने लेकर आना और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपना, यह भाजपा ही कर सकती है। इसमें किसी को संदेह नहीं कि विष्णु देव साय, डॉ. मोहन यादव एवं भजनलाल शर्मा ने भी नहीं सोचा होगा कि वे मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

भाजपा ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों को आईना दिखाया है कि ‘परिवारवाद’ से बाहर निकलकर कैसे नये नेतृत्व गढ़े जाते हैं। उल्लेखनीय है कि एक दिन पूर्व ही बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने पार्टी का उत्तराधिकार अपने ही भतीजे आकाश आनंद को सौंपा है। अन्य राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की स्थिति भी कमोबेश इसी प्रकार की है।

शनिवार, 25 नवंबर 2023

भारत के संविधान में राम-कृष्ण-बुद्ध और महावीर के चित्र

इस वीडियो ब्लॉग में आप संविधान पर अंकित राम-कृष्ण, बुद्ध और महावीर सहित भारतीय संस्कृति के विभिन्न चित्रों को देख सकते हैं

हमारा संविधान भारतीय मूल्यों की अभिव्यक्ति है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कि हमारे संविधान में 'भारत की आत्मा' परिलक्षित होती है। संविधान के प्रावधान एवं तत्व भारतीय संस्कृति से जुड़ते हैं। भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के मूल्य एवं दर्शन हमें अपने संविधान में दिखायी पड़ते हैं। भारत के संविधान की एक खूबसूरती यह भी है कि मूल प्रति पर आपको राम-कृष्ण-बुद्ध आदि से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों के सुंदर चित्र देखने को मिलते हैं। यह चित्र संविधान के प्रत्येक अध्याय के प्रारंभ में बनाये गए हैं, जैसे मौलिक अधिकारों के अध्याय से पूर्व भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण का चित्र है।

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

अपनी नियति की ओर बढ़ता भारत

अर्चना प्रकाशन, भोपाल की स्मारिका-2023 में प्रकाशित संपादकीय


हम अवश्य ही 1947 में ब्रिटिश उपनिवेश के चंगुल से स्वतंत्र हो गए परंतु औपनिवेशिकता से मुक्ति की ओर हमने अब जाकर अपने कदम बढ़ाए हैं। हम कह सकते हैं कि भारत नये सिरे से अपनी ‘डेस्टिनी’ (नियति) लिख रहा है। यह बात ब्रिटेन के ही सबसे प्रभावशाली समाचार पत्र ‘द गार्जियन’ ने 18 मई, 2014 को अपनी संपादकीय में तब लिखा था, जब राष्ट्रीय विचार को भारत की जनता ने प्रचंड बहुमत के साथ विजयश्री सौंपी थी। गार्जियन ने लिखा था कि अब सही मायने में अंग्रेजों ने भारत छोड़ा है (ब्रिटेन फाइनली लेफ्ट इंडिया)। आम चुनाव के नतीजे आने से पूर्व नरेन्द्र मोदी का विरोध करने वाला ब्रिटिश समाचार पत्र चुनाव परिणाम के बाद लिखता है कि भारत अंग्रेजियत से मुक्त हो गया है। अर्थात् एक युग के बाद भारत में सुराज आया है। भारत अब भारतीय विचार से शासित होगा। गार्जियन का यह आकलन सच साबित हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अब तक के कार्यकाल में हम देखते हैं कि भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना की जा रही है। अर्थात् लंबे समय बाद देश में यह अवसर आया है जब सभी क्षेत्रों में भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का अभ्युदय दिख रहा है। प्रत्येक क्षेत्र में सांस्कृतिक पुनर्जागरण दिखायी दे रहा है। वर्तमान में जिस विचार के हाथ में शासन के सूत्र हैं, वह भारतीयता से ओत-प्रोत है। उसके मस्तिष्क में कोई द्वंद्व नहीं, उसे अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व है। उसका विश्वास है कि जिस संस्कृति के लोग नित्य प्रार्थना में कहते हों- ‘प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो’, समाज जीवन के विविध क्षेत्र उसी संस्कृति के मूल्यों से समृद्ध होने चाहिए। भारत का स्वदेशी समाज आज धर्म, संस्कृति, सभ्यता, भाषा के विरुद्ध स्थापित पूर्वाग्रह से मुक्त हो रहा है।

बुधवार, 1 नवंबर 2023

दिल की बात कहने में सफल रही ‘सुन रही हो न तुम…’

सुदर्शन व्यास ने लेखक एवं समीक्षक लोकेन्द्र सिंह को भेंट की अपना नया काव्य संग्रह 'सुन रही हो न तुम...'

कविता के संबंध में कहा जाता है कि यह कवि के हृदय से सहज ही बहकर निकलती है और जहाँ इसे पहुँचना चाहिए, वहाँ का रास्ता भी खुद ही बना लेती है। हृदय से हृदय का संवाद है- कविता। युवा कवि सुदर्शन व्यास के हृदय से भी कुछ कविताएं ऐसे ही अनायास बहकर निकली हैं, जिनका संग्रह ‘सुन रही हो न तुम…’ के रूप में हमारे सम्मुख है। इस संग्रह की किसी भी कविता को आप उठा लीजिए, आपको अनुभूति हो जाएगी कि कवि के शब्दों में जो नमी है, कोमल अहसास है, जो आग्रह है, विश्वास है; वह सब अनायास है। उनकी भावनाओं में कुछ भी बनावटी नहीं है। एक भी पंक्ति प्रयत्नपूर्वक नहीं लिखी है। सभी शब्द, वाक्य, उपमाएं, संज्ञाएं कच्चे-पक्के युवा प्रेम की तरह अल्हड़ और बेफिक्र हैं।

गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

विघटनकार शक्तियों को विफल करने का मंत्र है- भारत माता की भक्ति

 भारत दे सकता है विश्व को सुख-शांतिमय नवजीवन


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की परंपरा में विजयादशमी के उत्सव पर सरसंघचालक के उद्बोधन का विशेष महत्व है। विजयादशमी हिन्दुओं का बड़ा सामाजिक उत्सव होने के साथ ही संघ की स्थापना का उत्सव भी है। इस उत्सव में सरसंघचालक जी का जो उद्बोधन होता है, उसमें स्वयंसेवकों के लिए पाथेय रहता है। इसके साथ ही उनके भाषण में समसामयिक मुद्दों को लेकर समाज की सज्जन शक्ति के लिए भी संदेश रहता है। चूँकि आज संघ पर सबकी निगाहें रहती हैं और विभिन्न विषयों को लेकर संघ के दृष्टिकोण को जानने की भी अपेक्षा रहती है, इसलिए भी विजयादशमी पर होनेवाले सरसंघचालक के उद्बोधन को लेकर सबको विशेष उत्सुकता रहती है। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने अपने उद्बोधन में सब प्रकार की बातों को ध्यान रखा। उन सब मुद्दों पर संघ का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जिन पर देशभर में चर्चाएं चल रही हैं। विजय का पर्व है, इसलिए देशवासियों के मन में उत्साह का संचार हो इसलिए उन्होंने अपने उद्बोधन की शुरुआत भारत की उपलब्धियों के साथ ही की। वीरांगना रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती, छत्रपति शिवाजी महाराज के हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना के 350वें वर्ष, छत्रपति शाहू जी महाराज की 150वीं जयंती और संत श्रीमद् रामलिंग वल्ललार की 200वीं जयंती का उल्लेख करके उन्होंने यही संदेश दिया है कि अमृतकाल में जब हम भारत के ‘स्व’ के जागरण का उपक्रम कर रहे हैं, तब हमें ऐसी महान विभूतियों के जीवन से अवश्य ही प्रेरणा लेनी चाहिए। एक सामर्थ्यशाली राष्ट्र के निर्माण के लिए व्यवहार से लेकर व्यवसाय में और व्यक्ति से लेकर राष्ट्र की नीति में, ‘स्व’ दिखना चाहिए।

बुधवार, 25 अक्तूबर 2023

प्रधानमंत्री मोदी ने दिलाए भारत के नवनिर्माण के 10 संकल्प

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विजयादशमी के उत्सव को सामाजिक सरोकारों के साथ जोड़ते हुए देशवासियों को 10 संकल्प दिलाए हैं। इन संकल्पों के पालन में व्यक्तिगत लाभ भी हैं और राष्ट्र निर्माण में एक नागरिक के नाते योगदान भी है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि हम सब अपने जीवन में योग, खेल और स्वास्थ्य से जुड़ी गतिविधियों को प्राथमिकता दें, मोटे अनाज को अपनाएं और अपने आसपास स्वच्छता को बढ़ावा दें। ये संकल्प ऐसे हैं, जिसके अनुपालन में नागरिकों को अतिरिक्त प्रयास नहीं करने हैं परंतु यदि इन संकल्पों को जीवन में उतार लिया जाए तो उसके सुखद परिणाम प्राप्त होंगे। एक बात कहनी होगी कि प्रधानमंत्री मोदी ने राजनीति को सामाजिक सरोकारों की ओर मोड़ दिया है। शुद्ध राजनीतिक चर्चाओं से इतर वे अकसर पर्यावरण, गरीबी कल्याण, जल संरक्षण, भाषा संवर्धन, स्वदेशी, स्वरोजगार और नागरिक स्वास्थ्य जैसे शुद्ध सामाजिक विषयों पर प्रबोधन करते नजर आते हैं।

शनिवार, 21 अक्तूबर 2023

अटारी बॉर्डर : झंडा ऊंचा रहे हमारा

Bharat's Tallest National Flag Tiranga Unfurled at Attari-Wagah Border 

भारत-पाकिस्तान सीमा ‘अटारी बॉर्डर’ (पूर्व में वाघा बॉर्डर) पर अब पाकिस्तान के झंडे से भी ऊंचा भारत का तिरंगा लहरा रहा है। विशेष सर्विलांस तकनीक से सुसज्जित यह ध्वज सरहद पर निगरानी में हमारे जवानों की सहायता करेगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 19 अक्टूबर को अटारी बॉर्डर पर ‘स्वर्ण जयंती द्वार’ के सामने देश का सबसे ऊंचा तिरंगा फहराया। पहले भी यहाँ 360 फीट ऊंचे ध्वज स्तम्भ पर विशाल तिरंगा फहराता था, जिसे वर्ष 2017 में स्थापित किया गया था। प्रत्येक युद्ध में पराजय का सामना करनेवाले पाकिस्तान ने भारत को नीचा दिखाने के लिए 400 फीट ऊंचे पोल पर अपना झंडा फहरा दिया। ऐसा करके पाकिस्तान ने सोचा होगा कि अब भारत का झंडा सदैव पाकिस्तान के झंडे से नीचे रहेगा। परंतु पाकिस्तान भूल गया कि यह नया भारत है। पाकिस्तान को इस मनोवैज्ञानिक युद्ध में भी विजय नहीं मिलनी थी। भारत का ध्वज, पाकिस्तान के झंडे से नीचे लहराए, यह किसे बर्दाश्त होता। अंतत: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की पहल पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने 3.5 करोड़ रुपए में अटारी बॉर्डर पर 418 फीट के नये ध्वज स्तंभ को स्थापित किया है। जिस पर फहरा रहा हमारा प्यारा तिरंगा अब बहुत दूर से ही, सबसे ऊपर, नीले गगन में शान से लहराता हुआ दिखायी देता है। उल्लेखनीय है कि अटारी पर फहरा रहा तिरंगा, अब देश में सबसे ऊंचा तिरंगा हो गया है। इससे पहले कर्नाटक के बेलगाम में देश का सबसे ऊंचा झंडा 360.8 फीट पर फहरा रहा था।

शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2023

गो-वर : पर्यावरण एवं मानवता के लिए गाय का वरदान

गाय के महत्व को रेखांकित करती फिल्म


‘बाचा: द राइजिंग विलेज’ को मिली सराहना के बाद हमारे समूह का उत्साह बढ़ा। अब हम नये वृत्तचित्र के लिए नयी कहानी खोज रहे थे। एक कार्यक्रम के निमित्त भोपाल स्थित शारदा विहार आवासीय विद्यालय जाना हुआ। वहां कई कहानियां थीं, जिन्हें हम सुना सकते थे। भौतिकी की खुली प्रयोगशाला में नवाचार दिखा, ध्यान के लिए बनाया गया एक विशेष मंडप में भारतीय ज्ञान–परंपरा की झलक थी, शिक्षा की भारतीय पद्धति का महत्व भी ध्यान में आ रहा था। परंतु हमने चुनी गोशाला।

तथाकथित प्रगतिशील गाय–गोबर का जितना चाहे उपहास उड़ाएं, लेकिन शारदा विहार, भोपाल स्थित ‘कामधेनु गोशाला एवं गोविज्ञान अनुसंधान केंद्र’ अपने प्रयोगों से गाय की महत्ता सिद्ध कर रहा है। परंपरागत और आधुनिक विज्ञान के सहयोग से इस प्रकल्प ने सिद्ध किया है कि भारत में गाय न केवल आर्थिक विकास की धुरी है अपितु पर्यावरण को संभालने में भी उपयोगी है। उल्लेखनीय है कि हमारी बदली हुई जीवनशैली के कारण पर्यावरण संरक्षण दुनिया का ज्वलंत मुद्दा बन गया है। तेजी से कटते जंगल, प्रदूषित होती हवा, जल संकट और ऊर्जा-ईंधन चिंता के कारण बन गए हैं। जब हम इन सब समस्याओं का समाधान तलाशते हैं, तो भारतीय जीवन शैली में ही एक उम्मीद की किरण नजर आती है और इस दिशा में हमारा विश्वास पक्का किया है- ‘कामधेनु गोशाला एवं गोविज्ञान अनुसंधान केंद्र’ ने।

सोमवार, 16 अक्तूबर 2023

ओलंपिक की मेजबानी करने उत्साहित है भारत

मोदी सरकार के कार्यकाल में अन्य क्षेत्रों की भाँति खेल के क्षेत्र में भी भारत ने उत्साहवर्धक प्रगति की है। देश में खेलों को लेकर एक सकारात्मक वातावरण बन गया है। जिसका परिणाम हैं कि भारत के खिलाड़ी राष्ट्रीय एवं अतंरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। खेलों में भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियों से उत्साहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते शनिवार को ओलंपिक समिति के एक सत्र को संबोधित करते हुए वह बात कह दी, जिसको सुनने की प्रतीक्षा भारत के नागरिक लंबे समय से कर रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि 2036 में ओलंपिक खेलों की मेजबानी भारत करना चाहेगा। ओलंपिक की मेजबानी प्राप्त करने के लिए भारत कोई कसर नहीं छोड़ेगा। यदि भारत ओलंपिक खेलों की मेजबानी प्राप्त करने में सफल होता है, तब यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।

शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2023

हमास के आतंकवाद के विरुद्ध इजरायल के साथ खड़ा है भारत

इजरायल पर हुए आतंकी हमले ने सबको दहला कर रख दिया है। जिस तरह की नृशंसता और वहशीपन के वीडियो सामने आए हैं, उनको देखकर कोई भी भला व्यक्ति हमास के साथ खड़ा नहीं हो सकता। परंतु जो लोग इस सबके बाद भी हमास के साथ खड़े हैं, उनकी मानसिकता को समझना कठिन नहीं है। ये लोग मानवता के विरोधी हैं। इनकी संवेदनाएं झूठी और बनावटी हैं। ये संवेदनाओं का उपयोग विरोधी विचार पर हमला करने के लिए करते हैं। एक तरह से इन्हें बौद्धिक आतंकवादी कहा जा सकता है। इससे यह भी ध्यान आता है कि ऐसी ही बर्बरता यहूदियों के साथ इतिहास के उस कालखंड में की गई होगी, जब उन्हें इजरायल से बेदखल किया गया। हमास के आतंकी जिस बर्बरता से इजरायल की महिलाओं एवं महिला सैनिकों के साथ पेश आ रहे हैं, उसकी एक सुर में भर्त्सना ही की जा सकती है।

रविवार, 8 अक्तूबर 2023

ग्वालियर में ‘अल्मोड़ा’

अपने आस-पास पर्यटन


उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल अल्मोड़ा के बारे में आप सबने सुना होगा। अल्मोड़ा अपने सुरम्य वातावरण के साथ ही साहसिक गतिविधियों के लिए पर्यटकों को आमंत्रित करता है। अल्मोड़ा अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और वन्य जीवन के लिए प्रसिद्ध है। यह तो हुई हिमालय की गोद में बसे विश्व प्रसिद्ध अल्मोड़ा की बात। यदि मैं आपसे कहूँ कि ग्वालियर में भी एक अल्मोड़ा है, तो आप हैरान रह जाएंगे। जी हाँ, ग्वालियर में भी सुरम्य वातावरण और ऊंची-नीची पहाड़ियों की गोद में ‘अल्मोड़ा’ मुस्कुरा रहा है। आमखो से सटी विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) की पहाड़ियों पर पर्यावरण प्रेमियों ने निरंतर पौधारोपण करके सूखी पहाड़ियों का नाना प्रकार के वृक्षों से शृंगार कर दिया है। यहाँ कुछ हिस्सों में तो सघन वन विकसित हो गए हैं। ऐसे ही एक हिस्से को पर्यावरण प्रेमी डॉ. नरेश त्यागी ने विकसित किया और उसे नाम दिया है- अल्मोड़ा। यदि आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं और प्रकृति की गोद में आनंद आता है, तब यह स्थान अवश्य ही आपके हृदय को प्रसन्नता से भर देगा।

बुधवार, 4 अक्तूबर 2023

‘एकात्मता की प्रतिमा’ से दुनिया में जाएगा अद्वैत एवं हिन्दुत्व का संदेश

ओंकारेश्वर में शङ्करावतरणम्


मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में सुखदायिनी नर्मदा नदी के किनारे मांधाता पर्वत पर जिस समय संत-महात्मा एवं अन्य महानुभाव वैदिक यज्ञ के बाद आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का पूजन करने आगे बढ़ रहे थे, ठीक उसी समय मेघदूतों ने आकर कुछ क्षण के लिए वर्षा की। दृश्य ऐसा था कि मानो स्वयं देवता भी आचार्य शंकर का अभिषेक करने से स्वयं को रोक नहीं पाए....

‘शङ्करावतरणम्’ समारोह के अंतर्गत स्वामी अवधेशानंद जी गिरी महाराज, परमात्मानंद जी, स्वामी स्वरूपानंद जी और स्वामी तीर्थानंद जी महाराज सहित 13 प्रमुख अखाड़ों के प्रतिनिधियों और देशभर से आए हजारों साधु-संतों की उपस्थिति में भाद्रपद, शुक्ल पक्ष षष्टी (21 सितंबर) को संस्कृतिमयी वातावरण में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची दिव्य एवं मोहक प्रतिमा का अनावरण किया। समारोह के दौरान ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो मांधाता पर्वत पर स्वर्ग उतर आया है और आचार्य शंकर का एक बार फिर से अवतरण हो रहा है। केरल, आसाम, ओडीसा, राजस्थान, मध्यप्रदेश इत्यादि राज्यों के कलाकारों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से समारोह को अलौकिक स्वरूप प्रदान किया। वेद मंत्रों के उच्चारण ने वातावरण में वैदिक ऊर्जा का संचार किया, जिसे सहज अनुभव किया जा रहा था। सभी संतों एवं महानुभावों ने समवेत स्वर में कहा कि आदि शंकराचार्य की यह प्रतिमा देश-दुनिया में हिन्दू संस्कृति, अद्वैत के सिद्धांत, एकता और शांति के संदेश को पहुँचाएगी।

शुक्रवार, 29 सितंबर 2023

देश का सबसे ‘स्मार्ट राज्य’ है मध्यप्रदेश

किसी समय में मध्यप्रदेश की छवि एक बीमारू और पिछड़े राज्य की थी। पिछले 15-20 वर्षों में मध्यप्रदेश अपनी उस छवि से बाहर निकलकर विकसित एवं समृद्ध प्रदेश के रूप में स्थापित हो गया है। यह कहने में कोई संकोच नहीं कि प्रदेश की प्रगति में और उसका वातावरण बदलने में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उनकी सरकार की नीतियों की भूमिका प्रमुख है। प्रदेश के हिस्से आ रहे विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय पुरस्कार इस बात के साक्षी हैं कि अब मध्यप्रदेश पिछड़ा और बीमारू राज्य नहीं, अपितु विकास पथ पर नये कीर्तिमान रचनेवाला प्रदेश है। स्वच्छ भारत अभियान की रैंकिंग में उत्साह बढ़ानेवाली सफलताएं प्राप्त करने के बाद अब प्रदेश ने स्मार्ट सिटी से संबंधित विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार प्राप्त करके अपनी प्रतिष्ठा को और बढ़ाया है। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में आयोजित स्मार्ट सिटी कान्क्लेव में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने जब स्मार्ट सिटी से संबंधित दो श्रेणियों के पुरस्कारों की घोषणा की तो मध्यप्रदेश ने बाजी मार ली। इंदौर को देश की सबसे स्मार्ट सिटी होने का पुरस्कार मिला, वहीं मध्यप्रदेश को देश का सबसे स्मार्ट राज्य होने का सम्मान मिला है। यानी दो मुख्य श्रेणियों में शीर्ष पर मध्यप्रदेश चमक रहा है। इसके साथ ही अपनी विरासत को सहेजने के मामले में भोपाल को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है।

शनिवार, 23 सितंबर 2023

आरएसएस के विचार से परिचित कराती ‘संघ दर्शन : अपने मन की अनुभूति’


- डॉ. मयंक चतुर्वेदी

लेखक लोकेन्‍द्र सिंह की पुस्‍तक ‘संघ दर्शन : अपने मन की अनुभूति’ को आप राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ को समझने का एक आवश्‍यक और सरल दस्तावेज़ समझ सकते हैं। वैसे तो संघ के कार्य और उसे समझने के लिए आपको अनेक पुस्‍तकें बाजार में मिल जाएंगी किंतु लोकेन्‍द्र सिंह के लेखन की जो विशेषता विषय के सरलीकरण की है, वह हर उस पाठक के मन को संतुष्टि प्रदान करने का कार्य करती है, जिसे किसी भी विषय को सरल और सीधे-सीधे समझने की आदत है। लोकेन्‍द्र सिंह की पुस्‍तक पढ़ते समय आपको हिन्‍दी साहित्य के बड़े विद्वान आचार्य रामचंद्र शुक्ल की लिखी यह बात अवश्‍य याद आएगी- “लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है। यही उसकी अर्थ सम्बन्धी व्यक्तिगत विशेषता है। अर्थ-संबंध-सूत्रों की टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ ही भिन्न-भिन्न लेखकों के दृष्टि-पथ को निर्दिष्ट करती हैं। एक ही बात को लेकर किसी का मन किसी सम्बन्ध-सूत्र पर दौड़ता है, किसी का किसी पर। इसी का नाम है एक ही बात को भिन्न दृष्टियों से देखना। व्यक्तिगत विशेषता का मूल आधार यही है”। इसी तरह से  ‘हिन्दी साहित्य कोश’ कहता है कि “लेखक बिना किसी संकोच के अपने पाठकों को अपने जीवन-अनुभव सुनाता है और उन्हें आत्मीयता के साथ उनमें भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। उसकी यह घनिष्ठता जितनी सच्ची और सघन होगी, उसका लेखन पाठकों पर उतना ही सीधा और तीव्र असर करेगा”। वस्‍तुत: इन दो अर्थों की कसौटी पर बात यहां लोकेन्‍द्र सिंह के लेखन को लेकर की जाए तो उनकी यह पुस्‍तक पूरी तरह से अपने साथ न्‍याय करती हुई देखाई देती है। संघ पर लिखी अब तक की अनेक किताबों के बीच यह पुस्‍तक आपको अनेक भाव-विचारों के बीच गोते लगाते हुए इस तरह से संघ समझा देती है कि आप पूरी पुस्‍तक पढ़ जाते हैं और लगता है कि अभी तो बहुत थोड़ा ही हमने पढ़ा है। काश, लोकेन्‍द्र सिंह ने आगे भी इसका विस्‍तार किया होता!

रविवार, 17 सितंबर 2023

तमाशबीन नहीं, हमें है जागृत समाज की आवश्यकता


देश के विभिन्न हिस्सों से सामने आनेवाली कुछ घटनाओं को लेकर सामाजिक एवं राजनीतिक नेतृत्व को चिंतित होना चाहिए। ये घटनाएं सामान्य नहीं हैं, इनमें गंभीर आशंकाएं छिपी हैं। इन स्थितियों को बदले बिना हम अपने देश को आगे नहीं ले जा सकेंगे। दिल्ली में साहिल नाम का लड़का नृशंसता से 16 वर्ष की नाबालिग लड़की की हत्या कर देता है। इस घटना ने देश का झकझोर दिया था। इस घटना का विश्लेषण करते समय केवल हत्या करने के वहसी तौर-तरीके तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि इस घटना का सबसे डरावना पक्ष यह है कि साहिल जब किशोरी पर चाकुओं से वार कर रहा था, उसके सिर को पत्थर से कुचल रहा था तब इस सबसे वहाँ खड़े लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। लोग बहुत ही सहजता से यह सब होते हुए न केवल देख रहे थे, बल्कि वहाँ से ऐसे गुजर रहे थे कि जैसे सबकुछ सामान्य है। इसे समाज की संवेदनहीनता कहें या कायरता।

गुरुवार, 14 सितंबर 2023

हिन्दी की दुनिया में सबका स्वागत


विश्व में करीब तीन हजार भाषाएं हैं। इनमें से हिन्दी ऐसी भाषा है, जिसे मातृभाषा के रूप में बोलने वाले दुनिया में दूसरे स्थान पर हैं। मातृभाषा की दृष्टि से पहले स्थान पर चीनी है। बहुभाषी भारत के हिन्दी भाषी राज्यों की जनसंख्या 46 करोड़ से अधिक है। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की 1.2 अरब जनसंख्या में से 41.03 प्रतिशत की मातृभाषा हिन्दी है। हिन्दी को दूसरी भाषा के तौर पर उपयोग करने वाले अन्य भारतीयों को मिला लिया जाए तो देश के लगभग 75 प्रतिशत लोग हिन्दी बोल सकते हैं। भारत के इन 75 प्रतिशत हिन्दी भाषियों सहित पूरी दुनिया में लगभग 80 करोड़ लोग ऐसे हैं जो इसे बोल या समझ सकते हैं। भारत के अलावा हिन्दी को नेपाल, मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, यूगांडा, दक्षिण अफ्रीका, कैरिबियन देशों, ट्रिनिदाद एवं टोबेगो और कनाडा आदि में बोलने वालों की अच्छी खासी संख्या है। इसके अलावा इंग्लैंड, अमेरिका, मध्य एशिया में भी इसे बोलने और समझने वाले लोग बड़ी संख्या में हैं।

सोमवार, 28 अगस्त 2023

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आग्रह स्वीकार करें युवा वैज्ञानिक


वैज्ञानिकों का उत्साहवर्धन करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश यात्रा से सीधे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पहुंचे। यहां उन्होंने चंद्रयान–3 की उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त किया है। इस अवसर पर उनके चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास दिखाई दे रहा था। मानो वे भारत की इस सफलता का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मानो चंद्रयान–2 की आंशिक विफलता के बाद उन्होंने पूर्ण सफलता का संकल्प ले रखा हो। यह सच भी है। इसरो के वैज्ञानिकों ने खुलकर इस बात को कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें चंद्रयान सहित अन्य परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहित किया है। उनके जैसा नेतृत्व मिलना कठिन है। उनके कारण से वैज्ञानिक क्षेत्र को एक संबल मिला है। हम सबको याद है कि पिछली बार रोवर की सफल लैंडिंग नहीं होने पर जब वैज्ञानिक निराश हो रहे थे तब प्रधानमंत्री मोदी से उन्हें गले लगाकर संबल दिया और फिर से तैयारी करने को कहा। हमें वह दौर भी याद है जब नंबी नारायण जैसे महान वैज्ञानिक को फंसाने के लिए षड्यंत्र किया गया। उनको अनेक प्रकार से प्रताड़ित किया गया। दोनों समय का यही फर्क है।

शुक्रवार, 25 अगस्त 2023

अब सूरज की ओर... अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम

पिछले कुछ वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान में मिली बड़ी सफलताओं ने भारत के वैज्ञानिकों को नया हौसला दिया है। चंद्रयान–3 की सफलता के बाद से तो अब विश्व भी भारत की ओर आशा से देखने लगा है। भारत की जिस प्रकार की तैयारी है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि नया भारत दुनिया को निराश नहीं करेगा। चंद्रमा पर अपना झंडा गाड़ने के बाद अब भारत सूरज की ओर अपने कदम बढ़ाने को तैयार है। भारतीय अंतरिक्ष शोध संस्थान (इसरो) के वैज्ञानिकों ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। इसी सितंबर में सूर्य तक पहुंचने के लिए आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग हो सकती है।

सोमवार, 21 अगस्त 2023

चीन की चाशनी में लिपटा ‘लेफ्ट मीडिया’

भारत के कुछ मीडिया संस्थानों को लेकर सामान्य नागरिकों के मन में अकसर प्रश्न उठते हैं कि उनके समाचारों एवं विचारों में भारत विरोध की बू क्यों आती है? जब देश समाधानमूलक पत्रकारिता की अपेक्षा करता है, तब ये अपनी रिपोर्टिंग से बनावटी विवादों को जन्म क्यों देते हैं? ये चीन और पाकिस्तान परस्त क्यों दिखायी देते हैं? इस प्रकार के अनेक प्रश्नों के उत्तर अमेरिकी समाचारपत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट से मिलते हैं। यह रिपोर्ट खुलासा करती है कि चीन दुनियाभर में मीडिया संस्थानों/पत्रकारों को पैसे देकर अपनी छवि चमकाने और दूसरे देशों के खिलाफ दुष्प्रचार को अंजाम दे रहा है। इस तरह चीन अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरुद्ध ‘धुंआ रहित युद्ध’ भी लड़ रहा है। चीन के इस एजेंडा को चलाने में श्रीलंकाई मूल का अमेरिकी कारोबारी नेविल रॉय सिंघम किंगपिंग के तौर पर सामने आया है। नेविल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की प्रचार शाखा से जुड़ा है। यह रिपोर्ट खुलासा करती है कि चीन के दलाल नेविल ने कम्युनिस्ट खेमे की वेबसाइट ‘न्यूज क्लिक’ को करोड़ों रुपये की फंडिंग की है। न्यूज क्लिक और उससे जुड़े पत्रकारों की पत्रकारिता का विश्लेषण करें, तो सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है कि चीन से किस बात के लिए उन्हें पैसा मिला होगा।

शनिवार, 19 अगस्त 2023

समाज को समरसता के स्नेह सूत्र में बाँधने निकले संत

यह कितनी सुखद बात है कि समाज के विभिन्न वर्गों में आत्मीयता एवं समरसता के भाव को बढ़ाने के लिए साधु-संत ‘स्नेह यात्रा’ पर निकल पड़े हैं। जब द्वार पर आकर संत कुछ आग्रह करते हैं, तब हिन्दू समाज का कोई भी वर्ग उस आग्रह को अस्वीकार नहीं कर सकता। मन में असंतोष होगा, लेकिन संतों का सम्मान सबके हृदय में सर्वोपरि है। इसलिए तो सब भेद भुलाकर, हिन्दू विरोधी ताकतों के उलाहने नकारकर, भगवत् कथा का श्रवण करने के लिए सभी वर्गों के लोग संतों के पंडाल में एकत्र हो जाते हैं। हम जानते हैं कि भारत को कमजोर करने के लिए बाह्य विचार से पोषित ताकतें हिन्दू समाज के जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं। ये ताकतें पूर्व में हुए जातिगत भेदभाव के घावों को कुरेद कर अनुसूचित जाति वर्ग के बंधुओं के कोमल हृदय में द्वेष के बीज बोने का काम कर रही हैं, जबकि कोशिश होनी चाहिए उनके घावों पर मरहम लगाने की। परंतु जिनका स्वार्थ परपीड़ा से सध रहा हो, वे जख्म पर नमक ही छिड़केंगे। उनसे कोई और उम्मीद करना बेमानी है। ऐसे वातावरण में संत समाज ने आगे आकर, सभी वर्गों में बंधुत्व के भाव को बढ़ाने के जो प्रयास किए हैं, वह अनुकरणीय हैं। समाज की सज्जनशक्ति को संतों के साथ जुड़ना चाहिए और स्नेह धारा को आगे बढ़ाना चाहिए।

बुधवार, 16 अगस्त 2023

अमृतकाल में ‘स्व’ की भावभूमि पर आगे बढ़ेगा भारत

77वें स्वतंत्रता दिवस के प्रसंग पर 15 अगस्तर, 2023 को स्वदेश ग्वालियर समूह में प्रकाशित यह आलेख

हमने अवश्य ही अपने नायकों के संघर्ष, समर्पण एवं साहस के बल पर शासन-सूत्र 1947 में अंग्रेजों के हाथों से वापस ले लिए परंतु हमने देश के स्वभाव एवं प्रकृति के अनुरूप ‘तंत्र’ विकसित नहीं किया। अपना तंत्र विकसित करने के लिए हमने अपने अंतर्मन में झांकने की अपेक्षा बाहर की ओर देखा। परिणामस्वरूप हम स्वाधीन तो हो गए परंतु जिस ‘स्व’ की प्राप्ति के लिए हजारों लाखों नागरिकों ने अपने प्राणों आहुति दी, उससे दूर हो गए। स्वभाषा, वेश-भूषा, तंत्र, विज्ञान, विचार, चिंतन एवं आचरण इत्यादि को हमने किनारे कर दिया। ‘स्व’ की संकल्पना को समृद्ध करने और बाकी सबको उसका बार-बार स्मरण करानेवाले राष्ट्रीय विचार के लोगों एवं संगठनों की भी नीति-नियंताओं ने कभी नहीं सुनी। चूँकि यह देवभूमि है, इसलिए देवों की कृपा 2014 में वह अवसर आया, जब ‘स्व की अवधारणा’ को बल मिला। समाज और शासन, दोनों के प्रयासों से ‘स्व’ का प्रगटीकरण भी होने लगा और उसके आधार पर हमारी व्यवस्थाएं एवं तंत्र भी विकसित होने लगा। संभवत: इसीलिए हम कह सकते हैं कि ब्रिटेन के सबसे प्रभावशाली समाचार पत्र ‘द गार्जियन’ के विचार सत्य सिद्ध हुए। जब राष्ट्रीय विचार को ऐतिहासिक जनादेश मिला तब ‘द गार्जियन’ ने 18 मई, 2014 को अपनी संपादकीय में लिखा था- “अब सही मायने में अंग्रेजों ने भारत छोड़ा है (ब्रिटेन फाइनली लेफ्ट इंडिया)”। आम चुनाव के नतीजे आने से पूर्व नरेन्द्र मोदी का विरोध करने वाला ब्रिटिश समाचारपत्र, चुनाव परिणाम के बाद लिखता है कि भारत अंग्रेजियत से मुक्त हो गया है। अर्थात् एक युग के बाद भारत में सुराज आया है। भारत अब भारतीय विचार से शासित होगा। पिछले नौ वर्षों में हमने यह होते हुए भी देखा।

शनिवार, 12 अगस्त 2023

सामाजिक समरसता का केंद्र बने संत रविदास मंदिर

भारत को कमजोर करने के लिए जातीय द्वेष बढ़ाने में अनेक ताकतें सक्रिय हैं। उनके निशाने पर विशेषकर हिन्दू समाज है। वहीं, भारतीय समाज को एकसूत्र में बांधने के प्रयास करनेवाली संस्थाएं अंगुली पर गिनी जा सकती हैं। चिंताजनक बात यह है कि भारत विरोधी ताकतों के निशाने पर राष्ट्रीयता को मजबूत करनेवाले संगठन भी रहते हैं। ऐन-केन-प्रकारेण उनकी छवि को बिगाड़ने के प्रयास किए जाते हैं। राजनीतिक क्षेत्र में भी कमोबेश यही स्थिति है। वोटबैंक की राजनीति के चलते अनेक नेता एवं राजनीतिक दल भी हिन्दू समाज में जातीय विद्वेष को बढ़ाने के दोषी हैं। इन परिस्थितियों के बीच शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश के सागर जिले में संत शिरोमणि रविदास महाराज के मंदिर का निर्माण करने का सराहनीय निर्णय लिया गया है। सरकार इस मंदिर को सामाजिक समरसता के केंद्र के तौर पर विकसित करना चाहती है। समरसता मंदिर के निर्माण में संपूर्ण हिन्दू समाज की भागीदारी हो, इसके लिए सरकार के प्रयासों से प्रदेशभर में समरसता यात्राएं निकाली जा रही हैं, जो 12 अगस्त को निर्माण स्थल बड़तूमा पहुँचेंगी। यहाँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बन रहे संत शिरोमणि रविदास मंदिर की नींव रखेंगे। यह मंदिर अपने उद्देश्य के अनुसार आकार ले, इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। वे समरसता यात्राओं में सहभागिता कर लोगों तक संत रविदास के संदेश को पहुँचाने का भगीरथी प्रयास कर रहे हैं। आनंद की बात है कि संत रविदास समरसता यात्रा का रथ जहाँ-जहाँ से गुजर रहा है, वहाँ के लोग मंदिर निर्माण के लिये अपने क्षेत्र की मिट्टी और नदियों का जल देकर संदेश दे रहे हैं कि निश्चित ही यह स्थान सबको एकसूत्र में जोड़ने में सफल होगा।

शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय की आस

अपने दर्द को समेटकर वर्षों से न्याय की आस में बैठे कश्मीरी हिन्दुओं की अब सुध ली जाने लगी है। कश्मीर घाटी में फिर से हिन्दुओं को बसाने के प्रयासों के साथ ही अब 90 के दशक में कश्मीरी हिन्दुओं की हत्याओं की जाँच कराने का निर्णय लिया गया है। जम्मू-कश्मीर राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू की हत्या के मामले की जाँच शुरू कर दी है। अगर यह जाँच सही दिशा में आगे बढ़ती है, तब कई नये तथ्य सामने आ सकते हैं। हत्याओं के पीछे की मानसिकता को एक बार फिर से उजागर किया जा सकता है। जो लोग एक-दो अपराधियों को हिन्दुओं के नरसंहार का जिम्मेदार बताकर संगठित इस्लामिक हिंसा पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं, उन्हें भी आईना दिखाया जा सकता है।

शनिवार, 5 अगस्त 2023

कविता : आत्मा की अभिव्यक्ति

रवींद्र भवन, भोपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य और सांस्कृतिक उत्सव ‘उत्कर्ष–उन्मेष’ में दैनिक भास्कर के लिए कवरेज किया। लगभग 13 वर्ष पुरानी स्मृतियां ताजा हो उठीं, जब मैं दैनिक भास्कर, ग्वालियर में उपसंपादक हुआ करता था। 

कल एक और विशेष अवसर बना– ‘कविता : आत्मा की अभिव्यक्ति’ पर हो रहे विमर्श का कवरेज करते हुए अंग्रेजी में कविताएं सुनीं। पहले भी सुनीं हैं। मेरे कई विद्यार्थी अंग्रेजी में ही लिखते हैं। वे लिखते हैं तो मुझे पढ़ाते–सुनाते भी हैं। कभी–कभी एकाध गीत म्यूजिक एप पर भी सुनने की कोशिश की है। परंतु इस तरह आयोजन में सभी कवियों का अंग्रेजी में कविता पाठ सुनने का यह पहला अवसर था।

शुक्रवार, 4 अगस्त 2023

अभिनव प्रयोग ‘मेरी माटी–मेरा देश’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक विशेषता है कि वे नागरिकों को अपनी संस्कृति, स्वाभिमान और गौरव के बिंदुओं से जोड़ते रहते हैं। हमारे मनों में भारतीयता के भाव को जगाते रहते हैं। अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इस बार उन्होंने आह्वान किया है कि स्वाधीनता दिवस से पूर्व देशभर में बलिदानियों की स्मृति में ‘मेरी माटी मेरा देश’ चलाया जाए। इस अभियान के अंतर्गत हम अपने नायकों के बलिदान की गौरव गाथाओं को जानें और उनसे जुड़ें। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों से मिलने का यह अनूठा प्रयोग है। प्रधानमंत्री मोदी इस प्रकार के नवाचारों के लिए जाने जाते हैं।

सोमवार, 10 जुलाई 2023

सामाजिक समरसता के लिए समर्पित श्रीगुरुजी का जीवन

श्रीगुरुजी और सामाजिक समरसता पर उनके विचार


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रद्धेय माधव सदाशिवराव गोलवलकर का जीवन हिन्दू समाज के संगठन, उसके प्रबोधन एवं सामाजिक-जातिगत विषमताओं को समाप्त करके एकरस समाज के निर्माण के लिए समर्पित रहा है। जातिगत ऊँच-नीच एवं अस्पृश्यता को समाप्त करने की दिशा में श्रीगुरुजी के प्रयासों से एक बड़ा और उल्लेखनीय कार्य हुआ, जब 13-14 दिसंबर, 1969 को उडुपी में आयोजित धर्म संसद में देश के प्रमुख संत-महात्माओं ने एकसुर में समरसता मंत्र का उद्घोष किया-  

“हिन्दव: सोदरा: सर्वे, न हिन्दू: पतितो भवेत्।

मम दीक्षा हिन्दू रक्षा, मम मंत्र: समानता।।”

अर्थात् सभी हिन्दू सहोदर (एक ही माँ के उदर से जन्मे) हैं, कोई हिन्दू नीच या पतित नहीं हो सकता। हिन्दुओं की रक्षा मेरी दीक्षा है, समानता यही मेरा मंत्र है।1 श्रीगुरुजी को विश्वास था कि देश के प्रमुख धर्माचार्य यदि समाज से आह्वान करेंगे कि अस्पृश्यता के लिए हिन्दू धर्म में कोई स्थान नहीं है, इसलिए हमें सबके साथ समानता का व्यवहार रखना चाहिए, तब जनसामान्य इस बात को सहजता के साथ स्वीकार कर लेगा और सामाजिक समरसता की दिशा में बड़ा कार्य सिद्ध हो जाएगा। विश्व हिन्दू परिषद की ओर से इस धर्म संसद में श्रीगुरुजी के आग्रह पर सभी संतों ने सर्वसम्मति से सामाजिक समरसता का ऐतिहासिक का प्रस्ताव पारित किया। श्रीगुरुजी ने अपनी भूमिका को यहीं तक सीमित नहीं रखा अपितु अब उन्होंने विचार किया कि यह शुभ संदेश लोगों तक कैसे पहुँचे। क्योंकि उस समय आज की भाँति मीडिया की पहुँच जन-जन तक नहीं थी। सामाजिक समरसता के इस अमृत को जनसामान्य तक पहुँचाने के लिए श्रीगुरुजी ने 14 जनवरी 1970 को संघ के स्वयंसेवकों के नाम एक पत्र लिखा2, जिसमें उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कार्यकर्ताओं की अपेक्षा से कई गुना अधिक सफल आयोजन हुआ। मानो हिन्दू समाज की एकता एवं परिवर्तन के लिए शंख फूंक दिया गया हो। परंतु हमें इससे आत्मसंतुष्ट होकर बैठना नहीं है। अस्पृश्यता के अभिशाप को मिटाने में हमारे सभी पंथों के आचार्य, धर्मगुरु और मठाधिपतियों ने अपना समर्थन दिया है। परंतु प्रस्ताव को प्रत्यक्ष आचरण में उतारने के लिए केवल पवित्र शब्द काफी नहीं हैं। सदियों की कुरीतियां केवल शब्द और सद्भावना से नहीं मिटती। इसके लिए अथक परिश्रम और योग्य प्रचार करना पड़ेगा। नगर-नगर, गाँव-गाँव, घर-घर में जाकर लोगों को बताना पड़ेगा कि अस्पृश्यता को नष्ट करने का निर्णय हो चुका है। और यह केवल आधुनिकता के दबाव में नहीं, बल्कि हृदय से हुआ परिवर्तन है। भूतकाल में हमने जो गलतियां की हैं, उसे सुधारने के लिए अंत:करण से इस परिवर्तन को स्वीकार कीजिए। श्रीगुरुजी के इस पत्र से हम समझ सकते हैं कि अस्पृश्यता को समाप्त करने और हिन्दू समाज में एकात्मता का वातावरण बनाने के लिए उनका संकल्प कैसा था? धर्माचार्यों से जो घोषणा उन्होंने करायी, वह समाज तक पहुँचे, इसकी भी चिंता उन्होंने की। संघ की शाखा पर सामाजिक समरसता को जीनेवाले लाखों स्वयंसेवक सरसंघचालक के आह्वान पर ‘हिन्दव: सोदरा: सर्वे’ के मंत्र को लेकर समाज के सब लोगों के बीच में गए।

मंगलवार, 4 जुलाई 2023

स्कूल की छुट्टियां

 School ki Chhuttiyan | बचपन की याद दिलाती यह कविता


स्कूल के दिनों, बच्चे

करते थे प्रतीक्षा

अपनी छुट्टियों की, ताकि

समुद्र के किनारे वाले शहर में

या खूबसूरत वादियों के देश

जा सकेंगे घूमने

आई-बाबा के साथ।


परन्तु, मेरे लिए तो

मेरे गाँव का तालाब ही

किसी गोवा का समुद्र था

और सूखा-नंगा पहाड़

हिमालय का उत्तुंग शिखर।

खलियान तो जैसे

कुछ दिन के लिए

लॉर्ड्स का क्रिकेट मैदान

बन जाया करता था।


अपने सपने में

आया नहीं कभी

मनाली का फैमिली टूर भी

फिर लॉस एंजिल्स,

वेल्स के जंगल, हवाई

और इटली का लेक गार्डा तो

बहुत दूर की बात थी।


अपन राम के लिए तो

बजरंग मंदिर और

उसके औघड़ बगीचे में

स्वर्ग के सुख से बढ़कर थी

दाल-टिक्कर की पार्टी।

चढ़ना ऊंचे पेड़ों पर

लांघना खेतों की मेड़

खंडहर किले में खोजना रहस्य

अपने लिए तो यही थी

माचू-पिचू की साहसिक यात्रा। 


कवि लोकेन्द्र सिंह की और कविताएं देखने-सुनने के लिए क्लिक करें- मेरी कविताएं

कवि लाेकेन्द्र सिंह

गुरुवार, 22 जून 2023

‘गीता प्रेस’ के सम्मान का विरोध करके क्या प्राप्त होगा?

Gita Press Controversy को Exposed करनेवाला यह वीडियो देखिए-


भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस, गोरखपुर को प्रतिष्ठित ‘गांधी शांति पुरस्कार’ देने का निर्णय करके बहुत अच्छा काम किया है। इसी वर्ष गीता प्रेस ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण किये हैं। अपनी इस 100 वर्ष की यात्रा में इस प्रकाशन ने भारतीय संस्कृति की खूब सेवा की है। भारतीयता के विचार को जन-जन तक पहुँचाने में गीता प्रेस का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। वर्ष 1923 में स्थापित गीता प्रेस आज विश्व के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक मानी जाती है। इस प्रेस ने अब तक 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित कर नया कीर्तिमान बनाया है। इनमें से श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं। गीता प्रेस की नीति के कारण श्रीमद्भगवतगीता, श्री रामायण, श्री महाभारत सहित अनेक भारतीय ग्रंथ घर-घर तक पहुँच सके।

मंगलवार, 20 जून 2023

भारतीय मूल्यों की संवाहक बन रही हैं जी-20 की बैठकें

संयोग देखिए कि जब भारत अपनी स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है, उसी समय उसे विश्व के प्रभावशाली देशों के संगठन ‘जी-20’ की अध्यक्षता का अवसर प्राप्त हुआ है। भारत को एक वर्ष के लिए जी-20 की अध्यक्षता का यह अवसर मिला है, जिसमें भारत 200 से अधिक जी-20 बैठकों का आयोजन करेगा। विभिन्न मुद्दों को लेकर होनेवाली इन बैठकों में दुनियाभर से विद्वान एवं राजनयिक आएंगे। निश्चित ही भारत अपने आतिथ्य के साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति उनके मन को आकर्षित करने में सफल रहेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार ने बीते वर्षों में निरंतर संपर्क-संवाद से जी-20 समूह में शामिल देशों के साथ जो संबंध विकसित किए हैं, उन्हें मित्रता का और गहरा रंग देने का भी यह अवसर है। व्यापक आर्थिक मुद्दों के साथ ही व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे ज्वलंत मुद्दों पर आयोजित होनेवाली बैठकों में जब जी-20 के प्रतिनिधि एवं विषय विशेषज्ञ आएंगे, तब वे भारत से इन मुद्दों पर सम्यक दृष्टिकोण लेकर भी जाएंगे। ये ऐसे विषय हैं, जिन पर दुनिया बात तो कर रही है, लेकिन ठोस समाधानमूलक पहल इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि समाधान की दृष्टि में सार्वभौमिक मूल्यों का अभाव है। जैसे पर्यावरण के मुद्दे पर सामर्थ्यशाली देश स्वयं तो भोगवादी प्रवृत्ति को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है परंतु विकासशील देशों से वे अपेक्षा कर रहे हैं कि कार्बन उत्सर्जन इत्यादि में कमी लाने के लिए प्रयास करें। भारत अपनी परंपरा के आलोक में उक्त विषयों पर जी-20 की बैठकों के दौरान विश्व का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। भारत ने जिस जोश एवं उत्साह के साथ जी-20 की अध्यक्षता का स्वागत किया है, उसे स्वीकारा है, उसे देखकर यह समझा जा सकता है कि वर्तमान नेतृत्व ने पहले से कोई भावभूमि तैयार कर रखी है, जिस पर खड़े होकर वह भारतीय मूल्यों के आधार पर विश्व के प्रभावशाली देशों के साथ भारत के संबंधों को प्रगाढ़ करेगा। कहना होगा कि भारत के पास यह ऐसा स्वर्णिम अवसर है, जो विश्वपटल पर भारत के कल्याणकारी विचार एवं मूल्यों की पुनर्स्थापना में सहायक सिद्ध होगा।

सोमवार, 19 जून 2023

मानवता हो विज्ञान का आधार

जी-20 के अंतर्गत ‘कनेक्टिंग साइंस टू सोसाइटी एंड कल्चर’ विषय पर आयोजित विज्ञान-20 सेमिनार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का महत्वपूर्ण वक्तव्य


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जी-20 के अंतर्गत ‘कनेक्टिंग साइंस टू सोसाइटी एंड कल्चर’ विषय पर आयोजित विज्ञान-20 सेमिनार में महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया, जो हमें विज्ञान के प्रति भारतीय दृष्टिकोण से परिचित कराता है। आज विज्ञान के क्षेत्र में जिस गति से प्रगति हो रही है, उसे देखकर दुनियाभर के मानवतावादी उत्साहित तो हैं परंतु उनके मनों में गहरी आशंकाएं भी हैं। यह आशंकाएं इसलिए भी स्वाभाविक हैं क्योंकि आज जिनके हाथों में विज्ञान की ताकत है, उनके पास मानवतावादी दृष्टि नहीं है। वैज्ञानिक खोजों में सक्रिय ताकतों का प्राथमिक उद्देश्य व्यवसाय है। उनकी दृष्टि में लोक कल्याण की भावना बहुत पीछे है। इसकी अनुभूति कोविड-19 से जनित वैश्विक महामारी के दौरान दुनिया ने भली प्रकार कर ली है। जबकि भारत की विज्ञान परंपरा में लोक कल्याण ही विज्ञान का प्राथमिक लक्ष्य है। हमारे ऋषि वैज्ञानिकों ने विज्ञान को मानवता का आधार दिया था। दुनियाभर में घटी अनेक घटनाएं इस बात की साक्षी हैं कि विज्ञान जब भी मानवता से हटा है, वह विध्वंस ही लाया है। आज हम उस दौर में पहुँच चुके हैं, जब यह आवश्यक हो गया है कि विज्ञान को समाज एवं संस्कृति से जोड़ने की दिशा में ठोस पहल करें और विज्ञान के लिए कुछ अनिवार्य वैश्विक सिद्धांत स्वीकार किए जाएं। विज्ञान को मानवता के आधार पर केंद्रित नहीं किया तो आनेवाले समय में यह हमारी समस्याओं का समाधान देने की जगह नई चुनौतियां पैदा कर देगा। विज्ञान के क्षेत्र में काम कर रही वैश्विक संस्थाओं के वैज्ञानिकों एवं प्रतिनिधियों के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विज्ञान की भारतीय दृष्टि’ को प्रस्तुत करके सबको एक संदेश देने का प्रयास किया है। अच्छा होगा कि ‘विज्ञान-20’ में शामिल होने आए दुनियाभर के वैज्ञानिक अपने साथ भारतीय विचार को लेकर जाएं।

रविवार, 18 जून 2023

रोजगार को लेकर सरकार बना रही है विश्वास का वातावरण, स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सौंप रहे युवाओं को नियुक्ति पत्र

रोजगार ऐसा मुद्दा है, जो देश की आर्थिक प्रगति का सूचक तो है ही, यह देश के सामान्य लोगों से भी सीधे जुड़ता है। रोजगार के मुद्दे को लेकर अकसर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर रहते हैं। देश की जनसंख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है और साक्षरता का प्रतिशत भी बढ़ गया है, ऐसे में सबको शासकीय नौकरी देना, अत्यंत चुनौतीपूर्ण काम है। इसके बावजूद केंद्र की मोदी सरकार ने देश के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के साथ ही शासकीय नौकरी देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। देश में यह पहली बार हो रहा है कि स्वयं प्रधानमंत्री युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंप रहे हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए यह गौरव की बात होगी कि उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से नियुक्ति पत्र मिला है। चूँकि देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्वास का पर्याय बन गए हैं, इसलिए सरकार युवाओं को संदेश देना चाहती है कि मोदी सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रतिबद्ध है।

शुक्रवार, 16 जून 2023

संदिग्ध शिक्षा संस्थाओं की व्यापक जाँच हो

शिक्षा की आड़ में जिस प्रकार से ईसाई और मुस्लिम संस्थाओं द्वारा कन्वर्जन को अंजाम दिया जा रहा है, यह चिंताजनक है। एक के बाद एक मामले सामने आने से स्थितियों के और भयावह होने की आशंका है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह संदिग्ध शैक्षिक संस्थाओं की व्यापक जाँच-पड़ताल करे और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने की साजिश में लगी सभी संस्थाओं के प्रमुखों पर कड़ी कार्रवाई हो और उन संस्थाओं पर हमेशा के लिए ताला लगाया जाए।

बुधवार, 14 जून 2023

किसान कल्याण महाकुंभ में शिवराज सरकार ने किसानों को दी सौगातें

खेती-किसानी और उससे जुड़े व्यवसाय मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था एवं विकास की धुरी हैं। यह बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उनकी सरकार बखूबी समझती है। मुख्यमंत्री श्री चौहान के हाथ में जब से प्रदेश की कमान है, तब से उन्होंने लगातार किसानों की बेहतरी के लिए प्रयास किए हैं। केंद्र में मोदी सरकार और राज्य में शिवराज सरकार, दोनों ने अपनी प्राथमिकता में किसानों को रखा है। मध्यप्रदेश के राजगढ़ में आयोजित ‘किसान-कल्याण महाकुंभ’ के आयोजन से सरकार ने यही संदेश देने का प्रयास किया है कि वह किसानों के हितों की चिंता करने में सदैव की तरह अग्रणी रहेगी। देश में मध्यप्रदेश इकलौता राज्य है जहाँ किसानों को ‘किसान सम्मान निधि’ के अंतर्गत 12 हजार रुपये वार्षिक मिलेंगे। चौथी बार मुख्यमंत्री बनने पर शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के किसानों को 4000 रुपये की राशि देने का निर्णय किया था, महाकुंभ में जिसे बढ़ाकर अब 6000 रुपये कर दिया गया है। इस तरह अब प्रदेश के किसानों को केंद्र की मोदी सरकार से 6000 रुपये और प्रदेश की शिवराज सरकार से 6000 रुपये मिलेंगे, अर्थात् 12 हजार रुपये वार्षिक। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस निर्णय कमजोर आय वर्ग एवं छोटी जोत के किसानों को बहुत बड़ी सहायता मिलेगी। किसान कल्याण महाकुंभ में लिए गए निर्णय बताते हैं कि मध्यप्रदेश की सरकार किसानों को लेकर अत्यंत संवेदनशील है और किसानों को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

शनिवार, 10 जून 2023

महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है शिवराज सरकार

 प्रदेश की महिलाओं के बैंक खातों में 10 जून को आएगी ‘लाड़ली बहना योजना’ की पहली किस्त


महिला सशक्तिकरण की दिशा में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी ‘लाड़ली बहना योजना’ को लेकर जिस प्रकार का उत्साहजनक वातावरण मातृशक्ति के बीच में बना हुआ है, उससे इस योजना की आवश्यकता एवं महत्व ध्यान में आ रहा है। अभी हाल में ग्वालियर प्रवास के दौरान विभिन्न वर्गों की माताओं-बहनों से बातचीत के बाद दो बातें अनुभव में जुड़ी हैं। एक, महिलाओं के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता गजब की है। यह मामला केवल लोकप्रियता तक सीमित नहीं है, अपितु उन्हें मुख्यमंत्री पर अटूट विश्वास भी है। दो, उनका मानना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं के लिए जितनी योजनाएं शुरू कीं, उतनी किसी और ने कभी नहीं की हैं। बेटी के जन्म से लेकर उसके विवाह और उसके बाद के जीवन की भी चिंता सरकार ने की है। शिवराज सरकार बेटी के साथ माँ का ध्यान भी रखती है। नि:संदेह, शिवराज सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही स्त्री सशक्तिकरण के लिए प्रयासरत दिखी है। मध्यप्रदेश सरकार की महिला नीति को देखने से ध्यान आता है कि यह सरकार सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं शैक्षणिक रूप से महिलाओं को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। बेटी बचाओ अभियान, लाड़ली लक्ष्मी योजना, स्वागतम् लक्ष्मी योजना, गाँव की बेटी योजना, जननी सुरक्षा कार्यक्रम, कन्या अभिभावक पेंशन योजना, उषा किरण योजना और मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अतिरिक्त कई अन्य कार्यक्रम एवं योजनाएं हैं, जिनके माध्यम से सरकार हर कदम पर महिलाओं के साथ खड़ी नजर आती है। स्त्री सशक्तिकरण की इसी शृंखला में ‘लाड़ली बहना योजना’ भी जुड़ गई है।

बुधवार, 7 जून 2023

मध्यप्रदेश में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहलकदमी पर सरकार ने ‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना’ की नींव रखी है। सरकार का उद्देश्य है कि इस योजना के आधार पर ‘आत्मनिर्भर युवा-आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ की सुंदर इमारत खड़ी हो। नि:संदेह, युवाओं के हाथ में हुनर होगा, तो वे राष्ट्र निर्माण के यज्ञ में आगे बढ़कर आहुति देंगे। आज प्रदेश ही नहीं, अपितु देश की सबसे बड़ी ताकत हमारी युवा जनसंख्या है। भारत दुनिया का सबसे अधिक युवा जनसंख्या का देश है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट-2023’ के अनुसार, भारत में 26 प्रतिशत जनसंख्या का आयुवर्ग 10 से 24 साल है। वहीं, सबसे ज्यादा 68 प्रतिशत आबादी 15 से 64 वर्ष के आयुवर्ग में है। एक ओर यह सुखद तथ्य है, तो दूसरी ओर इस युवा शक्ति का सही दिशा में उपयोग करने की कठिन चुनौती भी हमारे सामने है। कोई युवाओं को ‘बेरोजगारी भत्ता’ देने की बात कह रहा है, तो कोई अन्य प्रकार से बहलाने की कोशिश कर रहा है, ऐसे सभी प्रकार के विमर्शों के बीच मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने ‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना’ के रूप में सराहनीय एवं अनुकरणीय पहल की है। यह मानने के अनेक कारण उपलब्ध हैं कि ‘बेरोजगारी भत्ता’ युवा शक्ति की धार को कुंद कर सकता था। युवाओं के हाथ में केवल चार-पाँच हजार रुपये देने से स्थायी समाधान नहीं निकल सकता था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार ने अच्छा निर्णय लिया कि युवाओं को उनकी रुचि का काम सिखाकर, उनके हाथों को सदा के लिए सशक्त कर दिया जाए। युवाओं को प्रशिक्षण के दौरान उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर 8 हजार से 10 हजार रुपये तक का आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया जाएगा। अर्थात् युवा हुनर सीखने के साथ भी कमाएगा और सीखने के बाद तो उसकी कमाई के अनेक रास्ते खुल ही जाने हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह कहना उचित ही है- “बेरोजगारी भत्ता बेमानी है। नई योजना, युवाओं में क्षमता संवर्धन कर उन्हें पंख देने की योजना है, जिससे वे खुले आसमान में ऊँची उड़ान भर सकें और उन्हें रोजगार, प्रगति और विकास के नित नए अवसर मिलें”।

रविवार, 4 जून 2023

सुराज संकल्प का ‘अमृतकाल’

मोदी सरकार के 9 वर्षों का मूल्यांकन करती पुस्तक ‘अमृतकाल में भारत’



भारतीय संस्कृति में कहा जाता है, 'नयति इति नायक:', अर्थात् जो हमें आगे ले जाए, वही नायक है। आगे लेकर जाना ही नेतृत्‍व की वास्‍तविक परिभाषा है। भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार वर्ष 2021 में 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान 'अमृतकाल' शब्द का इस्तेमाल किया था, जब उन्होंने अगले 25 वर्षों के लिए देश के लिए एक अद्वितीय रोडमैप को प्रस्तुत किया। अमृतकाल का उद्देश्य भारत के नागरिकों के जीवनशैली में गुणात्मक वृद्धि करना, गांवों और शहरों के बीच विकास में विभाजन को कम करना, लोगों के जीवन में सरकार के हस्तक्षेप को कम करना और नवीनतम तकनीक को अपनाना है।

शुक्रवार, 2 जून 2023

‘भारत के स्वराज्य’ का उद्घोष था श्रीशिवराज्याभिषेक

स्वराज्य 350 : आज से प्रारंभ हो रहा है छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक एवं हिन्दू साम्राज्य की स्थापना का 350वाँ वर्ष



आज का दिन बहुत पावन है। आज से ‘हिन्दवी स्वराज्य’ की स्थापना का 350वां वर्ष प्रारंभ हो रहा है। विक्रम संवत 1731, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी (6 जून, 1674) को स्वराज्य के प्रणेता एवं महान हिन्दू राजा श्रीशिव छत्रपति के राज्याभिषेक और हिन्दू पद पादशाही की स्थापना से भारतीय इतिहास को नयी दिशा मिली। कहते हैं कि यदि छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म न होता और उन्होंने हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना न की होती, तब भारत अंधकार की दिशा में बहुत आगे चला जाता। महान विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद भारतीय समाज का आत्मविश्वास निचले तल पर चला गया। अपने ही देश में फिर कभी हमारा अपना शासन होगा, जो भारतीय मूल्यों से संचालित हो, लोगों ने यह कल्पना करना ही छोड़ दिया। तब शिवाजी महाराज ने कुछ वीर पराक्रमी मित्रों के साथ ‘स्वराज्य’ की स्थापना का संकल्प लिया और अपने कृतित्व एवं विचारों से जनमानस के भीतर भी आत्मविश्वास जगाया। विषबेल की तरह फैलते मुगल शासन को रोकने और उखाड़ फेंकने का साहस शिवाजी महाराज ने दिखाया। गोविन्द सखाराम सरदेसाई अपनी पुस्तक ‘द हिस्ट्री ऑफ द मराठाज-शिवाजी एंड हिज टाइम’ के वॉल्यूम-1 के पृष्ठ 97-98 पर लिखते हैं कि ‘मुस्लिम शासन में घोर अन्धकार व्याप्त था। कोई पूछताछ नहीं, कोई न्याय नहीं। अधिकारी जो मर्जी करते थे। महिलाओं के सम्मान का उल्लंघन, हिंदुओं की हत्याएं और धर्मांतरण, उनके मंदिरों को तोड़ना, गोहत्या और इसी तरह के घृणित अत्याचार उस सरकार के अधीन हो रहे थे।। निज़ाम शाह ने जिजाऊ माँ साहेब के पिता, उनके भाइयों और पुत्रों की खुलेआम हत्या कर दी। बजाजी निंबालकर को जबरन इस्लाम कबूल कराया गया। अनगिनत उदाहरण उद्धृत किए जा सकते हैं। हिन्दू सम्मानित जीवन नहीं जी सकते थे’। ऐसे दौर में मुगलों के अत्याचारी शासन के विरुद्ध शिवाजी महाराज ने ऐसे साम्राज्य की स्थापना की जो भारत के ‘स्व’ पर आधारित था। उनके शासन में प्रजा सुखी और समृद्ध हुई। धर्म-संस्कृति फिर से पुलकित हो उठी।

सोमवार, 29 मई 2023

नये भारत की नयी संसद

भारत की नयी संसद की पहली झलक / First Look of New Parliament Building

स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भारत को अमृतकाल में उसका नया और स्वदेशी संसद भवन मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब धर्मदंड ‘सेंगोल’ को नवीन संसद के लोकसभा में अध्यक्ष की आसंदी के समीप स्थापित किया तब भारत के इतिहास में दिनांक 28 मई, 2023 सदैव के लिए अंकित हो गई है। लोकसभा की आसंदी के समीप स्थापित यह सेंगोल हमारे राजनेताओं को प्रेरणा देगा। महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्यपथ, सेवापथ और राष्ट्रपथ का प्रतीक माना जाता था। राजादी और आदीनम के संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था। यह सेंगोल भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था लेकिन उस समय इसे यथोचित सम्मान और स्थान नहीं दिया गया। बल्कि सिंगोल की प्रतिष्ठा गिराते हुए उसे आनंद भवन में बनाए गए संग्रहालय में ‘चलने में सहायक छड़ी’ के रूप में प्रदर्शित किया गया। माना कि पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय परंपराओं एवं धर्म से दूरी बनाकर चलते थे, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं होना चाहिए था कि धार्मिक, सांस्कृतिक एवं भावनात्मक महत्व के ‘सेंगोल’ की उपेक्षा इस तरह की जानी चाहिए थी।

गुरुवार, 25 मई 2023

सांस्कृतिक पुनर्जागरण के पथ पर अग्रणी भूमिका में मध्यप्रदेश

पिछले आठ-दस वर्षों का सिंहावलोकन करने पर ध्यान आता है कि यह भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का दौर है। इस अमृतकाल में भारत अपने ‘स्व’ की ओर बढ़ रहा है। अयोध्या में भव्य एवं दिव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है। श्रीराम ने जिस संघर्ष और धैर्य के मार्ग को चुना था, उनके भक्तों ने भी मंदिर निर्माण के लिए उसी का अनुसरण किया। अब बेहिचक सरयू के तट पर दिव्य दीपावली मनायी जाती है। केदारधाम से लेकर काशी के विश्वनाथ मंदिर और अवंतिका (उज्जैन) में बाबा महाकाल का लोक साकार रूप ले रहा है। भारत जब करवट बदल रहा है, तब मध्यप्रदेश सांस्कृतिक पुनर्जागरण की बेला में कहाँ पीछे छूट सकता है। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार भी अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने-संवारने में अग्रणी भूमिका निभा रही है। इस संदर्भ में ‘राम वन गमन पथ’ के निर्माण का निर्णय करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो कहा, उसे समझना चाहिए- “आज देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए हम प्रतिबद्ध हैं”। मुख्यमंत्री का यह वक्तव्य संकेत करता है कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान के इस दौर में मध्यप्रदेश चूकना नहीं चाहता है। स्वतंत्रता के समय से ही भारत को अपने सांस्कृतिक मान-बिंदुओं को संवारने का जो काम शुरू कर देना चाहिए था, वह अब जाकर शुरू हो रहा है, तो फिर अब रुकना नहीं है। श्रीसोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के समय जो हिचक हमारे स्वतंत्र भारत के प्रारंभिक नेतृत्व ने दिखायी, उस व्यर्थ की हिचक से वर्तमान नेतृत्व मुक्त है। हमारे वर्तमान नेतृत्व को न केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गौरव है अपितु वह उसके संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध भी दिखायी देता है।

बुधवार, 24 मई 2023

हवाई जहाज से तीर्थ दर्शन : शिवराज सरकार को मिल रहा है बुजुर्गों का आशीर्वाद

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर मध्यप्रदेश सरकार ने अपनी महत्वपूर्ण योजना ‘मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना’ का विस्तार करते हुए अब तीर्थयात्रियों को हवाई जहाज से यात्रा करना शुरू किया है। प्रदेश सरकार के इस नवाचारी प्रयोग को लेकर उत्साह का वातावरण है। सभी वर्गों की ओर से सरकार की सराहना की जा रही है कि सरकार ऐसे लोगों को हवाई जहाज से तीर्थयात्रा सम्पन्न करने का अवसर दे रही है, जिनके लिए तीर्थयात्रा और हवाई जहाज में बैठना, दोनों ही कठिन काम थे। पहले दो जत्थे जब हवाई जहाज से यात्रा पर गए, तब उनके चेहरे पर प्रसन्नता के जो भाव उभरकर आ रहे हैं, वे इस बात की पुष्टी करते हैं कि सरकार को इन बुजुर्गों का खूब आशीर्वाद मिल रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी का सम्मान, भारत का अभिमान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेश दौरे से आए एक दृश्य ने समूचे भारत को गौरव का अवसर दे दिया। प्रधानमंत्री मोदी एफआईपीआईसी के तीसरे अधिवेशन में शामिल होने के लिए ‘पापुआ न्यू गिनी’ पहुँचे थे। यहाँ प्रधानमंत्री मोदी का सभी शासकीय प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत-अभिनंदन किया गया। इस देश में सूर्यास्त के बाद शासकीय स्वागत नहीं किया जाता। परंतु जब प्रधानमंत्री मोदी यहाँ पहुँचे तब न केवल शाही स्वागत किया गया अपितु पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ने तो दो कदम आगे बढ़कर प्रधानमंत्री मोदी के पैर ही छू लिए। यह अभूतपूर्व और अद्भुत घटना है, जब विश्व इतिहास में किसी राष्ट्र प्रमुख का सम्मान दूसरे देश के राष्ट्र प्रमुख ने पैर छूकर किया। इस दृश्य से जहाँ प्रत्येक भारतीय का मन गदगद है, वहीं भारत के विचार की पताका भी विश्व पटल पर थोड़ी और ऊंची हुई है। यह सम्मान केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नहीं है, अपितु उनके नेतृत्व में भारत का विचार जिस तरह प्रखर होकर विश्व के सम्मुख आ रहा है, यह उस भारतीय विचार का भी सम्मान है।

रविवार, 21 मई 2023

चंदेरी सिल्क की साड़ियों के लिए ही नहीं, प्राकृतिक सौंदर्य एवं ऐतिहासिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है

चंदेरी का प्रमुख पर्यटन स्थल-बादल महल / फोटो- लोकेन्द्र सिंह

मध्यप्रदेश के जिले अशोकनगर में बेतवा (बेत्रवती) एवं ओर (उर्वसी) नदियों के मध्य विंध्याचल की सुरम्य वादियों से घिरा ऐतिहासिक नगर चंदेरी और उसका दुर्ग हमारी धरोहर है। यह नगर महाभारत काल से लेकर बुंदेलों तक की विरासत को संभालकर रखे हुए है। चंदेरी न केवल अपनी समृद्धि की कहानियां सुनाता है अपितु अपनी सांस्कृतिक-धार्मिक विरासत, त्याग, प्रेम और शौर्य, समर्पण, वीरता एवं बलिदान की गाथाओं से भी पर्यटकों को गौरव की अनुभूति कराता है। वैसे तो यह छोटा-सा सुंदर शहर अपनी रेशमी साड़ियों (चंदेरी की साड़ियों) के लिए विश्व प्रसिद्ध है परंतु यहाँ का रमणीक वातावरण और स्थापत्य आपका मन मोह लेगा। सघन वन, ऊंची-नीची पहाड़ियां, तालाब, झील, झरने अविश्वसनीय रूप से चंदेरी के सौंदर्य को कई गुना बढ़ा देते हैं। चंदेरी उन सबको आमंत्रित करती है- जो प्रकृति प्रेमी हैं, जिनका मन अध्यात्म में रमता है, जो प्राचीन भवनों की दीवारों से कान लगाकर गौरव की गाथाएं सुनने में आनंदित होते हैं। चंदेरी उनको भी लुभाती है, जिन्हें कला और संस्कृति के रंग सुहाते हैं। चंदेरी किसी को निराश नहीं करती है। चैत्र-वैशाख की चटक गर्मी में भी चंदेरी ने मेरे घुमक्कड़ मन को शरद ऋतु की ठंडक-सा अहसाह कराया।

रविवार, 14 मई 2023

बस 'माँ'

माँ को समर्पित इस कविता को यहाँ सुनिए- बस माँ


सृष्टि को अभिव्यक्त करना हो

शब्दों से

खींचना हो उसका चित्र

शब्दों से

अनुभूति करना हो उसकी

शब्दों से


बेहद आसान है

सृष्टि को अभिव्यक्त करना

उसका चित्र खींचना

उसकी अनुभूति करना

शब्दों से

न्यूनतम शब्दों से

मात्र एक अक्षर से

शब्द से


कह दो, सुन लो, लिख दो

बस ‘माँ’


- लोकेन्द्र सिंह -

(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)


और कविताएं सुनने के लिए चटका लगाएं...

शनिवार, 13 मई 2023

द केरल स्टोरी : प्रतिबंध लगाकर सच को नहीं दबा पाएंगे


अपने समय के गंभीर सच को सामने लाने वाली साहसिक फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को लेकर कुछ राजनीतिक दलों, उनकी सरकारों और उनके समर्थक बुद्धिजीवियों ने एक रंग देने का प्रयास किया है जबकि यह फिल्म किसी संप्रदाय के विरुद्ध नहीं है अपितु यह तो आतंकवाद के क्रूरतम चेहरे को सामने लाने का काम कर रही है। जिस संप्रदाय से इस फिल्म को जोड़कर, फिल्म को दर्शकों तक पहुँचने से रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं, यह फिल्म उस संप्रदाय के लोगों को भी सजग करने का काम करती है। ऐसे में पश्चिम बंगाल की सरकार ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाकर एक तरह से स्त्रियों पर होनेवाले अमानवीय अत्याचार, एक घिनौनी मानसिकता से किए जानेवाले कन्वर्जन और आतंकवाद का पक्ष लिया है। आखिर यह सच सामने क्यों नहीं आना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुख्यात आतंकी संगठन या अन्य गिरोह किस तरह युवतियों को निशाना बना रहे हैं, कन्वर्जन कर रहे हैं और उनका शोषण कर रहे हैं?

गुरुवार, 4 मई 2023

‘द केरल स्टोरी’ से सामने आए कई सच

लव जिहाद, कन्वर्जन, आतंकवाद और सांप्रदायिकता के मुद्दे पर बनी फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को लेकर तथाकथित प्रगतिशील, मार्क्सवादी, माओवादी, लेनिनवादी और उनके साथ में तथाकथित सेकुलर बुद्धिजीवी हो-हल्ला मचा रहे हैं। फिल्म को दर्शकों तक पहुँचने से रोकने के लिए इस वर्ग ने एड़ी-चोटी का जोर लगा लिया है। फिल्म दर्शकों के सामने न जाए इसलिए इस पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गई। अच्छी बात यह है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सभी प्रकार के कुतर्कों को रद्द करते हुए ‘द केरल स्टोरी’ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कुल मिलाकर फिल्म अभी आई भी नहीं है, उससे पहले ही उसने तथाकथित सेकुलर गिरोह की कलई खोलकर रख दी है। अभिव्यक्ति और सिनेमाई स्वतंत्रता का झंडाबरदार यह समूह वास्तव में असहिष्णु और तानाशाही है। यह समूह वास्तव में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पक्षधर नहीं अपितु उसका विरोधी है।

मंगलवार, 2 मई 2023

‘लाडली लक्ष्मी उत्सव’ : बेटियों को प्रोत्साहित करती शिवराज सरकार

भोपाल से प्रकाशित दैनिक समाचारपत्र 'सुबह सवेरे' में 2 मई 2023 को प्रकाशित

मध्यप्रदेश में बेटियों को लेकर एक सकारात्मक एवं भावनात्मक वातावरण बन गया है। आज मध्यप्रदेश की बेटियां खूब पढ़ रही हैं और आगे बढ़ रही हैं। प्रत्येक कार्यक्षेत्र में भी अपना योगदान दे रही हैं। खेल के मैदान हों, या जोखिम भरी एवरेस्ट की चढ़ाई, बेटियों के कदमों को अब रोका नहीं जाता अपितु उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सब सहयोगी की भूमिका में हैं। लड़ाकू विमान उड़ानेवाली पहली महिला फाइटर पायलट में भी मध्यप्रदेश की बेटी का नाम शामिल है। बेटियां अपने पग से जल, थल, नभ को नाप रही हैं। मध्यप्रदेश में यह बदलाव अचानक नहीं आया है। बेटियों के लिए बना यह वातावरण ‘संकल्प से सिद्धि’ का उदाहरण है। बेटियों के प्रति संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक संकल्प लिया कि वे बेटियों को प्रोत्साहित करनेवाला वातावरण बनाएंगे। इसके लिए उनकी पहल पर 16 वर्ष पूर्व 1 अप्रैल 2007 को मध्यप्रदेश सरकार ने ‘लाडली लक्ष्मी योजना’ शुरू की। स्वयं को प्रदेश की बेटियों का ‘मामा’ घोषित करके ‘बेटी बचाओ’ का नारा दिया। मुख्यमंत्री का यह विचार इतना शक्तिशाली एवं प्रभावशाली था कि लोकप्रिय राजनेता नरेन्द्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने इस नारे को राष्ट्र का नारा बना दिया और ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का आह्वान किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश की सरकार यहीं नहीं रुकी, अपितु बेटियों को संरक्षण और संबल देने के लिए प्रयास अनेक स्तर पर किए गए। इस सबमें अधिक महत्वपूर्ण है कि उन्होंने इस मुद्दे पर जनता से सीधे और लगातार संवाद किया। जब एक जनप्रिय राजनेता नागरिक समाज से कोई आग्रह करता है, तब उसका सुफल परिणाम आने की संभावनाएं अधिक होती हैं।

सोमवार, 1 मई 2023

अहम् से वयम् की यात्रा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जनप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी पर ‘अपने मन के विचार’ आकाशवाणी, भोपाल से प्रसारित हुए

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जनप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी में देशवासियों के साथ आत्मीय संवाद किया। उनके इस संबोधन में भावुकता, अपनत्व और संवेदनशीलता झलकती है। असल में ‘मन की बात’ कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी के लिए बहुत महत्व रखता है, यह उनके दिल से जुड़ा हुआ कार्यक्रम है। प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह कोई कर्मकांड नहीं है, बल्कि वे पूरी सिद्धत के साथ ‘मन की बात’ करते हैं। देशभर से ऐसी घटनाओं और व्यक्तियों को चुनते हैं, जो तपस्या की तरह समाज हित में काम कर रहे हैं। अभावों में रहकर भी देश, समाज और प्रकृति को संवारने में जुटे हुए हैं। ‘मन की बात’ के माध्यम से ऐसे लोगों का देशवासियों से परिचय कराते समय कई बार प्रधानमंत्री भावुक हुए हैं। 100वें अंक में बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात को स्वीकार भी किया। उनका जिस प्रकार का स्वभाव और अंतःकरण है, उसके कारण यकीनन कई अवसर आते होंगे जब उनकी आंखें भर आती होंगी। उन्होंने अपने लंबे सामाजिक जीवन में वह सब देखा भी है, इसलिए उससे जुड़ना उनके लिए स्वाभाविक है।