मंगलवार, 16 नवंबर 2021

भारतीय मूल्यों एवं संस्कृति से जोड़ता है ‘जनजाति गौरव दिवस’

भारत सरकार ने भारत माता के महान बेटे बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को ‘जनजाति गौरव दिवस’ के रूप में मान्यता देकर प्रशंसनीय कार्य किया है। जनजाति समुदाय के इस बेटे ने भारत की सांस्कृतिक एवं भौगोलिक स्वतंत्रता के लिए महान संघर्ष किया और बलिदान दिया। अपनी धरती की रक्षा के लिए उन्होंने विदेशी ताकतों के साथ जिस ढंग से संघर्ष किया, उसके कारण समूचा जनजाति समाज उन्हें अपना भगवान मानने लगा। उन्हें ‘धरती आबा’ कहा गया। भगवान बिरसा मुंडा न केवल भारतीय जनजाति समुदाय के प्रेरणास्रोत हैं बल्कि उनका व्यक्तित्व हम सबको गौरव की अनुभूति कराता है। इसलिए उनकी जयंती सही मायने में ‘गौरव दिवस’ है।

सोमवार, 15 नवंबर 2021

माँ अन्नपूर्णा प्रतिमा की वापसी - सांस्कृतिक विरासत के प्रति प्रतिबद्ध मोदी सरकार


एक महत्वपूर्ण प्रयास केंद्र में भाजपानीत सरकार के आने के बाद से प्रारंभ हुआ है, जिसकी चर्चा व्यापक स्तर पर नहीं हुई है। केंद्र सरकार के लक्षित प्रयासों के कारण 2014 के बाद से 42 मूर्तियों को विदेशों से वापस लाया गया है। ये मूर्तियां पुरातात्विक महत्व की हैं और भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हैं। संस्कृति मंत्रालय एवं विदेश मंत्रालय के संयुक्त प्रयास भारत की विरासत के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को भी प्रकट करते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष ही लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में माँ अन्नपूर्णा की प्रतिमा को वापिस लाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की थी। लगभग 107 वर्ष पहले वाराणसी के मंदिर से चुराई गई माँ अन्नपूर्णा की प्रतिमा को कनाडा की ‘यूनिवर्सिटी ऑफ रिजायना’ के ‘मैकेंजी आर्ट गैलरी’ में रख दिया गया था। कला एवं सौंदर्य की दृष्टि से उत्क्रष्ट इस प्रतिमा को केंद्र सरकार कनाडा से वापस प्राप्त करने में सफल रही। केंद्र सरकार की ओर से 11 नवम्बर को उत्तरप्रदेश सरकार को यह प्रतिमा सौंपी गई। आगे हम सबने देखा कि उत्तरप्रदेश सरकार ने बहुत ही गरिमामयी आयोजन के साथ प्रतिमा को उसके मूल स्थान पर स्थापित कर दिया। नये भारत में यह एक सुखद परिवर्तन दिखाई दे रहा है कि सरकारें अब निसंकोच अपनी विरासत की पुनर्स्थापना कर रही हैं।

शुक्रवार, 12 नवंबर 2021

नायकों का सम्मान


देश के प्रतिष्ठित पुरस्कारों/सम्मानों को लेकर समाज में सकारात्मक चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोधी भी मन मारकर प्रशंसा करने को मजबूर हैं कि उन्होंने देश के वास्तविक नायकों को खोजकर उनका सम्मान करने की परंपरा प्रारंभ की है। सही मायने में अब पद्म पुरस्कारों को अधिक पात्र लोग मिल रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में जिन साधारण से दिखने वाले असाधारण लोगों को पद्म पुरस्कार दिए गए हैं, उससे पद्म पुरस्कारों का ही सम्मान अधिक बढ़ गया है। एक समय था जब ज्यादातर नामचीन और सत्ता के इर्द-गिर्द परिक्रमा करने वाले लोगों के हिस्से में ये पुरस्कार आते थे। सरकार 'अपने लोगों' को संतुष्ट एवं प्रसन्न करने के लिए उन्हें ये पुरस्कार देती थी। लेकिन अब दृश्य पूरी तरह बदल गया है। अपने काम से अलग पहचान बनाने वाले आम लोगों को पद्म पुरस्कार मिल रहे हैं।