तथाकथित किसान आंदोलन के नाम पर भारत विरोधी ताकतों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब करने का षड्यंत्र रचा, लेकिन भारत के नागरिकों ने अविलम्ब एकजुट प्रतिकार करके बता दिया कि हम भारत विरोधी किसी भी साजिश को सफल नहीं होने देंगे। यह भारत की शक्ति और उसकी सुंदरता है कि आम और प्रभावशाली, सभी लोगों ने भारत की आवाज को मजबूत किया। महाभारत का एक प्रसंग है, जिसमें संदेश दिया गया है कि – ‘वयं पंचाधिकं शतम्’। जो भारतीय संस्कृति में रचा-बसा है, वह इस संदेश को जीता है। उसे पता है कि भले ही हमारी आपस में असहमति है लेकिन बाहर के लिए हम सब एकजुट हैं। इसलिए अनेक असहमतियों के बाद भी विगत दिवस देश के सभी नागरिकों ने ‘भारत के विरुद्ध रचे गए प्रोपोगंडा’ का एक सुर में विरोध किया।
क्या आपको पता है कि तथाकथित बुद्धिजीवी भारत की छवि खराब करने वाले विमर्श का हिस्सा क्यों बनते हैं? #IndiaAgainstPropoganda #IndiaTogether
— लोकेन्द्र सिंह (Lokendra Singh) (@lokendra_777) February 4, 2021
ग्रीन बुक तो एक उदाहरण मात्र है...https://t.co/ZebVGweVnO
सुबह से जो लोग पॉप सिंगर रिहाना, पॉर्न स्टार मिया खलीफा, एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग और कमला हैरिस की भतीजी/भान्जी के ट्वीट पर लहालोट हो रहे थे, उनके प्रोपोगंडा की हवा ‘हम भारत के लोग’ में आस्था रखने वाले भारतीयों ने निकाल दी। भारत की ओर से इस बात पर आपत्ति की गई है कि एक अलग दुनिया में रहने वाले इन लोगों ने जमीनी सच्चाई को जाने बिना ही अपनी नाक भारत के आंतरिक मामले में घुसाई है। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर से लेकर अभिनेता अक्षय कुमार और एक सामान्य भारतीय नागरिक ने कहा कि “भारत की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जा सकता। आईए, भारत के विरुद्ध इस प्रोपोगंडा के सामने एकजुट होकर खड़े होते हैं”। विदेश मंत्रालय ने भी उचित ही प्रतिक्रिया दी कि “भारत की संसद ने व्यापक बहस और चर्चा के बाद, कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी कानून पारित किया। ये सुधार किसानों को अधिक लचीलापन और बाजार में व्यापक पहुँच देते हैं। ये सुधार आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से सतत खेती का मार्ग प्रशस्त करते हैं”।
यह सच है कि इन ‘सेलेब्रिटीज’ न तो कृषि सुधार कानूनों की एक पंक्ति पढ़ी है और न ही उन्हें किसानों की माँगों का ही पता है। उन्हें जो ट्वीट और पोस्टर दिया गया, उसे उन्होंने ट्वीट कर दिया। इस कॉपी-पेस्ट कर्म में अनजाने में स्वीडिश एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने इस अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र की पोल खोल दी। ग्रेटा ने भारत में जारी किसान आंदोलन के समर्थन की अपील करते हुए जो ट्वीट किया, उसमें उन्होंने एक ऐसे दस्तावेज को साझा कर दिया, जिससे स्पष्ट होता है कि किसान आन्दोलन एक सोची समझी रणनीति के साथ शुरू किया गया था और 26 जनवरी का उपद्रव भी इसी रणनीति का हिस्सा था। गूगल ड्राइव पर साझा की गई इस फाइल में इस तथाकथित किसान आंदोलन के आगे की रणनीति एवं सोशल मीडिया अभियान का क्रम और अन्य गतिविधियों का ब्योरा दर्ज है। इसके साथ ही इस दस्तावेज में यह तक उल्लेख है कि किसको क्या ट्वीट करना है और किन्हें टैग करना है। दरअसल, प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने कृषि सुधार कानूनों की सराहना की है। उन संस्थाओं को टैग करके उन पर दबाव बनाने की योजना भी उजागर हुई है।
इस दस्तावेज में भारत के कुछ मीडिया संस्थानों का भी जिक्र है, जो इस षड्यंत्र में उनके सहयोगी साबित हो सकते हैं। जैसे ही ग्रेटा ने यह ट्वीट किया, भारत विरोधी ताकतों की कलई खुल गई। आनन-फानन में ग्रेटा से यह ट्वीट हटवाया गया। हालाँकि, तब तक सच सामने आ चुका था। धीरे-धीरे ही सही, लेकिन इस आंदोलन के पीछे सक्रिय अराजक ताकतों का चेहरा सामने आता जा रहा है। वैसे भी राष्ट्रीय स्वाभिमान के पर्व ‘गणतंत्र दिवस’ पर हुई अराजकता और हिंसा के बाद से यह तथाकथित किसान आंदोलन अपनी नैतिकता खो चुका है। अब धीमे-धीमे जनसमर्थन और सहानुभूति से भी हाथ धो रहा है।
भारत के लिए आपकी आवाज महत्वपूर्ण है @BabitaPhogat जी। आप वास्तविक नायिका हैं, कोई रिहाना या मियां नहीं। #IndiaAgainstPropaganda #IndiaTogether https://t.co/aTr6DgFuv9
— लोकेन्द्र सिंह (Lokendra Singh) (@lokendra_777) February 3, 2021