- लोकेन्द्र सिंह
कवि के कोमल अंतस् से निकलती हैं कविताएं। इसलिए कविताओं में यह शक्ति होती है कि वह पढऩे-सुनने वाले से हृदय में बिना अवरोध उतर जाती हैं। कवि के हृदय से पाठक-श्रोता के हृदय तक की यात्रा पूर्ण करना ही मेरी दृष्टि में श्रेष्ठ काव्य की पहचान है। युवा कवि सुदर्शन व्यास के प्रथम काव्य संग्रह 'रिश्तों की बूंदें' में ऐसी ही निर्मल एवं सरल कविताएं हैं। उनकी कविताओं में युवा हृदय की धड़कन है, रक्त में ज्वार है, भावनाओं में संवेदनाएं हैं। सुदर्शन की कविताओं में अपने समाज के प्रति चेतना है, सरोकार है और सकारात्मक दृष्टिकोण है। उनकी कविताओं में दायित्वबोध भी स्पष्ट दिखता है। उनकी तमाम कविताओं में रिश्तों की सौंधी सुगंध उसी तरह व्याप्त है, जैसे कि पहली बारिश की बूंदें धरती को छूती हैं, तब उठती है- सौंधी सुगंध। उनके इस काव्य संग्रह की प्रतिनिधि कविता 'रिश्तों की बूंदें' के साथ ही 'अनमोल रिश्ते' और 'मुंह बोले रिश्ते' सहित अन्य कविताओं में भी रिश्तों गर्माहट को महसूस किया जा सकता है। कुल जमा एक सौ साठ पन्नों में समृद्ध सुदर्शन का काव्य संग्रह चार हिस्सों में विभक्त है। पहले हिस्से में श्रृंगार से ओत-प्रोत कविताएं हैं, दूसरे हिस्से में सामाजिक संदेश देती कविताएं शामिल हैं। वहीं, तीसरे और चौथे हिस्से में गीत और गज़ल को शामिल किया गया है। काव्य के व्याकरण की कसौटी पर यह कविताएं कितनी खरी उतरती हैं, वह आलोचक तय करेंगे, लेकिन भाव की कसौटी पर कविताएं चौबीस कैरेट खरी हैं। कविताओं में भाव का प्रवाह ऐसा है कि पढऩे-सुनने वाला स्वत: ही उनके साथ बहता है। सुदर्शन की कविताओं पर किसी प्रकार की 'बन्दिशें' नहीं हैं। उन्होंने लिखा भी है- 'बन्दिशें भाषा की होती हैं/ एहसासों की नहीं। बन्दिशें होती हैं शब्दों में/ भावनाओं में नहीं।' उनकी पहली कृति में एहसास/भाव बिना किसी बन्दिश के अविरल बहे हैं, सदानीरा की तरह।