स्वदेशी का विरोध करने वाले असल में भारत विरोधी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में ‘आत्मनिर्भर भारत का संकल्प’ लेने का बहुत महत्वपूर्ण आह्वान किया है। कोविड-19 ने हमें बहुत नुकसान पहुँचाया है, तो कई महत्वपूर्ण सबक भी दिए हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है- आत्मनिर्भरता का सबक। देश में जब लॉकडाउन था, तब प्रधानमंत्री मोदी ने देश को ‘लोकल फॉर वोकल’ का नारा दिया था, जिसका असर पिछले कुछ महीनों में देखा गया है। भारत के नागरिकों में स्वदेशी के प्रति भावना प्रबल हुई है। इस वर्ष बड़े त्यौहारों पर भी लोगों ने बाहरी कंपनियों की जगह स्थानीय उत्पाद खरीदने में रुचि दिखाई। यही कारण है कि हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। लॉकडाउन में काम-धंधा बंद होने से स्थानीय व्यावसायी और कामगारों के मन में उपजी निराशा ‘लोकल फॉर वोकल’ के कारण दूर हो रही है। यदि हम ही अपने उत्पादों को प्रोत्साहित नहीं करेंगे, तब देश आर्थिक तौर पर कैसे सशक्त होगा?
आश्चर्य होता है कि कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों को स्वदेशी को बढ़ावा देने से चिढ़ क्यों होती है? वे विदेशी कंपनियों के पक्षधर और स्वदेशी कंपनियों के विरोधी नजर आते हैं। स्वदेशी कंपनियों के विरुद्ध नकारात्मक वातावरण बनाने में बुद्धिजीवियों का एक वर्ग सदैव अग्रणी रहता है। उनके इस विमर्श को समझने की आवश्यकता है। यह मानसिक गुलामी की स्थिति है या फिर विदेशी फंडिंग का प्रभाव? दोनों ही स्थितियां त्याज्य हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के निर्माताओं और उद्योग जगत से आग्रह किया है कि “देश के लोगों ने मजबूत कदम आगे बढ़ाया है, वोकल फॉर लोकल आज घर-घर में गूंज रहा है। ऐसे में अब यह सुनिश्चित करने का समय है कि हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय हों। जो भी वैश्विक स्तर पर श्रेष्ठ है, उसे हम भारत में बनाकर दिखाएं। इसके लिए हमारे उद्यामी साथियों को आगे आना है। स्टार्टअप को भी आगे आना है”। प्रधानमंत्री मोदी के इस आह्वान में देश को आर्थिक शक्ति बनाने का बड़ा संकल्प शामिल है। आत्मनिर्भर भारत के शुभ संकल्प की पूर्ति में भारत के आम नागरिकों एवं सज्जनशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। स्वदेशी के विरुद्ध चलने वाले सभी प्रकार के नकारात्मक विमर्शों को निष्प्रभावी करके ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में आगे बढऩा होगा। अपने स्थानीय एवं स्वदेशी उद्यमियों को प्रोत्साहित करना होगा।
एक जनवरी पर नये कैलेंडर वर्ष के लिए संकल्प लेने का चलन बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक सकारात्मक विचार हमारे सामने रखा है कि क्या हम नये वर्ष में भारत में बने उत्पादों का उपयोग करने का संकल्प ले सकते हैं? उन्होंने कहा- “मैं देशवासियों से आग्रह करूंगा कि दिनभर इस्तेमाल होने वाली चीजों की आप एक सूची बनाएं। उन सभी चीजों की विवेचना करें और यह देखें कि अनजाने में कौन-सी विदेश में बनी चीजों ने हमारे जीवन में प्रवेश कर लिया है तथा एक प्रकार से हमें बंदी बना दिया है। भारत में बने इनके विकल्पों का पता करें और यह भी तय करें कि आगे से भारत में बने, भारत के लोगों के पसीने से बने उत्पादों का हम इस्तेमाल करें”।
स्वदेशी जागरण मंच का नारा है- ‘चाहत से देसी, जरूरत से स्वदेशी और मजबूरी में विदेशी’। स्वदेशी के इस सूत्र को ध्यान में रखकर हमें एक सूची बनानी चाहिए कि इस वर्ष हम किन स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करेंगे? यह भी सूची बना सकते हैं कि किन वस्तुओं को भारत में बनाए जाने की अपेक्षा आप भारत के निर्माताओं, उद्योग जगत और स्टार्टअप से करते हैं। इससे भारत का उद्योग जगत आपकी अपेक्षाओं से भी अवगत हो सकेगा। यदि हम सही में भारत को सशक्त करना चाहते हैं, तब हमें स्वदेशी के विचार को न केवल मजबूत बनाना होगा, बल्कि अपनी जीवन में भी उतारना होगा।