प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेश दौरे से आए एक दृश्य ने समूचे भारत को गौरव का अवसर दे दिया। प्रधानमंत्री मोदी एफआईपीआईसी के तीसरे अधिवेशन में शामिल होने के लिए ‘पापुआ न्यू गिनी’ पहुँचे थे। यहाँ प्रधानमंत्री मोदी का सभी शासकीय प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत-अभिनंदन किया गया। इस देश में सूर्यास्त के बाद शासकीय स्वागत नहीं किया जाता। परंतु जब प्रधानमंत्री मोदी यहाँ पहुँचे तब न केवल शाही स्वागत किया गया अपितु पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ने तो दो कदम आगे बढ़कर प्रधानमंत्री मोदी के पैर ही छू लिए। यह अभूतपूर्व और अद्भुत घटना है, जब विश्व इतिहास में किसी राष्ट्र प्रमुख का सम्मान दूसरे देश के राष्ट्र प्रमुख ने पैर छूकर किया। इस दृश्य से जहाँ प्रत्येक भारतीय का मन गदगद है, वहीं भारत के विचार की पताका भी विश्व पटल पर थोड़ी और ऊंची हुई है। यह सम्मान केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नहीं है, अपितु उनके नेतृत्व में भारत का विचार जिस तरह प्रखर होकर विश्व के सम्मुख आ रहा है, यह उस भारतीय विचार का भी सम्मान है।
उल्लेखनीय है कि भारत ने कोरोना महामारी के दौरान अपने नागरिकों को संभालने के साथ ही दुनिया के कमजोर एवं साधन सम्पन्न देशों के नागरिकों की भी सहायता की। पापुआ न्यू गिनी को भी भारत ने वैक्सीन, आवश्यक दवाएं एवं सहायता भेजी थी। उस समय भारत में ही मोदी विरोधी नेता एवं बुद्धिजीवी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस कदम पर सवाल उठा रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना की महामारी से अपने देश को बचाकर तब उन सब विरोधी नेताओं एवं बुद्धिजीवियों को गलत साबित किया था, आज पापुआ न्यू गिनी ने भी वही किया। याद हो कि कोरोना के भीषण त्रासदी मे जब पापुआ न्यू गिनी तकलीफ के दौर से गुजर रहा था, तब उसके पडोसी देश चीन ने मुंह फेर लिया था लेकिन बिना किसी अपेक्षा के भारत ने उसकी सहायता की। यह बात आज पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री कैसे भूल सकते थे। वे भारत के प्रति इतना अधिक कृतज्ञ थे कि भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के अनुरूप अपनी सहायता करनेवाले अग्रज के प्रति चरण छूकर सम्मान व्यक्त किया। हम कह सकते हैं कि मोदी जी के पैर छूना, कृतज्ञता व्यक्त करने का एक प्रयास है।
याद रखें कि लगभग डेढ़ हजार वर्ष पहले पुरुषपुर (आज का पेशावर) से पापुआ न्यू गिनी तक हिंदू संस्कृती का साम्राज्य था। भारत के लिए एक और गर्व का क्षण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पापुआ न्यू गिनी और फिजी ने अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया है। फिजी ने अपने देश के सम्मान ‘कम्पैनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी’ और पापुआ न्यू गिनी ने ‘द ग्रैंड कम्पैनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहु’ से प्रधानमंत्री मोदी को सम्मानित किया है। बहरहाल, भारत के प्रधानमंत्री के पैर छूने की इस छोटी सी घटना ने हमारी उस प्राचीन संस्कृति के धागों को पुनः मजबूत किया है। यह घटना उन सब मोदी विरोधियों को भी करारा जवाब है, जो अकसर सवाल उठाते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व के सबसे लोकप्रिय राजनेता हैं, ऐसा दावा करनेवाली सभी संस्थाएं गलत हैं। उन्हें याद रखना चाहिए कि इसी प्रवास के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो. बाइडन ने भी यह माना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र की लोकप्रियता बहुत अधिक है। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत के प्रधानमंत्री का ऑटोग्राफ माँगने की बात कहना भी इतिहास की पहली घटना है।
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी अगले महीने अमेरिका जानेवाले हैं और वहाँ इस अवसर पर व्हाइट हाउस में रात्रि भोज का आयोजन है, जिसका अनुमति पत्र प्राप्त करने के लिए व्हाइट हाउस में प्रतिदिन हजारों की संख्या में फोन कॉल आ रहे हैं। राष्ट्रपति जो. बाइडन ने कहा कि उन्होंने किसी राजनेता के प्रति ऐसा आकर्षण पहले कभी नहीं देखा। ऐसी लोकप्रियता तो केवल फिल्मी सितारों के लिए दिखायी देती है। प्रधानमंत्री मोदी के कारण विदेश में रहनेवाले भारतीय समाज का सम्मान एवं आत्मविश्वास भी कितना अधिक बढ़ गया है, इसकी अनुभूति समय-समय पर होती रहती है। अपने भारतीय होने की गौरव की अनुभूति से भरा प्रवासी भारतीय समाज प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान 18 जून को पूरे अमेरिका के 20 प्रमुख शहरों में ‘भारत एकता दिवस’ मार्च के साथ उनका स्वागत करने की योजना बना रहे हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत ही नहीं दुनिया के सबसे सम्मानित और लोकप्रिय राजनेता हैं। उनके कारण और उनके प्रयासों से आज विश्व पटल पर भारत भी सम्मान पा रहा है।
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