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भारतीय सेना ने प्रेसवार्ता में बताया कि आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तानी सेना के अधिकारी शामिल हुए। |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा था कि अगर पाकिस्तान ने आतंकवाद का साथ नहीं छोड़ा तो वह तबाह हो जाएगा। यह बात सौ फीसदी सच है। लेकिन पाकिस्तान कुत्ते की दुम की तरह है, जिसे बारह वर्ष भी पुंगी में रखेंगे, तो टेड़ी ही रहेगी। वह आतंकवाद का साथ छोड़ ही नहीं सकता। यह कहना सर्वथा उपयुक्त है कि पाकिस्तान और आतंकवाद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। पाकिस्तान को ‘आतंकिस्तान’ भी कहा जा सकता है। पाकिस्तानी सरकार ने भारतीय हमले में मारे गए आतंकवादियों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। अंतरराष्ट्रीय आतंकी मसूद अजहर के 14 आतंकी रिश्तेदार भारतीय सेना के हमले में मारे गए हैं। इस तरह पाकिस्तान की सरकार संयुक्त राष्ट्र की ओर से घोषित आतंकी मसूद अजहर को 14 करोड़ रुपये देने की तैयारी कर रही है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान यह भी साबित हो गया कि आतंकवादी समूह पाकिस्तानी सेना का हिस्सा हैं। अन्यथा क्या कारण था कि आतंकवादियों के जनाज में पाकिस्तान के बड़े अधिकारी पहुंचते। पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने भी मारे गए आतंकियों के प्रति अपनी शोक संवेदनाएं प्रकट कीं। पाकिस्तान सेना और आतंकियों के बीच के गठजोड़ को लेकर फोटो-वीडियो भी सामने आया है। इसमें पाकिस्तानी नेता और सैन्य अधिकारी, लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अब्दुल रऊफ के साथ जनाजे की नमाज पढ़ते दिख रहे थे। इस संदर्भ में पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने कहा है कि “वर्दीधारी पाकिस्तानी अधिकारी आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। यह दर्शाता है कि आतंकवादी और आईएसआई या पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के सदस्य के बीच कोई अंतर नहीं है”। पाकिस्तान की सेना के एक अधिकारी ने प्रेसवार्ता में यह भी स्वीकार किया है कि उनकी सेना का प्रशिक्षण इस्लामिक तौर-तरीकों के साथ ही होता है। जिहाद उनके प्रशिक्षण का हिस्सा है। संभव है कि पाकिस्तानी सेना इसी कारण कई बार बर्बर तौर-तरीके अपनाती है।
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पाकिस्तानी सेना के ये अफसर शामिल हुए आतंकवादियों के जनाजे में। स्रोत : भारतीय सेना |
कट्टरपंथी मुफ्ती तारिक मसूद ने भी कहा है कि हमारी सेना सेक्युलर नहीं है, हमारी सेना मजहबी सेना है। उसने और स्पष्ट करते हुए कहा कि “जो लोग पाकिस्तान के गद्दार हैं, वे ही हमारी सेना को सेकुलर कहते हैं। यह एक ऐसी सेना है जो शहादत का जुनून रखती है। इस्लाम और अल्लाह के नाम पर अपनी जान कुर्बान कर देती है”। तारिक मसूद ने पाकिस्तान की सेना का सच बयान किया है। यही कारण है कि पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी समूहों के साथ अच्छा तालमेल है। पाकिस्तान की सेना इन आतंकियों को प्रशिक्षण देती है, संरक्षण करती है, भारत में घुसपैठ कराती है और उनकी मौत पर आंसू भी बहाती है।
आतंकवादियों का पाकिस्तान में किस स्तर का वर्चस्व है, उसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि सीजफायर के बाद वहाँ आतंकी एवं कट्टरपंथी समूह खुलेआम रैलिया एवं सभाएं कर रहे हैं। कराची में ही 12 मई को हजारों कट्टरपंथी नेताओं और आतंकवादियों ने पाकिस्तान सेना के समर्थन में रैली की। इस रैली में लश्कर-ए-तैयबा और अहले सुन्नत वल जमात शामिल थे। दोनों ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी संगठन घोषित हैं। पाकिस्तान की फर्जी जीत का जश्न मनाते हुए रैली में आतंकियों और कट्टरपंथी नेताओं ने बुलेटप्रूफ कांच के पीछे खड़े होकर भारत विरोधी भाषण दिए। यह सब पाकिस्तान में खुलेआम चल रहा है। जिस देश की सरकार अपनी गरीब जनता के हिस्से का पैसा आतंकवादियों को देती हो, वहाँ आतंकवादी खुलेआम नहीं घूमेंगे, तो कहाँ घूमेंगे?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान ने पलटवार भी इसी वजह से किया था क्योंकि उसके सबसे बड़े आतंकी मसूद अजहर के खानदान सहित कई आतंकी मारे गए। आतंकियों के दबाव में आकर पाकिस्तान को भारत पर पलटवार करना पड़ा, जिसमें उसे बुरी तरह मुंह की खानी पड़ गई। कहना है कि पाकिस्तान कभी भी आतंक का साथ नहीं छोड़ सकता। इसलिए भारत को हमेशा सावधान और तैयार रहना होगा।
अच्छा... इसलिए अधिक बिलबिला रहा था 'आतंकिस्तान'। एक नहीं दो साले भी जहन्नुम निकल लिए थे। #OperationSindoor #IndiaPakistanWar pic.twitter.com/wwEf4iVNWe
— लोकेन्द्र सिंह (Lokendra Singh) (@lokendra_777) May 11, 2025