लोकप्रिय मुख्यमंत्री के सहारे महासमर में भाजपा
म ध्यप्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई हैं। रोमांच दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। दोनों मुख्य राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस, रथ पर सवार होकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं। भाजपा मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जनआशीर्वाद यात्रा निकाल रही है तो कांग्रेस भाजपा के खिलाफ परिवर्तन यात्रा। आरोप-प्रत्यारोप के शब्दवाण दोनों ओर से जारी हैं। दिग्गजों ने मचान कस लिए हैं। अभी आ रहीं बौछारें बता रही हैं बादल बहुत घने हैं। चुनाव घमासान होने हैं। मुकुट किसके माथे सजेगा, ये तो युद्ध के बाद ही पता चलेगा। फिर भी राजनीतिक विश्लेषण अपनी जगह हैं। अभी तक के सर्वेक्षण बता रहे हैं कि भाजपा इस बार भी शिव के सहारे चुनावी वैतरणी पार कर जाएगी। पांच बार लोकसभा सांसद रह चुके और पिछले आठ साल से प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह बेहद लोकप्रिय नेता हो गए हैं। प्रदेश के प्रत्येक जातिवर्ग, संप्रदाय, पुरुष-महिलाएं, आयुवर्ग उन्हें बराबर से अपना नेता मानते हैं।
प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान बेहद विनम्र हैं। उनके भाषण का लहजा मतदाताओं को अपने मोहपाश में बांध लेता है। घोषणाएं करने में तो उनकी कोई सानी नहीं है। सिर्फ घोषणाएं ही उनके खाते में नहीं हैं बल्कि तमाम लोक कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से भी उन्होंने मध्यप्रदेश की जनता का दिल जीता है। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के माध्यम से शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने वंचित, गरीब और पिछड़े लोगों के बीच जगह बनाई तो लाडली लक्ष्मी योजना ने तो उन्हें जगत मामा ही बना दिया। महिलाओं के हित की बात कर उन्होंने आधी आबादी को अपने हिस्से में कर लिया है। शिवराज सिंह चौहान जानते हैं कि अब समाज की वह स्थिति नहीं रही कि महिलाएं अपने पति के बताए निशान पर ठप्पा लगाएं। वे अपने विवेक का इस्तेमाल कर अपनी पसंद के नेता के नाम के आगे का बटन दबाकर वोट का उपयोग कर रही हैं। इसलिए महिलाओं के हित में सरकार के प्रयास शिवराज सिंह चौहान को एक बड़ा वोट बैंक उपलब्ध कराते हैं। घर के बुजुर्गों को भी खुश करने का इंतजाम मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना के जरिए शिवराज सिंह चौहान ने कर लिया है। शिक्षित बेरोजगार युवाओं को सरकार की गारंटी पर बैंक से लोन दिलाने की योजना से युवा भी शिवराज सरकार के करीब ही हैं। मुख्यमंत्री निवास पर अलग-अलग समुदाय और व्यवसाय से जुड़े लोगों को बुलाकर, यह संदेश देने की कोशिश की है कि किसी महाराजा का महल नहीं आपके ही बीच के एक आदमी का ठिकाना है, जिसके दरवाजे सारे समाज के लिए खुले हैं। शिवराज सिंह चौहान ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने पैदल-पैदल अपने प्रदेश को नाप लिया है। वे मतदाताओं के साथ जीवंत संपर्क कर अपनी जादूगरी दिखाते हैं। किसी बुजुर्ग या युवा के कंधे पर हाथ रखकर यह पूछ लेना कि दादा, सब कैसा चल रहा है? दोस्त, भविष्य की क्या योजना है? बड़ी बात है। इसी तरह तो जीतते हैं शिवराज सिंह चौहान लोगों का दिल। हालांकि शिवराज के मंत्रियों और विधायकों को लेकर खासा आक्रोश जनता में लेकिन मुख्यमंत्री की छवि और जनसंपर्क विरोध को काफी हद तक ठण्डा कर सकेगी, ऐसा माना जा रहा है। दस साल में भाजपा सरकार की ओर से शुरू की गई लोक कल्याणकारी योजनाओं को लेकर सरकार के मुखिया जनआशीर्वाद यात्रा लेकर जनता का आशीर्वाद लेने निकले हैं।
अभी हाल ही में आए सीएनएन-आईबीएन और एसडीएस के इलेक्शन ट्रैकर सर्वे में सामने आया कि मध्यप्रदेश के ८२ फीसदी लोग प्रदेश सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं। साथ ही ६४ प्रतिशत लोग चाहते हैं कि फिर से भाजपा की सरकार बने और शिवराज सिंह चौहान ही मुख्यमंत्री बनें। वर्ष २००९ में ४२ फीसदी वोट हासिल करने वाली भाजपा को २०१३ में ५० फीसदी वोट मिल सकते हैं जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत ४० से गिरकर ३२ रह सकता है। २३० विधायकों वाली मध्यप्रदेश की विधानसभा में फिलहाल भाजपा के १५२ सदस्य हैं जबकि कांग्रेस के ६६ विधायक ही विपक्ष में बैठ रहे हैं। इनमें से एक विधायक चौधरी राकेश चतुर्वेदी एक हाईवोल्टेज पॉलीटिकल ड्रामे का मंचन करने के बाद भाजपा में शामिल हो गए। शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव की हवा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चौधरी राकेश चतुर्वेदी ने ही निकाला दी। इससे पहले भी कांग्रेसी नेता शिवराज सिंह की लोकप्रियता से प्रभावित दिखते रहे हैं। शिवराज की लोकप्रिय नेता की छवि का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस के पास मुद्दे ही नहीं हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की बहन और कांग्रेस नेता वीणा सिंह ने कुछ समय पहले ही बयान दिया था कि शिवराज पूरे राज्य में लोकप्रिय भी हैं और गांवों तक सरकार की विकास योजनाएं पहुंचा रहे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराना बेहद मुश्किल होने वाला है।
भारतीय जनता पार्टी ने भी अपनी चुनावी रणनीति बनाने के लिए सरकार के कामकाज, मंत्री-विधायकों की स्थिति, लोकप्रिय नेता सहित सीटवार सर्वे कराया था। सर्वे में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़ों ने भाजपा नेताओं की नींद उड़ा दी है। सर्वे के मुताबिक उत्तरप्रदेश से सटे विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के लिए बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। प्रदेश की १५५ सीटों पर भाजपा की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है। यहां के विधायक-मंत्री के कामकाज से जनता संतुष्ट नहीं है। क्षेत्र के विकास को लेकर विधायकों की बेपरवाह बने रहने की आदत, भ्रष्टाचार के आरोप, भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगने से जनता में आक्रोश है। यहां साफतौर पर एंटी इन्कम्बेंसी फैक्टर का असर दिख रहा है। महज प्रदेश के ५९ विधायकों को कोई खतरा नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक ये ५९ विधायक सौ फीसदी जीतकर आएंगे। हालांकि यह भी है कि सर्वे में ७० फीसदी लोगों ने सरकार के कामकाज से संतुष्टि जाहिर की है। ऐसे में स्पष्ट होता है कि स्थानीय विधायकों को लेकर तो आक्रोश है लेकिन लोग इसी सरकार को फिर से जीतते देखना चाहते हैं। सर्वे में भी शिवराज सिंह भाजपा के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता माना गया है। भाजपा सर्वे को गंभीरता से लेती है तो तीसरी बार सरकार बनाने के लिए संगठन को कई विधायकों और मंत्रियों के टिकट काटने पड़ेंगे। सर्वे में भाजपा को सबसे अधिक खतरा ज्योतिरादित्य सिंधिया से बताया गया है। युवाओं में सिंधिया का क्रेज देखने को मिला है। ज्योतिरादित्य की बढ़ती लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण उनके युवा होने और ईमानदार इमेज को बताया जा रहा है। प्रदेश की राजनीति में भी सिंधिया का अच्छा-खासा दखल है। यही कारण है कि जनआशीर्वाद यात्रा में शिवराज सिंह के निशाने पर दिग्विजय सिंह और राहुल सिंह के साथ-साथ प्रमुखता से ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हैं। वे जनता के बीच भाषण देते समय मंच से बोलते हैं कि मैं किसान का बेटा हूं, आपके बीच का ही हूं, सामंत और राजा-महाराजा नहीं। अभी आप सहज मुझसे मिलने आ सकते हो, मुख्यमंत्री निवास के दरवाजे आपके किसान बेटे ने खोल रखे हैं। क्या सामंत और राजा-महाराज के शासनकाल में यह संभव था या संभव होगा। आप ही तय करें कि किसे मुख्यमंत्री बनाएंगे, अपने बीच के आदमी को या राजा-महाराजाओं को। आपके दु:ख-दर्द को समझने वाले को या फिर महलों से राजनीति करने वालों को। गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा तो समझ रही है कि कांग्रेस ज्योतिरादित्य को सीएम प्रोजेक्ट करके चुनावी मैदान में उतरती है तो तीसरी बार सरकार बनाना आसान नहीं होगा। लेकिन, गुटों में बंटी कांग्रेस यह समझ नहीं पा रही है। भले कांग्रेस हार जाए लेकिन गुटबाज एक-दूसरे की टांग खींचने से बाज नहीं आने वाले। ज्योतिरादित्य को सीएम प्रोजेक्ट करने के लिए सोनिया गांधी के दरबार में सिंधिया समर्थकों का पहुंचना और फिर इस घटना से उठा बवंडर यही बताता है कि प्रदेश की कुर्सी संभालने के लिए कांग्रेस में अलग-अलग गुट सक्रिय हैं। कह सकते हैं कि सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठ। मध्यप्रदेश कांग्रेस दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुरेश पचौरी के खेमे में बंटी है। अब तक दिग्विजय सिंह के गुट में शामिल रहे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और वर्तमान नेता प्रतिपक्षा अजय सिंह भी अपनी टीम बना रहे हैं। सभी गुटों का प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में प्रभाव है। दिग्विजय सिंह के गुट का प्रभाव राधौगढ़, सतना, रीवा और झाबुआ सहित आसपास के क्षेत्र में है। इसी तरह दूसरे सबसे प्रभावी और बड़ा गुट सिंधिया का है। सिंधिया का प्रभाव क्षेत्र ग्वालियर-चंबल बेल्ट, इंदौर और मालवा के कुछ क्षेत्रों में है। कमलनाथ और सुरेश पचौरी के गुट बेहद छोटे हैं और इनका प्रभाव क्षेत्र भी सीमित हैं। दोनों को मास लीडर भी नहीं माना जाता है। ऐसे में यदि कांग्रेस के गुट जल्द ही एकसाथ आकर भाजपा को हराने के लिए मोर्चाबंदी नहीं करते हैं तो विधानसभा-२०१३ में जीत कांग्रेस के लिए दूर की कौड़ी साबित होने वाली है।
प्रदेश में फिलहाल तो कांग्रेस एकजुट नहीं दिख नहीं रही है। न ही निकट भविष्य में इसकी संभावनाएं नजर आ रही हैं। राहुल गांधी इस मसले पर कांग्रेस के चारों क्षत्रपों को ताकीद दे चुके हैं। प्रदेश में कार्यकर्ताओं से बातचीत के दौरान छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी से कहा कि प्रदेश में कांग्रेस एक नहीं है। प्रत्याशी चुनने से पहले कार्यकर्ताओं की राय नहीं ली जाती। बंद कमरों में चंद लोग अपने गुट के आदमी को टिकट थमाकर चुनावी मैदान में उतार देते हैं जबकि उसका न तो कोई जनाधर होता है और न ही कार्यकर्ता ही उसे पसंद करते हैं। भाजपा को परास्त करना है तो कांग्रेस की एकजुटता के लिए प्रयास किए जाएं। जबर्दस्त गुटबाजी कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी है और कांग्रेस की यह कमजोरी ही भाजपा की सबसे बड़ी ताकत बन गई है। इधर, भाजपा अपने लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और लोककल्याणकारी योजनाओं के सहारे जनता को आकर्षित कर रही है और जमकर कांग्रेस पर हमला बोल रही है।