स्वराज्य 350 : सुनिये, श्रीशंभू छत्रपति महाराज (संभाजी महाराज) की मानवंदना
पुणे के समीप वढू में छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र एवं उनके उत्तराधिकारी छत्रपति शंभूराजे का समाधि स्थल है। यह स्थान छत्रपति शंभूराजे के बलिदान की कहानी सुनाता है। उनका जीवन हिन्दवी स्वराज्य के विस्तार और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए समर्पित रहा है। शंभूराजे अतुलित बलशाली थे। कहते हैं कि उनके पराक्रम से औरंगजेब परेशान हो गया था और उसने कसम खायी थी कि जब तक शंभूराजे पकड़े नहीं जाएंगे, वह सिर पर पगड़ी नहीं पहनेगा। परंतु शंभूराजे को आमने-सामने की लड़ाई में परास्त करके पकड़ना मुश्किल था। इसलिए औरंगजेब सब प्रकार के छल-बल का उपयोग कर रहा था। अंतत: औरंगजेब की एक साजिश सफल हुई और छत्रपति शंभूराजे एवं उनके मित्र कवि कलश उसकी गिरफ्त में आ गए।
वढू स्थित छत्रपति शंभूराजे का समाधि स्थल / फोटो : लोकेन्द्र सिंह |
औरंगजेब ने शंभूराजे को कैद करके अकल्पनीय और अमानवीय यातनाएं दीं। औरंगजेब ने जिस प्रकार की क्रूरता दिखाई, उसकी अपेक्षा एक मनुष्य से नहीं की जा सकती। कोई राक्षस ही उतना नृशंस हो सकता था। इतिहासकारों ने दर्ज किया है कि शंभूराजे की जुबान काट दी गई, उनके शरीर की खाल उतार ली गई, आँखें फोड़ दी थी। औरंगजेब इतने पर ही नहीं रुका, उसने शंभूराजे के शरीर के टुकड़े-टुकड़े करवाकर नदी में फिंकवा दिए थे।