मंगलवार, 21 मार्च 2023

‘धर्मवीर’ छत्रपति शंभू राजे के शौर्य और बलिदान की कहानी सुनाता है उनका समाधि स्थल

स्वराज्य 350सुनिये, श्रीशंभू छत्रपति महाराज (संभाजी महाराज) की मानवंदना

पुणे के समीप वढू में छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र एवं उनके उत्तराधिकारी छत्रपति शंभूराजे का समाधि स्थल है। यह स्थान छत्रपति शंभूराजे के बलिदान की कहानी सुनाता है। उनका जीवन हिन्दवी स्वराज्य के विस्तार और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए समर्पित रहा है। शंभूराजे अतुलित बलशाली थे। कहते हैं कि उनके पराक्रम से औरंगजेब परेशान हो गया था और उसने कसम खायी थी कि जब तक शंभूराजे पकड़े नहीं जाएंगे, वह सिर पर पगड़ी नहीं पहनेगा। परंतु शंभूराजे को आमने-सामने की लड़ाई में परास्त करके पकड़ना मुश्किल था। इसलिए औरंगजेब सब प्रकार के छल-बल का उपयोग कर रहा था। अंतत: औरंगजेब की एक साजिश सफल हुई और छत्रपति शंभूराजे एवं उनके मित्र कवि कलश उसकी गिरफ्त में आ गए। 

वढू स्थित छत्रपति शंभूराजे का समाधि स्थल / फोटो : लोकेन्द्र सिंह

औरंगजेब ने शंभूराजे को कैद करके अकल्पनीय और अमानवीय यातनाएं दीं। औरंगजेब ने जिस प्रकार की क्रूरता दिखाई, उसकी अपेक्षा एक मनुष्य से नहीं की जा सकती। कोई राक्षस ही उतना नृशंस हो सकता था। इतिहासकारों ने दर्ज किया है कि शंभूराजे की जुबान काट दी गई, उनके शरीर की खाल उतार ली गई, आँखें फोड़ दी थी। औरंगजेब इतने पर ही नहीं रुका, उसने शंभूराजे के शरीर के टुकड़े-टुकड़े करवाकर नदी में फिंकवा दिए थे।

शनिवार, 18 मार्च 2023

राज्याभिषेक के 350वें वर्ष का स्मरण जगाएगा ‘स्व’ का भाव

स्वराज्य 350


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की ओर से शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350वां वर्ष प्रारंभ होने पर वक्तव्य जारी करके स्वयंसेवकों एवं समाज के सभी बंधुओं से आह्वान किया है कि इस संदर्भ में होनेवाले कार्यक्रमों में सहभागिता करें। प्रतिनिधि सभा की ओर से माननीय सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय जी होसबाले के आह्वान का अधिकतम अनुपालन होना चाहिए। राज्याभिषेक को केंद्र में रखकर जो कार्यक्रम आयोजित हों, उनमें हमें सहभागिता करने के साथ ही अपने स्तर पर भी राज्याभिषेक की घटना के महत्व को प्रकाश में लाकर, ‘स्व’ की भावना को जगाने में सहयोग करना चाहिए। समूचा देश जब स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की ऐतिहासिक घटना का स्मरण करना इसलिए भी प्रासंगिक होगा कि हम ‘स्वराज्य’ की संकल्पना को सही अर्थों में समझ पाएंगे।

गुरुवार, 16 मार्च 2023

भविष्य के भारत के लिए दिशा-संकेत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के समय से ही समाजहित में सक्रिय है। भले ही राजनीतिक दल और उनके कुछ नेता संघ के बारे में भ्रामक प्रचार करें, लेकिन समाज में संघ की जो छवि बनी है, वह राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से परे है। देश-दुनिया में जब कोरोना जैसी महामारी आई थी, तब जहाँ भी संघ के कार्यकर्ता थे, उन्होंने निर्भय होकर लोगों की सहायता की, उनका हौसला बढ़ाया। कहने का अभिप्राय यही है कि जब भी समाज को संभालने की आवश्यकता होती है, संघ के कार्यकर्ता सबसे आगे खड़े होते हैं। आज जब भौतिकता अत्यधिक तेजी से हावी हो रही है, तब भारतीय समाज को सुदृढ़ करने की चिंता हर किसी के मन में है। संघ ने इस चुनौती को स्वीकार किया है। आधुनिकता के साथ कैसे हम अपनी जड़ों से जुड़े रहें, इस दिशा में संघ पहले से ही कार्य कर रहा था, अब उसकी गति बढ़ाने का निर्णय किया गया है। संघ की निर्णायक संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक हरियाणा में सम्पन्न हुई है, जिसमें निर्णय लिया गया है कि संघ आगामी समय में सामाजिक परिवर्तन के पांच आयामों पर अपने कार्य को अधिक केन्द्रित करेगा। इन पांच आयामों में सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी आचरण, नागरिक कर्तव्य सम्मिलित हैं। यह पांच आयाम अत्यधिक महत्व के हैं।

शुक्रवार, 10 मार्च 2023

‘हिन्दवी स्वराज्य’ की संकल्पना का आधार 'स्व'

 स्वराज्य 350श्रीछत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती (चैत्र कृष्ण पक्ष तृतीया, 10 मार्च, 2023) प्रसंग पर विशेष

हिन्दवी स्वराज्य की राजधानी दुर्गदुर्गेश्वर श्री रायगढ़ पर राजदरबार में महाराजाधिराज श्रीशिव छत्रपति की सिंहासनारूढ़ प्रतिमा / Photo : Lokendra Singh

भारतवर्ष जब दासता के मकड़जाल में फंसकर आत्मगौरव से दूर हो गया था, तब शिवाजी महाराज ने ‘हिन्दवी स्वराज्य’ की घोषणा करके भारतीय प्रजा की आत्मचेतना को जगाया। आक्रांताओं के साथ ही तालमेल बिठाकर राजा-महाराज अपनी रियासतें चला रहे थे, तब शिवाजी महाराज ने केवल शासन के सूत्र मुगलों से अपने हाथ में लेने के लिए बिगुल नहीं फूंका था अपितु उन्होंने वास्तविक अर्थों में स्वराज्य की प्रेरणा जगायी। अकसर हम आर्तस्वर में कहते हैं कि 1947 में हमने सत्ता तो प्राप्त कर ली थी लेकिन तत्काल बाद स्वराज्य की ओर कदम नहीं बढ़ाये थे। अंग्रेजों की बनायी व्यवस्थाओं को ही हम ढोते रहे। यहाँ तक कि हम अपनी भाषा को प्रधानता नहीं दे सके। पिछले कुछ वर्षों में अवश्य ही हमने स्वराज्य की ओर कुछ कदम बढ़ाये हैं। जबकि शिवाजी महाराज ने हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना के साथ ही सब प्रकार की प्रशासनिक व्यवस्थाएं ‘स्व’ के आधार पर बनायी। उन्होंने जिस राज्य की स्थापना की, उसे भोंसले राज्य, कोंकण राज्य या मराठी राज्य नहीं कहा अपितु उसे उन्होंने नाम दिया ‘हिन्दवी स्वराज्य’ और जिस साम्राज्यपीठ की स्थापना की, उसे कहा- ‘हिन्दू पदपादशाही’। यानी उन्होंने स्वराज्य को स्वयं की निजी पहचान से नहीं अपितु भारत की संस्कृति से जोड़ा। इसी तरह उन्होंने कभी नहीं कहा कि हिन्दवी स्वराज्य की उनकी अपनी संकल्पना है अपितु श्रीशिव ने तो जन-जन में स्वराज्य के भाव की जाग्रति के लिए कहा- “हिन्दवी स्वराज्य ही श्रींची इच्छा”। अर्थात् यह हिन्दवी स्वराज्य की इच्छा ईश्वर की इच्छा है।

बुधवार, 8 मार्च 2023

महिला सशक्तिकरण पर जोर देती शिवराज सरकार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने महिला सशक्तिकरण के उल्लेखनीय प्रयास किए हैं, उसी शृंखला में ‘लाडली बहना योजना’ को देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर आम नागरिकों के बीच प्रतीक्षा भी बहुत थी और चर्चा भी। बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जो इसे आगामी चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। चुनावी वर्ष में सरकार कोई भी पहल करे, उसे चुनाव से जोड़कर देखा जाना स्वाभाविक ही है। परंतु यह अवश्य स्मरण रखना चाहिए कि शिवराज सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए प्रारंभ से नवाचार करती रही है। बेटियों की पढ़ाई, उनके पोषण एवं भविष्य में विवाह इत्यादि में आर्थिक सहयोग की दृष्टि से सरकार ने अनेक योजनाएं प्रारंभ की हैं। सरकारी योजनाओं से इतर भी प्रदेश में बेटियों को लेकर सामाजिक सोच में बदलाव लाने का क्रांतिकारी परिवर्तन भी शिवराज सरकार ने किया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान अपने भाषणों में नियमित तौर पर बेटियों के प्रति समान और सम्मान का भाव रखने का आग्रह करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में बेटियों के प्रति समाज में जो सकारात्मक वातावरण दिखायी देता है, उसकी अनुभूति सब कर पा रहे हैं।