भारत की नयी संसद की पहली झलक / First Look of New Parliament Building
स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भारत को अमृतकाल में उसका नया और स्वदेशी संसद भवन मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब धर्मदंड ‘सेंगोल’ को नवीन संसद के लोकसभा में अध्यक्ष की आसंदी के समीप स्थापित किया तब भारत के इतिहास में दिनांक 28 मई, 2023 सदैव के लिए अंकित हो गई है। लोकसभा की आसंदी के समीप स्थापित यह सेंगोल हमारे राजनेताओं को प्रेरणा देगा। महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्यपथ, सेवापथ और राष्ट्रपथ का प्रतीक माना जाता था। राजादी और आदीनम के संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था। यह सेंगोल भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था लेकिन उस समय इसे यथोचित सम्मान और स्थान नहीं दिया गया। बल्कि सिंगोल की प्रतिष्ठा गिराते हुए उसे आनंद भवन में बनाए गए संग्रहालय में ‘चलने में सहायक छड़ी’ के रूप में प्रदर्शित किया गया। माना कि पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय परंपराओं एवं धर्म से दूरी बनाकर चलते थे, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं होना चाहिए था कि धार्मिक, सांस्कृतिक एवं भावनात्मक महत्व के ‘सेंगोल’ की उपेक्षा इस तरह की जानी चाहिए थी।