रविवार, 14 मई 2023

बस 'माँ'

माँ को समर्पित इस कविता को यहाँ सुनिए- बस माँ


सृष्टि को अभिव्यक्त करना हो

शब्दों से

खींचना हो उसका चित्र

शब्दों से

अनुभूति करना हो उसकी

शब्दों से


बेहद आसान है

सृष्टि को अभिव्यक्त करना

उसका चित्र खींचना

उसकी अनुभूति करना

शब्दों से

न्यूनतम शब्दों से

मात्र एक अक्षर से

शब्द से


कह दो, सुन लो, लिख दो

बस ‘माँ’


- लोकेन्द्र सिंह -

(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)


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