भाषायी पत्रकारिता पर मीडिया विमर्श का एक और महत्वपूर्ण प्रयास
- लोकेन्द्र सिंह -
पत्रकारिता एवं संचार क्षेत्र से जुड़े लोगों को मीडिया विमर्श के प्रत्येक अंक का बेसब्री से इंतजार रहता है। मीडिया विमर्श का प्रत्येक अंक न केवल अपने पाठकों एवं प्रबुद्ध वर्ग की कसौटी पर खरा उतरता है, बल्कि और अधिक अपेक्षाएं बढ़ा देता है। 12 वर्ष से यह क्रम जारी है। एक के बाद एक महत्वपूर्ण विशेषांक हमारे सामने आए हैं। इस सबके पीछे मीडिया विमर्श के कार्यकारी संपादक प्रो. संजय द्विवेदी हैं।
भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता की समृद्ध विरासत और प्रयोगों को हिंदी जगत के सामने लाने का उल्लेखनीय कार्य भी मीडिया विमर्श के माध्यम से प्रो. संजय द्विवेदी ने अपने हाथों में संभाल रखा है। वह सबसे पहले उर्दू पत्रकारिता पर चर्चित विशेषांक लेकर आए। उसके बाद गुजराती पत्रकारिता पर एक उल्लेखनीय विशेषांक उपलब्ध कराया। अब नये विशेषांक के माध्यम से उन्होंने हिंदी मीडिया के जगत को तेलुगु मीडिया से परिचित कराने का प्रयत्न किया है।
हम सब जानते हैं कि तेलुगु भाषा का एक बड़ा परिवार है। तेलुगु भारत की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है। भारत में तेलुगु बोलने वालों की संख्या 15 करोड़ से अधिक है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के अलावा संपूर्ण भारत में तेलुगु भाषी रहते हैं। यही नहीं, भारत के बाहर भी तेलुगु बोलने वालों की बड़ी संख्या है। ऐसे में तेलुगु मीडिया को समझना और उसको जानना जरूरी हो जाता है। इस काम में मीडिया विमर्श का यह अंक बहुत ही सहयोगी और महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।
तेलुगु मीडिया विशेषांक के अतिथि संपादक हैं- सी. जयशंकर बाबु, जिन्हें अकसर हम मीडिया विमर्श में पढ़ते रहे हैं। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाहन किया है। तेलगू मीडिया के विविध आयामों पर इस विशेषांक में सामग्री है। भारतीय भाषायी पत्रकारिता का जगत कितना वृहद और समृद्ध है, यह समझाने में मीडिया विमर्श की यह श्रृंखला साधुवाद की पात्र है। मीडिया विमर्श की यह श्रृंखला अनवरत चलती रहनी चाहिए... यही शुभकामनाएं हैं।
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मीडिया विमर्श के "तेलुगु मीडिया विशेषांक" पर यूट्यूब चैनल "अपना वीडियो पार्क" में चर्चा देखिये....