मंगलवार, 4 जुलाई 2023

स्कूल की छुट्टियां

 School ki Chhuttiyan | बचपन की याद दिलाती यह कविता


स्कूल के दिनों, बच्चे

करते थे प्रतीक्षा

अपनी छुट्टियों की, ताकि

समुद्र के किनारे वाले शहर में

या खूबसूरत वादियों के देश

जा सकेंगे घूमने

आई-बाबा के साथ।


परन्तु, मेरे लिए तो

मेरे गाँव का तालाब ही

किसी गोवा का समुद्र था

और सूखा-नंगा पहाड़

हिमालय का उत्तुंग शिखर।

खलियान तो जैसे

कुछ दिन के लिए

लॉर्ड्स का क्रिकेट मैदान

बन जाया करता था।


अपने सपने में

आया नहीं कभी

मनाली का फैमिली टूर भी

फिर लॉस एंजिल्स,

वेल्स के जंगल, हवाई

और इटली का लेक गार्डा तो

बहुत दूर की बात थी।


अपन राम के लिए तो

बजरंग मंदिर और

उसके औघड़ बगीचे में

स्वर्ग के सुख से बढ़कर थी

दाल-टिक्कर की पार्टी।

चढ़ना ऊंचे पेड़ों पर

लांघना खेतों की मेड़

खंडहर किले में खोजना रहस्य

अपने लिए तो यही थी

माचू-पिचू की साहसिक यात्रा। 


कवि लोकेन्द्र सिंह की और कविताएं देखने-सुनने के लिए क्लिक करें- मेरी कविताएं

कवि लाेकेन्द्र सिंह

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