सोमवार, 28 जून 2021

टीकाकरण में मध्यप्रदेश का कीर्तिमान

CoWIN Portal से प्राप्त आंकड़े

मध्यप्रदेश की सरकार और जनता ने वह काम कर दिखाया है, जिसकी वर्तमान समय में अत्यधिक आवश्यकता है। मध्यप्रदेश में कोरोना टीकाकरण को लेकर समाज में जिस प्रकार की जागरूकता आई है, उससे कोरोना महामारी को हराने एवं संक्रमण की तीसरी आवृत्ति को रोकने में सफलता मिलने की संभावना बढ़ गई है। 21 जून से प्रारंभ हुए कोरोना टीकाकरण महाभियान के अंतर्गत मध्यप्रदेश के नागरिक लगातार कीर्तिमान रच रहे हैं। टीकाकरण महाभियान के पहले दिन ही 21 जून को मध्यप्रदेश में मात्र 10 घंटे में लगभग 16 लाख 95 हजार लोगों को टीका लगाने का इतिहास रच दिया था। उस दिन मध्यप्रदेश टीकाकरण में देश के अन्य सभी राज्यों से बहुत आगे खड़ा था। इतना ही नहीं, अभी तक एक दिन में इतनी संख्या में दुनिया के किसी भी शहर में टीकाकरण नहीं हुआ है। मध्यप्रदेश की इस उपलब्धि को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। 

अच्छी बात यह है कि मध्यप्रदेश के नागरिक यह रिकॉर्ड अपने नाम करके रुक नहीं गए, बल्कि उसके बाद भी टीकाकरण को लेकर प्रदेश में उत्साह का वातावरण है। महाभियान के अंतर्गत 23 जून को मध्यप्रदेश में 11 लाख 37 हजार 888 लोगों को टीका लगाया गया, उस दिन भी मध्यप्रदेश टीकाकरण में शीर्ष पर रहा। जबकि 24 जून को 7 लाख 48 हजार 611 लोगों ने टीकाकरण कराया। वहीं, 26 जून को टीकाकरण में मध्यप्रदेश ने फिर कीर्तिमान रचा। इस दिन प्रदेश में 10 लाख 719 लोगों को कोरोनारोधी टीका लगाया गया। कुल मिलाकर टीकाकरण महाभियान में मध्यप्रदेश लगातार देश-दुनिया में शीर्ष पर बना हुआ है। 

विपक्षी राजनीतिक दलों एवं उनके सहयोगी बुद्धिजीवियों द्वारा अनेक प्रकार के भ्रम उत्पन्न करने के बाद भी टीकाकरण को लेकर मध्यप्रदेश में जो विश्वास और उत्साह का वातावरण बना है, उसके पीछे कहीं न कहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की सक्रियता एवं उसके प्रति जनता का विश्वास है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने महाभियान से पूर्व टीकाकरण के प्रति जनजागरण, उत्साह एवं विश्वास का वातावरण बनाने के लिए संपूर्ण समाज का सहयोग माँगा। उन्हें समाज का सहयोग मिला भी। सामान्य नागरिकों से लेकर प्रभावशाली लोगों ने टीकाकरण के प्रति लोगों को प्रेरित करने का जो सामाजिक दायित्व निभाया, उसकी सराहना करनी होगी। प्रदेश के जिम्मेदार नागरिकों को यह दायित्व तब तक निभाना है, जब तक कोरोना पूरी तरह समाप्त न हो जाए। याद रखें कि कोरोना के विरुद्ध हम प्रत्येक लड़ाई को जनजागरूकता से ही जीत सकते हैं। 

मध्यप्रदेश में कोरोना के मामले एक हजार से भी कम हो गए हैं। 35 जिलों में एक भी नया मामला सामने नहीं आया है। वहीं, विगत सात दिनों से संक्रमण की दर 0.1 प्रतिशत है। इसके बाद भी हमें अभी सावधानी छोडऩी नहीं है। हमें स्वयं तो कोरोना नियमों का पालन करना है, अपने आसपास भी अन्य लोगों को सचेत करते रहना है। कोरोना महामारी की पहली लहर हो या फिर उसकी पुनरावृत्ति, दोनों ही अवसरों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उनकी सरकार ने जिस सक्रियता से काम किया, उसकी सराहना राजनीतिक स्वार्थ, विचारधारा एवं असहमतियों से ऊपर उठकर की जानी चाहिए। उम्मीद है कि प्रदेश में जागरूकता का यह वातावरण बना रहेगा।

शनिवार, 19 जून 2021

झूठ के सहारे सांप्रदायिक तनाव की साजिश

गाजियाबाद में ‘जय श्रीराम’ नहीं कहने पर एक मुस्लिम बुजुर्ग के साथ मारपीट की गई और उसकी दाढ़ी काट दी गई। इस आशय का एक वीडियो वायरल कर देश की तथाकथित सेकुलर बिरादरी ने एक बार फिर भारत और हिन्दू धर्म पर हमला बोल दिया। देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के उद्देश्य से फैलाए गए इस झूठ को उन तथाकथित पत्रकारों एवं वेबसाइट्स ने भी साझा किया, जो स्वयं को ‘फैक्ट-चेकर’ (Fact Checker) बताते हैं। ‘कौव्वा कान ले गया’ की तर्ज पर विपक्षी दलों के नेता लोग भी इस झूठ को ले उड़े। मानो कि हिन्दू समाज को कठघरे में खड़ा करने के लिए ये लोग तैयार बैठे रहते हैं। गाजियाबाद पुलिस ने तत्काल मामले की पड़ताल कर यह स्पष्ट कर दिया कि यह आपसी विवाद का मामला है और उसमें आरोपी सिर्फ हिन्दू नहीं है बल्कि तीन मुस्लिम (आरिफ, आदिल और मुशाहिद) भी पकड़े गए हैं, जिन्होंने बुजुर्ग के साथ मारपीट की और कथित तौर पर उसकी दाढ़ी काटी। अब भला मुस्लिम लोग ही मुस्लिम बुजुर्ग को ‘जय श्रीराम’ नहीं कहने पर क्यों पीटेंगे? हिन्दू ऐसा करेंगे, यह सवाल ही बेकार है। अब तक इस तरह के जितने भी मामले आये हैं, वे फर्जी निकले या उनका सच कुछ और था। 

बुधवार, 16 जून 2021

मुंह की खाएगा रामद्रोही वर्ग


जब ऋषि-मुनि समाज कल्याण के उद्देश्य के साथ यज्ञ-हवन करते थे, तब पुनीत कार्य में बाधा उत्पन्न करने के लिए राक्षस अनेक प्रकार के धतकर्म करते थे। प्राचीन ग्रंथों में अनेक स्थानों पर इस प्रकार का वर्णन आता है। समय बदल गया, परिस्थितियां बदल गईं, लेकिन राक्षस कर्म वैसा का वैसा ही है। देश में कुछ ताकतें ऐसी हैं, जो वर्षों से रामकाज में बाधा उत्पन्न करने के भरसक प्रयास करती आ रही हैं।

पहले इन ताकतों ने यह सिद्ध करने के लिए पूरा जोर लगा लिया कि अयोध्या में श्रीराम का कोई मंदिर नहीं था। जब लगा कि इनके झूठ चल नहीं रहे तो न्यायालय में जाकर सुनवाई को टालने के प्रयास किए। इस काम में भी जब सफलता मिलती नहीं दिखी तो कहने लगे कि मंदिर की जगह अस्पताल या स्कूल बनाना चाहिए। परंतु, न्यायालय से लेकर समाज तक ने एकजुटता से राक्षसों की मंशा को पूरा नहीं होने दिया। जब सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के पक्ष में निर्णय दिया और वहाँ मंदिर निर्माण की प्रक्रिया आगे बढऩे लगी, तब इस ‘रामद्रोही वर्ग’ के कलेजे पर खूब सांप लौटे। मंदिर निर्माण में समाज के सहयोग और उत्साह को देखकर उन्हें बहुत पीड़ा हुई। जब रामभक्तों ने अपने प्रभु के भव्य मंदिर के लिए दिल खोलकर समर्पण किया, तब भी रामद्रोही वर्ग को बहुत कष्ट हुआ। उन्होंने उस समय भी भरपूर प्रयास किए कि लोग श्रीराममंदिर निर्माण के लिए दान न दें। लेकिन, समाज ने तब भी उनकी नहीं सुनी। 

अधम गति को प्राप्त हो चुका यह वर्ग अभी भी बेशर्मी से श्रीराम मंदिर के पुनीत कार्य को बदनाम करने के प्रयासों में लगा हुआ है। इस पृष्ठभूमि से आप समझ गए होंगे कि श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए कथित ‘जमीन घोटाले’ के पीछे कौन-सी मानसिकता एवं षड्यंत्र है। जिन्होंने यह प्रयास किए कि श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए लोग दान न दें, वे आज ‘रामधन’ को लेकर चिंतित होने की नौटंकी कर रहे हैं। जिन्होंने न्यायालय में हलफनामा दिया कि राम का कोई अस्तित्व नहीं है तथा राम काल्पनिक थे, वे आज ‘रामनाम’ ले रहे हैं। ऐसे में उनके पाखंड को समझना किसके लिए कठिन है। दरअसल, रामद्रोही वर्ग नहीं चाहता कि देश के स्वाभिमान से जुड़े पुनीत स्मारक का निर्माण निश्कलंक और निर्विघ्न सम्पन्न हो। वह अभी तक श्रीराम को स्वीकार नहीं कर सका है। 

देखें - अयोध्या में मंदिर बनेगा धूम-धाम से :

श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से श्रीमान चंपत राय जी ने समूची सच्चाई को प्रकट कर दिया है, लेकिन धूर्त अभी भी नहीं मानेंगे। क्योंकि उनका तो काम ही है, धूल का गुब्बार उड़ाकर लोगों के सामने धुंध उपस्थित करना और खुद दूर खड़े होकर तमाशा देखना। परंतु, वे भूल गए कि यह रामकाज है, यहाँ उनकी धूर्तता चलने वाली नहीं। जिन्होंने श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए समर्पण किया है, उन्हें भली प्रकार पता है कि उनकी एक-एक पाई का उपयोग ‘रामकाज’ में होगा। यह निश्चित है कि राष्ट्रनिर्माण के यज्ञ में विघ्न पैदा करने का काम कर रहीं राक्षसी मानसिकता कभी सफल नहीं हो सकती।    

अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण से जुड़े कथित ज़मीन घोटाले का सच जानने के लिए देखें ये समाचार :

जमीन बेचने वाले सुल्तान अंसारी ने कहा कि "राम के काम के लिए आधी कीमत पर बेची ज़मीन"

राम मंदिर मामले में ज़मीन घोटाले का भ्रम फैलाने वालों पर FIR की तैयारी

संभलकर चलने की आवश्यकता

कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बाहर निकलकर अब हम सामान्य गतिविधियों की ओर बढ़ रहे हैं। याद रहे अभी एकदम सामान्य जीवन जीने का समय नहीं आया है। हमें सावधानी के साथ व्यवहार करना होगा, अन्यथा एक बार फिर कोरोना हम पर हावी हो सकता है। दूसरी लहर ने यह भी बता दिया कि यह कितनी खतरनाक महामारी है। इसलिए याद रखें कि हमारा जरा भी बेपरवाह आचरण हमारे ही परिवार, समाज और देश के लिए घातक हो सकता है। पहले अनलॉक के बाद हमने जो गलतियां की हैं, उनसे सबक सीखने की बहुत जरूरत है। प्रशासन और आम नागरिकों को, दोनों को अपनी भूमिकाएं सजगता से निभानी होंगी। आम नागरिक कोविड-19 व्यवहार का कड़ाई और स्व-अनुशासन के साथ पालन करें। प्रशासन कोरोना संक्रमण पर निगरानी बनाए रखे, नागरिकों को कोविड-19 व्यवहार का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करे और किसी भी विषम परिस्थिति से निपटने के लिए आवश्यक प्रबंध भी करे। 

जब हम सबकुछ अनलॉक करने की ओर बढ़ रहे हैं, तब प्रशासन को अनलॉक की वैज्ञानिक प्रक्रिया को अपनाना चाहिए। अनेक शोध अध्ययनों से साबित हुआ है कि एकदम से अनलॉक करने से कोरोना संक्रमण तेजी से लौट आता है। चरणबद्ध अनलॉक करने से कोरोना संक्रमण की वापसी को बहुत हद तक टाला जा सकता है। मध्यप्रदेश अब तक सधे हुए कदमों से अनलॉक की ओर बढ़ रहा है। लोगों को काम-धंधा मिले और अर्थव्यवस्था को गति मिले, इसके लिए उद्योग-कारोबार एवं बाजारों को शुरू करना आवश्यक है। इन्हें अनिश्चितकालीन समय तक रोका नहीं जा सकता। परंतु देखने में आ रहा है कि बाजार खोलते ही भारी भीड़ उमडऩे लगी है। मास्क और शारीरिक दूरी के अनिवार्य नियमों का पालन होते नहीं दिख रहा है। हमें यह समझना होगा कि इस लापरवाही का दुष्परिणाम हमें ही भोगना पड़ सकता है। 

बाजार चलते रहें, इसके लिए जरूरी है कि व्यवसायी एवं ग्राहक दोनों ही कोविड-19 अनुरूप व्यवहार का पालन करें। जब तक देश में बड़ी जनसंख्या का टीकाकरण नहीं हो जाता, तब तक सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनने, शारीरिक दूरी बनाने, समय-समय पर साबुन से हाथ धोने और भीड़ जुटाने से बचने जैसी जरूरतों के लिए लगातार जन जागरण करना होगा। वैसे तो हम सबको स्व-अनुशासन का पालन करते हुए स्वयं ही इन नियमों का पालन करना चाहिए किंतु यदि कोई उपरोक्त दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता है, तब उस पर कड़ा जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

सोमवार, 14 जून 2021

मदरसे में बम विस्फोट से उपजे सवाल

बिहार के बांका जिले के मदरसे में हुए विस्फोट से अनेक प्रश्न उठने लगे हैं। यह स्वाभाविक ही है। क्योंकि उसके मूल में दो बातें हैं- एक, मदरसे संदिग्ध गतिविधियों को लेकर पहले भी सवालों के घेरे में आते रहे हैं। दो, यह बड़ा सवाल है कि शिक्षा संस्थान में विस्फोटक सामग्री का क्या उपयोग किया जा रहा था? बांका के मदरसे में विस्फोट के बाद जिस तरह की संदिग्ध गतिविधियों को अंजाम दिया गया, उनसे भी अनेक संदेह उत्पन्न हो रहे हैं। सांप्रदायिक शिक्षा के नाम पर देशभर में संचालित मदरसे केवल अपनी कट्टरवादी तालीम के लिए ही बदनाम नहीं है, बल्कि हिंसक गतिविधियों एवं विस्फोटक सामग्री के भंडारण केंद्र होने के आरोप पहले भी मदरसों पर लगते रहे हैं। पूर्व में भी मदरसों में बम विस्फोट की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के खागरागढ़ के एक मदरसे में हुए बम विस्फोट में तो दो आतंकियों की मौत हुई थी और उस विस्फोट के तार बांग्लादेश के आतंकी गिरोह जमात-उल-मुजाहिदीन से जुड़े थे। बिहार के बांके जिले के मदरसे में हुए बम विस्फोट को भी उसी तरह की घटना माना जा रहा है। 

अब तक सामने आई जानकारी के अनुसार अवैध ढंग से बने इस मदरसे में धमाका कंटेनर में रखे एक देसी बम के फटने से हुआ है। मौलाना के मौत की वजह दम घुटना बताया गया है। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि मदरसे का भवन पूरी तरह ध्वस्त हो गया और इलाका धमाके से थर्रा गया था। मौके पर बम बाँधने में उपयोग की जाने वाली सुतली, कील और कंटेनर के प्रमाण मिले हैं। ये प्रमाण संकेत देते हैं कि मदरसे में बम बनाने का कार्य किया जा रहा था। विस्फोटक सामग्री भी भारी मात्रा में रही होगी, तभी इतना बड़ा धमाका संभव हो सका। सोचिए, यदि उस समय वहाँ बच्चे पढ़ रहे होते, तब क्या स्थिति बनती? ये मदरसे बच्चों का भविष्य संवारने के केंद्र हैं या फिर उनके जीवन को सब प्रकार के नष्ट करने के अड्डे? 

कुछ स्थानीय लोगों के हवाले से बताया गया था कि मौलाना बम बनाता था और तीन युवक उसका सहयोग करते थे। क्षेत्र में छोटी-छोटी बात पर बमबारी होती थी। भागलपुर से बारूद लाकर काम किया जाता था। यह भी तथ्य सामने आ रहे हैं कि मौलाना का संबंध तबलीगी जमात से था और उसका बांग्लादेश आना-जाना भी था। 

बहरहाल, इस घटना की जाँच राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी द्वारा कराई जानी चाहिए। यह छोटी और सामान्य घटना नहीं है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। बांका की घटना से सबक लेकर देश के अन्य राज्यों में संचालित मदरसों की जाँच भी समय रहते करनी चाहिए और उनकी निगरानी बढ़ानी चाहिए। अब समय आ गया है कि मदरसों के संचालन के लिए स्पष्ट और पारदर्शी व्यवस्था बने। मदरसों पर सरकार का पूरा नियंत्रण हो। वहाँ सरकार द्वारा तय पाठ्यक्रम ही पढ़ाया जाए। प्रशासन को लगातार मदरसों का औचक निरीक्षण करना चाहिए ताकि सांप्रदायिक तालीम की आड़ में वहाँ चलने वाली संदिग्ध एवं खतरनाक गतिविधियों को रोका जा सके।