खेती-किसानी और उससे जुड़े व्यवसाय मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था एवं विकास की धुरी हैं। यह बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उनकी सरकार बखूबी समझती है। मुख्यमंत्री श्री चौहान के हाथ में जब से प्रदेश की कमान है, तब से उन्होंने लगातार किसानों की बेहतरी के लिए प्रयास किए हैं। केंद्र में मोदी सरकार और राज्य में शिवराज सरकार, दोनों ने अपनी प्राथमिकता में किसानों को रखा है। मध्यप्रदेश के राजगढ़ में आयोजित ‘किसान-कल्याण महाकुंभ’ के आयोजन से सरकार ने यही संदेश देने का प्रयास किया है कि वह किसानों के हितों की चिंता करने में सदैव की तरह अग्रणी रहेगी। देश में मध्यप्रदेश इकलौता राज्य है जहाँ किसानों को ‘किसान सम्मान निधि’ के अंतर्गत 12 हजार रुपये वार्षिक मिलेंगे। चौथी बार मुख्यमंत्री बनने पर शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के किसानों को 4000 रुपये की राशि देने का निर्णय किया था, महाकुंभ में जिसे बढ़ाकर अब 6000 रुपये कर दिया गया है। इस तरह अब प्रदेश के किसानों को केंद्र की मोदी सरकार से 6000 रुपये और प्रदेश की शिवराज सरकार से 6000 रुपये मिलेंगे, अर्थात् 12 हजार रुपये वार्षिक। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस निर्णय कमजोर आय वर्ग एवं छोटी जोत के किसानों को बहुत बड़ी सहायता मिलेगी। किसान कल्याण महाकुंभ में लिए गए निर्णय बताते हैं कि मध्यप्रदेश की सरकार किसानों को लेकर अत्यंत संवेदनशील है और किसानों को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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बुधवार, 14 जून 2023
शनिवार, 2 जून 2018
शिवराज की 'किसान पुत्र' की छवि को चोट पहुँचाने की रणनीति
- लोकेन्द्र सिंह
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 'यूएसपी' है- किसान पुत्र की छवि। यह छवि सिर्फ राजनैतिक ही नहीं, अपितु वास्तविक है। शिवराज सिंह चौहान किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने खेतों में अपना जीवन बिताया है। इसलिए उनके संबंध में कहा जाता है कि वह खेती-किसानी के दर्द-मर्म और कठिनाइयों को भली प्रकार समझते हैं। किसानों के प्रति उनकी संवेदनाएं ही हैं कि मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही किसानों की खुशहाली के लिए नीति बनाना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहा है। वह पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने किसानों की आय दोगुनी करने का विचार दिया और उस पर नीतिगत प्रस्ताव बनाने की पहल भी प्रारंभ की। उनके इस प्रयास को वर्ष 2014 में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी आगे बढ़ाया है। कृषि के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में हुए कामों को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ही 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के मध्यप्रदेश सरकार के रोड-मेप को विस्तार और साकार करने की जिम्मेदारी दी है।
शुक्रवार, 1 जून 2018
शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हो आंदोलन
- लोकेन्द्र सिंह
मध्यप्रदेश में एक जून से 10 जून तक प्रस्तावित किसानों के 'गांव बंद' आंदोलन को लेकर दोनों पक्ष पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। एक तरफ कांग्रेस और उसके सहयोगी किसी भी तरह किसानों की आड़ में एक बार फिर शिवराज सरकार को घेरने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार भी आंदोलन को हिंसक होने से रोकने के लिए प्रशासनिक और राजनैतिक संवाद के जरिए प्रयत्नशील है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं किसानों के बीच जा रहे हैं, उनसे संवाद कर रहे हैं। बीते दिन उन्होंने मंदसौर में रात बिताई, जहाँ पिछले वर्ष किसान आंदोलन को असामाजिक तत्वों ने हिंसक बना दिया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक भावनात्मक अपील जारी की है कि शांति के टापू मध्यप्रदेश में अंशाति न फैलाएं। किसानों से उन्होंने आग्रह किया है कि किसी के बहकावे में न आएं। मुख्यमंत्री ने सीधे तौर पर कांग्रेस पर आरोप लगाए कि कांग्रेस शांति के टापू मध्यप्रदेश को अशांति में बदलना चाहती है। कांग्रेस प्रदेश में खूनखराबा चाहती है।
शनिवार, 10 जून 2017
शांति और संवाद की राह पर लौटें किसान
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थाना जलाने के लिए उकसाती कांग्रेस विधायक |
मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन ने जिस तरह हिंसक एवं अराजक रूप धारण कर लिया है, उससे यह स्पष्ट होता है कि उसे भड़काया जा रहा है। पिछले दो दिन में इस प्रकार के वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें स्पष्ट दिखाई देता है कि कुछ लोग और नेता अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने की कोशिश कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर उन लोगों की टिप्पणियाँ भी साझा की गई हैं, जिन्होंने किसानों के पीछे खड़े होकर शांतिपूर्ण आंदोलन को भड़काया। सरकार द्वारा किसानों की माँग मान लेने के बाद जो आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त हो जाना चाहिए था, उसके अचानक उग्र होने के पीछे राजनीतिक ताकतें नहीं हैं, यह नहीं माना जा सकता। आग पर पानी डालने की जगह नेताओं द्वारा आग को हवा दी जा रही है। आज जिन नेताओं को किसानों के हित याद आ रहें, वह नेता उस दिन कहाँ थे, जब किसानों को उनकी सबसे अधिक जरूरत थी। तब न तो सरकार के विधायक मंत्री किसानों से मिलने आए थे और न ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता आंदोलन की अगुवाई करने खड़े हुए थे। लेकिन, अब कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी प्रशासन के मना करने के बाद भी तिकड़म भिड़ा कर वहाँ पहुँच गए। किसानों के बीच आकर किया भी तो क्या? क्या राहुल गाँधी ने किसानों से अंहिसा की राह चुनने की अपील की?
बुधवार, 7 जून 2017
दु:खद है किसानों की मौत
मध्यप्रदेश में दो जून से किसान आंदोलन प्रारंभ हुआ था। किसी ने नहीं सोचा था कि शांतिपूर्ण ढंग से प्रारंभ हुआ यह आंदोलन इतना उग्र हो जाएगा कि छह किसानों का जीवन छीन लेगा। कर्जमाफी और अपनी फसल के वाजिब दाम की माँग को लेकर मध्यप्रदेश के मंदसौर, रतलाम और उज्जैन में किसान प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसान संगठनों की माँगें मान भी ली थीं। मुख्यमंत्री ने तत्काल घोषणा कर दी थी कि सरकार किसानों से इस साल 8 रुपये किलो प्याज और गर्मी में समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदेगी। खरीदी 30 जून तक चलेगी। कृषि उपज समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए 1000 करोड़ रुपये का एक फंड भी बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की है। सरकार द्वारा किसानों की प्रमुख माँग मान लेने के बाद एक-दो संगठन ने आंदोलन वापस लेने की घोषणा भी कर दी थी। प्रमुख संगठनों द्वारा आंदोलन वापस लेने की घोषणा के बाद मध्यप्रदेश सरकार और उसका प्रशासन लापरवाह हो गया। उसने आंदोलन से पूरी तरह ध्यान हटा लिया। जबकि, एक-दो संगठन आंदोलन पर अड़े हुए थे। किसानों की मौत साफतौर पर प्रशासन की लापरवाही का मामला है।
गुरुवार, 22 अक्टूबर 2015
किसानों के साथ शिवराज
शि वराज सिंह चौहान ने 29 नवम्बर, 2005 को पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। सप्ताहभर बाद उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के 10 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान की छवि सहज, सुलभ और सरल व्यक्तित्व के मुख्यमंत्री की है। अपने व्यवहार से वे इस बात को साबित भी करते रहते हैं। भारतीय जनता पार्टी अपने लोकप्रिय मुख्यमंत्री के दस वर्ष पूरे होने पर बड़ा जश्न मनाने की तैयारी कर रही थी। लेकिन, किसानों की पीड़ा और उनके संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कहने पर यह पूरा कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया है। शिवराज एक किसान के बेटे हैं, इसलिए किसानों के दर्द को समझ पाए हैं। सोचिए, यदि सूखे की मार झेल रहे किसानों की अनदेखी करते हुए सरकार जश्न मना रही होती तो क्या होता? मुख्यमंत्री की दस साल की कमाई एक झटके में चली जाती। सब उन्हें कठघरे में खड़ा करते? शिवराज सिंह चौहान पर सीधा आरोप लगता कि यह कैसा किसान का बेटा है, जिसे किसानों की पीड़ा दिखाई नहीं दे रही।
शुक्रवार, 25 सितंबर 2015
समग्रता में हो ग्राम विकास का चिंतन
म ध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सांसद आदर्श ग्राम योजना की राष्ट्रीय कार्यशाला में ग्राम विकास पर मंथन चल रहा है। विमर्श हो रहा है कि गाँव के विकास का रास्ता कौन-सा हो? क्या गाँवों में सिर्फ आर्थिक विकास की दरकार है? ग्राम विकास की चिंता में आर्थिक पहलू तक ही सीमित रहना उचित होगा क्या? केन्द्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को कैसे धरातल पर उतारा जाए? प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कार्यशाला में कहा कि शहरीकरण प्रत्येक समस्या का समाधान नहीं है। गाँवों को सम्पूर्ण इकाई के रूप में विकसित करना होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का विचार आदर्श ग्राम की संकल्पना के अनुरूप है। चूंकि चौहान गाँव से निकले हैं। वे गाँव की बुनियादी जरूरतों के अलावा समय के साथ आ रहीं नई चुनौतियों से भी अच्छी तरह वाकिफ हैं। श्री चौहान जानते हैं कि गाँव की जरूरत अच्छी सड़क है, पेयजल और सिंचाई के पानी की समस्या का समाधान आवश्यक है, रोटी-कपड़ा-मकान भी चाहिए। गाँव से युवाओं के पलायन को रोकना है तो बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी गाँव तक पहुंचानी ही होंगी। रोजगार के अवसर खड़े करने होंगे। लेकिन, सिर्फ इतना कर देने से गाँव आदर्श नहीं हो जाएंगे।
शुक्रवार, 18 सितंबर 2015
विकास की अवधारणा में प्राथमिक हो ग्राम विकास
भा रत सरकार ने देर से ही सही लेकिन गाँव की सुध ली है। स्मार्ट सिटी की तर्ज पर स्मार्ट गाँव विकसित करने का केंद्र सरकार का निर्णय सराहनीय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में स्मार्ट गाँव विकसित करने के लिए योजना मंजूर की गयी है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण मिशन के तहत गाँवों के उत्थान के लिए 5142 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे की प्रेरणा को जान लेना भी देशवासियों के लिए जरूरी है। स्मार्ट सिटी के दिवास्वप्न में खोयी सरकार को अचानक गाँव की याद कैसे आ गयी? हो सकता है देर सबेरे सरकार गाँवों की चिन्ता करती ही। भाजपा के नेतृत्व में पहले भी एनडीए सरकार (पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में) गाँव-गाँव तक सड़क बिछाकर ग्राम विकास की अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर चुकी है। लेकिन, इस समय अचानक से स्मार्ट विलेज के लिए बजट तय करने और सुनिश्चित योजना लाने के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रेरणास्रोत है। हाल में संघ और उसके विविध संघठनों के बीच समन्वय बैठक हुई थी। उसी समन्वय बैठक के दौरान आरएसएस की ओर से प्रधानमंत्री के समक्ष ग्राम विकास की दिशा में आगे बढऩे का विचार प्रस्तुत किया गया।
शनिवार, 25 जुलाई 2015
किसानों को महज वोट बैंक न समझें
प्र धानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारतीय कृषि अनुसंधान की ओर से कृषि विकास के लिए तैयार किए गए 'विजन-2050' का विमोचन 25 जुलाई को पटना में करेंगे। 'विजन-2050' कृषि क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन के लिए है। विजन-2050 किसानों के लिए कितना कारगर साबित होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है। फिलहाल, तो भारतीय जनता पार्टी का पूरा ध्यान बिहार चुनाव पर केन्द्रित है। हाल ही में बिहार विधान परिषद के चुनाव में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की थी। इस जीत से भाजपा की उम्मीदों को पंख लग गए हैं। सेमीफाइनल माने गए इस चुनाव के परिणाम को भाजपा फाइनल (बिहार विधानसभा चुनाव) में भी दोहराना चाहती है। बिहार विजय के लिए 25 जुलाई को ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'परिवर्तन रैली' का शुभारम्भ कर मिशन 185+ का बिगुल भी फूंकेंगे। इसके बाद श्री मोदी पटना पहुंचकर विजन-2050 का विमाचन करेंगे। कहीं न कहीं, विजन-2050 के विमोचन के लिए पटना को चुनना, बिहार के किसानों को अपनी ओर आकर्षित करने का एक रणनीतिक फैसला है।
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