गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023

विघटनकार शक्तियों को विफल करने का मंत्र है- भारत माता की भक्ति

 भारत दे सकता है विश्व को सुख-शांतिमय नवजीवन


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की परंपरा में विजयादशमी के उत्सव पर सरसंघचालक के उद्बोधन का विशेष महत्व है। विजयादशमी हिन्दुओं का बड़ा सामाजिक उत्सव होने के साथ ही संघ की स्थापना का उत्सव भी है। इस उत्सव में सरसंघचालक जी का जो उद्बोधन होता है, उसमें स्वयंसेवकों के लिए पाथेय रहता है। इसके साथ ही उनके भाषण में समसामयिक मुद्दों को लेकर समाज की सज्जन शक्ति के लिए भी संदेश रहता है। चूँकि आज संघ पर सबकी निगाहें रहती हैं और विभिन्न विषयों को लेकर संघ के दृष्टिकोण को जानने की भी अपेक्षा रहती है, इसलिए भी विजयादशमी पर होनेवाले सरसंघचालक के उद्बोधन को लेकर सबको विशेष उत्सुकता रहती है। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने अपने उद्बोधन में सब प्रकार की बातों को ध्यान रखा। उन सब मुद्दों पर संघ का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जिन पर देशभर में चर्चाएं चल रही हैं। विजय का पर्व है, इसलिए देशवासियों के मन में उत्साह का संचार हो इसलिए उन्होंने अपने उद्बोधन की शुरुआत भारत की उपलब्धियों के साथ ही की। वीरांगना रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती, छत्रपति शिवाजी महाराज के हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना के 350वें वर्ष, छत्रपति शाहू जी महाराज की 150वीं जयंती और संत श्रीमद् रामलिंग वल्ललार की 200वीं जयंती का उल्लेख करके उन्होंने यही संदेश दिया है कि अमृतकाल में जब हम भारत के ‘स्व’ के जागरण का उपक्रम कर रहे हैं, तब हमें ऐसी महान विभूतियों के जीवन से अवश्य ही प्रेरणा लेनी चाहिए। एक सामर्थ्यशाली राष्ट्र के निर्माण के लिए व्यवहार से लेकर व्यवसाय में और व्यक्ति से लेकर राष्ट्र की नीति में, ‘स्व’ दिखना चाहिए।

बुधवार, 25 अक्टूबर 2023

प्रधानमंत्री मोदी ने दिलाए भारत के नवनिर्माण के 10 संकल्प

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विजयादशमी के उत्सव को सामाजिक सरोकारों के साथ जोड़ते हुए देशवासियों को 10 संकल्प दिलाए हैं। इन संकल्पों के पालन में व्यक्तिगत लाभ भी हैं और राष्ट्र निर्माण में एक नागरिक के नाते योगदान भी है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि हम सब अपने जीवन में योग, खेल और स्वास्थ्य से जुड़ी गतिविधियों को प्राथमिकता दें, मोटे अनाज को अपनाएं और अपने आसपास स्वच्छता को बढ़ावा दें। ये संकल्प ऐसे हैं, जिसके अनुपालन में नागरिकों को अतिरिक्त प्रयास नहीं करने हैं परंतु यदि इन संकल्पों को जीवन में उतार लिया जाए तो उसके सुखद परिणाम प्राप्त होंगे। एक बात कहनी होगी कि प्रधानमंत्री मोदी ने राजनीति को सामाजिक सरोकारों की ओर मोड़ दिया है। शुद्ध राजनीतिक चर्चाओं से इतर वे अकसर पर्यावरण, गरीबी कल्याण, जल संरक्षण, भाषा संवर्धन, स्वदेशी, स्वरोजगार और नागरिक स्वास्थ्य जैसे शुद्ध सामाजिक विषयों पर प्रबोधन करते नजर आते हैं।

शनिवार, 21 अक्टूबर 2023

अटारी बॉर्डर : झंडा ऊंचा रहे हमारा

Bharat's Tallest National Flag Tiranga Unfurled at Attari-Wagah Border 

भारत-पाकिस्तान सीमा ‘अटारी बॉर्डर’ (पूर्व में वाघा बॉर्डर) पर अब पाकिस्तान के झंडे से भी ऊंचा भारत का तिरंगा लहरा रहा है। विशेष सर्विलांस तकनीक से सुसज्जित यह ध्वज सरहद पर निगरानी में हमारे जवानों की सहायता करेगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 19 अक्टूबर को अटारी बॉर्डर पर ‘स्वर्ण जयंती द्वार’ के सामने देश का सबसे ऊंचा तिरंगा फहराया। पहले भी यहाँ 360 फीट ऊंचे ध्वज स्तम्भ पर विशाल तिरंगा फहराता था, जिसे वर्ष 2017 में स्थापित किया गया था। प्रत्येक युद्ध में पराजय का सामना करनेवाले पाकिस्तान ने भारत को नीचा दिखाने के लिए 400 फीट ऊंचे पोल पर अपना झंडा फहरा दिया। ऐसा करके पाकिस्तान ने सोचा होगा कि अब भारत का झंडा सदैव पाकिस्तान के झंडे से नीचे रहेगा। परंतु पाकिस्तान भूल गया कि यह नया भारत है। पाकिस्तान को इस मनोवैज्ञानिक युद्ध में भी विजय नहीं मिलनी थी। भारत का ध्वज, पाकिस्तान के झंडे से नीचे लहराए, यह किसे बर्दाश्त होता। अंतत: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की पहल पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने 3.5 करोड़ रुपए में अटारी बॉर्डर पर 418 फीट के नये ध्वज स्तंभ को स्थापित किया है। जिस पर फहरा रहा हमारा प्यारा तिरंगा अब बहुत दूर से ही, सबसे ऊपर, नीले गगन में शान से लहराता हुआ दिखायी देता है। उल्लेखनीय है कि अटारी पर फहरा रहा तिरंगा, अब देश में सबसे ऊंचा तिरंगा हो गया है। इससे पहले कर्नाटक के बेलगाम में देश का सबसे ऊंचा झंडा 360.8 फीट पर फहरा रहा था।

शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2023

गो-वर : पर्यावरण एवं मानवता के लिए गाय का वरदान

गाय के महत्व को रेखांकित करती फिल्म


‘बाचा: द राइजिंग विलेज’ को मिली सराहना के बाद हमारे समूह का उत्साह बढ़ा। अब हम नये वृत्तचित्र के लिए नयी कहानी खोज रहे थे। एक कार्यक्रम के निमित्त भोपाल स्थित शारदा विहार आवासीय विद्यालय जाना हुआ। वहां कई कहानियां थीं, जिन्हें हम सुना सकते थे। भौतिकी की खुली प्रयोगशाला में नवाचार दिखा, ध्यान के लिए बनाया गया एक विशेष मंडप में भारतीय ज्ञान–परंपरा की झलक थी, शिक्षा की भारतीय पद्धति का महत्व भी ध्यान में आ रहा था। परंतु हमने चुनी गोशाला।

तथाकथित प्रगतिशील गाय–गोबर का जितना चाहे उपहास उड़ाएं, लेकिन शारदा विहार, भोपाल स्थित ‘कामधेनु गोशाला एवं गोविज्ञान अनुसंधान केंद्र’ अपने प्रयोगों से गाय की महत्ता सिद्ध कर रहा है। परंपरागत और आधुनिक विज्ञान के सहयोग से इस प्रकल्प ने सिद्ध किया है कि भारत में गाय न केवल आर्थिक विकास की धुरी है अपितु पर्यावरण को संभालने में भी उपयोगी है। उल्लेखनीय है कि हमारी बदली हुई जीवनशैली के कारण पर्यावरण संरक्षण दुनिया का ज्वलंत मुद्दा बन गया है। तेजी से कटते जंगल, प्रदूषित होती हवा, जल संकट और ऊर्जा-ईंधन चिंता के कारण बन गए हैं। जब हम इन सब समस्याओं का समाधान तलाशते हैं, तो भारतीय जीवन शैली में ही एक उम्मीद की किरण नजर आती है और इस दिशा में हमारा विश्वास पक्का किया है- ‘कामधेनु गोशाला एवं गोविज्ञान अनुसंधान केंद्र’ ने।

सोमवार, 16 अक्टूबर 2023

ओलंपिक की मेजबानी करने उत्साहित है भारत

मोदी सरकार के कार्यकाल में अन्य क्षेत्रों की भाँति खेल के क्षेत्र में भी भारत ने उत्साहवर्धक प्रगति की है। देश में खेलों को लेकर एक सकारात्मक वातावरण बन गया है। जिसका परिणाम हैं कि भारत के खिलाड़ी राष्ट्रीय एवं अतंरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। खेलों में भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियों से उत्साहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते शनिवार को ओलंपिक समिति के एक सत्र को संबोधित करते हुए वह बात कह दी, जिसको सुनने की प्रतीक्षा भारत के नागरिक लंबे समय से कर रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि 2036 में ओलंपिक खेलों की मेजबानी भारत करना चाहेगा। ओलंपिक की मेजबानी प्राप्त करने के लिए भारत कोई कसर नहीं छोड़ेगा। यदि भारत ओलंपिक खेलों की मेजबानी प्राप्त करने में सफल होता है, तब यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।

शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2023

हमास के आतंकवाद के विरुद्ध इजरायल के साथ खड़ा है भारत

इजरायल पर हुए आतंकी हमले ने सबको दहला कर रख दिया है। जिस तरह की नृशंसता और वहशीपन के वीडियो सामने आए हैं, उनको देखकर कोई भी भला व्यक्ति हमास के साथ खड़ा नहीं हो सकता। परंतु जो लोग इस सबके बाद भी हमास के साथ खड़े हैं, उनकी मानसिकता को समझना कठिन नहीं है। ये लोग मानवता के विरोधी हैं। इनकी संवेदनाएं झूठी और बनावटी हैं। ये संवेदनाओं का उपयोग विरोधी विचार पर हमला करने के लिए करते हैं। एक तरह से इन्हें बौद्धिक आतंकवादी कहा जा सकता है। इससे यह भी ध्यान आता है कि ऐसी ही बर्बरता यहूदियों के साथ इतिहास के उस कालखंड में की गई होगी, जब उन्हें इजरायल से बेदखल किया गया। हमास के आतंकी जिस बर्बरता से इजरायल की महिलाओं एवं महिला सैनिकों के साथ पेश आ रहे हैं, उसकी एक सुर में भर्त्सना ही की जा सकती है।

रविवार, 8 अक्टूबर 2023

ग्वालियर में ‘अल्मोड़ा’

अपने आस-पास पर्यटन


उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल अल्मोड़ा के बारे में आप सबने सुना होगा। अल्मोड़ा अपने सुरम्य वातावरण के साथ ही साहसिक गतिविधियों के लिए पर्यटकों को आमंत्रित करता है। अल्मोड़ा अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और वन्य जीवन के लिए प्रसिद्ध है। यह तो हुई हिमालय की गोद में बसे विश्व प्रसिद्ध अल्मोड़ा की बात। यदि मैं आपसे कहूँ कि ग्वालियर में भी एक अल्मोड़ा है, तो आप हैरान रह जाएंगे। जी हाँ, ग्वालियर में भी सुरम्य वातावरण और ऊंची-नीची पहाड़ियों की गोद में ‘अल्मोड़ा’ मुस्कुरा रहा है। आमखो से सटी विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) की पहाड़ियों पर पर्यावरण प्रेमियों ने निरंतर पौधारोपण करके सूखी पहाड़ियों का नाना प्रकार के वृक्षों से शृंगार कर दिया है। यहाँ कुछ हिस्सों में तो सघन वन विकसित हो गए हैं। ऐसे ही एक हिस्से को पर्यावरण प्रेमी डॉ. नरेश त्यागी ने विकसित किया और उसे नाम दिया है- अल्मोड़ा। यदि आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं और प्रकृति की गोद में आनंद आता है, तब यह स्थान अवश्य ही आपके हृदय को प्रसन्नता से भर देगा।

बुधवार, 4 अक्टूबर 2023

‘एकात्मता की प्रतिमा’ से दुनिया में जाएगा अद्वैत एवं हिन्दुत्व का संदेश

ओंकारेश्वर में शङ्करावतरणम्


मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में सुखदायिनी नर्मदा नदी के किनारे मांधाता पर्वत पर जिस समय संत-महात्मा एवं अन्य महानुभाव वैदिक यज्ञ के बाद आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का पूजन करने आगे बढ़ रहे थे, ठीक उसी समय मेघदूतों ने आकर कुछ क्षण के लिए वर्षा की। दृश्य ऐसा था कि मानो स्वयं देवता भी आचार्य शंकर का अभिषेक करने से स्वयं को रोक नहीं पाए....

‘शङ्करावतरणम्’ समारोह के अंतर्गत स्वामी अवधेशानंद जी गिरी महाराज, परमात्मानंद जी, स्वामी स्वरूपानंद जी और स्वामी तीर्थानंद जी महाराज सहित 13 प्रमुख अखाड़ों के प्रतिनिधियों और देशभर से आए हजारों साधु-संतों की उपस्थिति में भाद्रपद, शुक्ल पक्ष षष्टी (21 सितंबर) को संस्कृतिमयी वातावरण में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची दिव्य एवं मोहक प्रतिमा का अनावरण किया। समारोह के दौरान ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो मांधाता पर्वत पर स्वर्ग उतर आया है और आचार्य शंकर का एक बार फिर से अवतरण हो रहा है। केरल, आसाम, ओडीसा, राजस्थान, मध्यप्रदेश इत्यादि राज्यों के कलाकारों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से समारोह को अलौकिक स्वरूप प्रदान किया। वेद मंत्रों के उच्चारण ने वातावरण में वैदिक ऊर्जा का संचार किया, जिसे सहज अनुभव किया जा रहा था। सभी संतों एवं महानुभावों ने समवेत स्वर में कहा कि आदि शंकराचार्य की यह प्रतिमा देश-दुनिया में हिन्दू संस्कृति, अद्वैत के सिद्धांत, एकता और शांति के संदेश को पहुँचाएगी।