बुधवार, 29 अगस्त 2018

सिख विरोधी दंगा : जब एक व्यक्ति के अपराध का बदला पूरे समुदाय से लिया गया


- लोकेन्द्र सिंह 
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 1984 के सिख विरोधी दंगों पर गलत बयानी कर अपने लिए और अपनी पार्टी के लिए नया संकट खड़ा कर लिया है। राहुल गांधी ने उन पीडि़त परिवारों के जख्म भी हरे कर दिए हैं, जिन्होंने उन दंगों में अपनों को खोया था। इतिहास में ऐसा उदाहरण शायद ही कोई दूसरा मिले, जब एक सिर-फिरे व्यक्ति के अपराध की कीमत एक संप्रदाय से वसूली गई। यूरोप में घूम-घूम कर भारत और भारतीयता के संदर्भ में गलत बयानी कर रहे राहुल गांधी ने बहुत ही आसानी से कह दिया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस की कोई भूमिका नहीं है। जबकि उनके पिताजी राजीव गांधी ने खुले मंच से 19 नवंबर, 1984 को अप्रत्यक्ष रूप से दंगों में कांग्रेस की भूमिका को स्वीकार करते हुए कहा था- 'जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है।' राजीव गांधी के इस बयान का अभिप्राय अपनी पार्टी के नेताओं द्वारा किए गए सिख बंधुओं के कत्लेआम को सामान्य की प्रतिक्रिया बता कर मामले को रफा-दफा करने से था।

सोमवार, 27 अगस्त 2018

भ्रम के जाले हटाएं राहुल गांधी

- लोकेन्द्र सिंह 
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके किसी सलाहकार ने भ्रमित कर दिया है। जिसके कारण वह समझ नहीं पा रहे हैं कि राजनीति के मैदान में उन्हें भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करना है या फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से। अपने इस भ्रम के कारण वह उस संगठन का प्रचार-प्रसार करते रहते हैं, जो प्रसिद्धपरांगमुखता का पालन करते हुए सामाजिक कार्य में संलग्न है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर बार-बार अनर्गल टिप्पणी करने से न तो राहुल गांधी को कोई लाभ होने वाला है और न कांग्रेस के खाते में राजनीतिक लाभ आएगा। संघ समाज के बीच में काम करता है। इसलिए आमजन संघ को भली प्रकार जानते और समझते हैं। उसके प्रति घृणा और नफरत पैदा करने के कांग्रेस के सब प्रयत्न विफल होना तय है। वैसे भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर झूठा आरोप लगाने के एक मामले में राहुल गांधी न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं।

रविवार, 26 अगस्त 2018

भारत, भारतीयता और भारत के देशभक्त नागरिकों के प्रति नकारात्मक विचार


- लोकेन्द्र सिंह 
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर अपनी अपरिपक्वता जाहिर की है। यूरोप के दौरे के दौरान विदेशी जमीन पर उन्होंने जिस प्रकार के विचार प्रकट किए हैं, उससे भारत और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके दृष्टिकोण का पता भी चलता है। इससे पहले भी वह अमेरिका में कह चुके हैं कि भारत को इस्लामिक आतंकी समूहों से नहीं, बल्कि 'हिंदू आतंकवाद' से अधिक खतरा है। पहले उन्होंने भारत के हिंदू समाज और हिंदू संस्कृति की छवि को धूमिल किया और अब भारत के मुस्लिम, अनुसूचित जाति-जनजाति और गरीब वर्ग को बदनाम करने का प्रयास किया है। जर्मनी के हैम्बर्ग में विद्यार्थियों से बात करते हुए उन्होंने आतंकवाद को गरीबी से जोड़कर एक तरह से आतंकी संगठनों के पैरोकार की भूमिका का निर्वहन किया है। क्या उनके इस तर्क से सहमत हुआ जा सकता है कि गरीबी और बेरोजगारी के कारण आईएसआईएस जैसे आतंकी समूह निर्मित होते हैं? उन्होंने कहा  कि अगर दलित और अल्सपसंख्यक जैसे समुदायों की विकास की दौड़ में अनदेखी हुई तो देश में आईएस की तरह आतंकवादी समूह बन सकते हैं? इस कथन का क्या आशय निकाला जाए? आतंकवाद जैसी वैश्विक समस्या पर यह किस स्तर का चिंतन है? भारत से लेकर दुनिया में जहाँ भी आतंकी घटनाएं हो रही हैं, उसके पीछे क्या वास्तव में गरीबी है? आईएसआईएस के जो उद्देश्य हैं, उसमें क्या गरीबी उन्मूलन शामिल है? कोई भी आतंकी समूह देश-दुनिया से गरीबी को समाप्त करने के लिए उद्देश्य से काम नहीं कर रहा है। आखिर किस तरह के अध्ययन के आधार पर राहुल गांधी ने यह विचार रखा है?

शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

यहाँ का कंकर-कंकर शंकर है

नर्मदा नदी के जल में पाए जाने वाले शिव लिंग का बहुत महत्व है। शास्त्रों में नर्मदा में पाए जाने वाले "शिवलिंग" को नर्मदेश्वर और बाणलिंग भी कहा गया है। इन शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है। जानिये क्यों है नर्मदा जल में पाए जाने वाले शिव लिंग का इतना महत्व - 


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शनिवार, 18 अगस्त 2018

अटल कभी मरते नहीं

- लोकेन्द्र सिंह 

'हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय'
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ राजनीति के एक युग का अवसान हो गया है। यह युग भारतीय राजनीति के इतिहास के पन्नों पर अमिट स्याही से दर्ज हो गया है। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों को जानने के लिए अटल अध्याय से होकर गुजरना ही होगा। अटल युग की चर्चा और अध्ययन के बिना भारतीय राजनीति को पूरी तरह समझना किसी के लिए भी मुश्किल होगा। उन्होंने भारतीय राजनीति को एक दिशा दी। उन्होंने वह कर दिखाया, जिसकी कल्पना भी कठिन थी। उस भारतीय जनता पार्टी को पहले मुख्य विपक्षी दल बनाया और बाद में सत्ता के शिखर पर पहुँचाया, जिसके साथ लंबे समय तक 'अछूत' की तरह व्यवहार किया गया। उन्होंने भाजपा के साथ अनेक राजनीतिक दलों को एकसाथ एक मंच पर लाकर सही अर्थों में 'गठबंधन' के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। अपने सिद्धांतों पर अटल रहकर भी कैसे सबको साथ लेकर चला जाता है, यह दिवंगत वाजपेयी जी के राजनीतिक जीवन से सीखना होगा।

सोमवार, 13 अगस्त 2018

देहरी छूटी, घर छूटा


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काम-धंधे की तलाश में
देहरी छूटी, घर छूटा
गलियां छूटी, चौपाल छूटा
छूट गया अपना प्यारा गांव
मिली नौकरी इक बनिया की
सुबह से लेकर शाम तक
रगड़म-पट्टी, रगड़म-पट्टी
बन गया गधा धोबी राम का।

आ गया शहर की चिल्ल-पों में
शांति छूटी, सुकून छूटा
सांझ छूटी, सकाल छूटा
छूट गया मुर्गे की बांग पर उठना
मिली चख-चख चिल्ला-चौंट
ऑफिस से लेकर घर के द्वार तक
बॉस की चें-चें, वाहनों की पों-पों
कान पक गया अपने राम का।

सीमेन्ट-कांक्रीट से खड़े होते शहर में
माटी छूटी, खेत छूटा
नदी छूटी, ताल छूटा
छूट गया नीम की छांव का अहसास
मिला फ्लैट ऊंची इमारत में
आंगन अपना न छत अपनी
पैकबंद, चकमुंद दिनभर
बन गया कैदी बाजार की चाल का।
- लोकेन्द्र सिंह -
(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)

रविवार, 5 अगस्त 2018

दोस्ती क्या है?


दोस्ती क्या है? 
उसे कुछ यूं समझें...
वह पहला रिश्ता है 
रक्त संबंधों से इतर
लेकिन, उतना ही या 
शायद उनसे अधिक गहरा।

दोस्ती क्या है? 
उसे कुछ यूं समझें...
पहली बारिश के बाद
भुरभुरी मिट्टी से उठी
सौंधी सुगंध-सा या
शायद उससे भी ऊंचा अहसास।

दोस्ती क्या है? 
उसे कुछ यूं समझें...
सूरज के डूबने के बाद
धरा पर अंधेरे से लड़ती
दीपक की ज्योति-सा या
शायद उससे भी तेज प्रकाश।

दोस्ती क्या है?
उसे कुछ यूं समझें...
वह एकमात्र तिजोरी है
उसके दिल में राज हमारा
सुरक्षा की पूरी गारंटी या
शायद उससे भी पक्का विश्वास।
- लोकेन्द्र सिंह -
(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)
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इस कविता का आनंद मराठी में भी ले सकते हैं... मराठी में अनुवाद किया है, आपला यश की संपादक अपर्णा पाटिल जी ने और उसे बोल दिए हैं अनिल वल्संगकर जी ने