सोमवार, 25 मार्च 2019

पाकिस्तान में असुरक्षित हिंदू

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने मुल्क के वास्तविक चरित्र पर पर्दा डालने के लिए अनेक प्रयास कर रहे हैंं। धार्मिक कट्टरवाद और आतंकियों की शरणस्थली की पहचान से बाहर निकलना पाकिस्तान की मजबूरी भी बन गई है। इस संदर्भ में उन्होंने पिछले दिनों अल्पसंख्यकों को समानता का अधिकार देने का दावा किया था। उन्होंने दुनिया को यह भरोसा दिलाने का प्रयास किया था कि यह नया पाकिस्तान है, जहाँ सबको स्वतंत्रता एवं समानता का अवसर मिलेगा। अब भला इमरान खान को कौन बताए कि बातें करने से 'नया पाकिस्तान' नहीं बनेगा। उसके लिए सामर्थ्य दिखाना पड़ेगा, आतंकी और चरमपंथी ताकतों से लडऩा पड़ेगा। कट्टर सोच को कुचलना पड़ेगा। यह सब करने का माद्दा इमरान खान में नहीं है। वह सिर्फ गाल बजा सकते हैं। हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार से अल्पसंख्यकों को समानता का अधिकार देने के दावे की पोल अपनेआप ही खुल जाती है। सिंध प्रांत में होली के दिन हिंदू परिवार की दो नाबालिग बेटियों को अगवा कर लिया जाता है, उनका कन्वर्जन किया जाता है और जबरन शादी करा दी जाती है। किंतु, इमरान खान के नये पाकिस्तान का पुलिस प्रशासन सोया रहता है। इतने जघन्य अपराध की शिकायत दर्ज कराने के लिए भी हिंदुओं को एकजुट होकर प्रदर्शन करना पड़ता है।

मंगलवार, 19 मार्च 2019

वह छोड़ कर गए हैं ‘मनोहर पथ’


भारतीय राजनीति के पन्नों पर भारतीय जनता पार्टी के राजनेता मनोहर पर्रिकर का नाम सदैव के लिए स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। जब भी भविष्य में भारतीय राजनीति का अध्ययन करने के लिए अध्येता इस पुस्तक के पृष्ठ पलटेंगे, तो स्वर्णिम अक्षरों में लिखा मनोहर पर्रिकरउनके मन को सुकून देगा। यह नाम विश्वास दिलाएगा कि काजल की कोठरी में भी बेदाग रहकर देशहित में राजनीति की जा सकती है। कोयले की खदान में हीरे ही बेदाग और चमकदार रह सकते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार से संस्कारित मनोहर पर्रिकर शुचिता की राजनीति के पर्याय बन गए। उन्होंने भारतीय राजनीति के उस समय में ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण के ऊंचे मूल्य स्थापित किए, जब राजनीति भ्रष्टाचार और नकारात्मकता का पर्याय हो चुकी थी। मनोहर पर्रिकर जैसे राजनेता घोर अंधेरे में भी रोशनी की उम्मीद की तरह आम जन को नजर आते थे। वह हम सबके सामने शुचिता की राजनीति के आदर्श मूल्य और जीवन का उदाहरण प्रस्तुत करके गए हैं। आदर्शों पर कैसे चला जाता है, उसके पग चिह्न भी बना कर गए हैं। राजनीति में आने वाले युवाओं को उनके बनाए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए।

रविवार, 17 मार्च 2019

मेरे मित्र


जीवन की राह,
बड़ी मुश्किल होती है।
मंजिल तक पहुंचना,
कठिन तपस्या होती है।
अगर मिल जाए,
तुम जैसा साथी कोई।
तो ये पंक्तियां भी,
व्यर्थ साबित होती हैं।
और यहीं आकर बस
मेरी हसरत भी पूरी होती है।
यह कविता मेरी, 
तुमसे शुरू होकर।
खत्म तुम पर ही होती है।
- लोकेन्द्र सिंह -
(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)

बुधवार, 6 मार्च 2019

'आरटीआई से पत्रकारिता' सिखाती एक पुस्तक

- लोकेन्द्र सिंह - 
भारत में सूचना का अधिकार, अधिनियम-2005 (आरटीआई) लंबे संघर्ष के बाद जरूर लागू हुआ है, किंतु आज यह अधिकार शासन-प्रशासन व्यवस्था को पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जहाँ सूचनाओं को फाइल पर लालफीता बांध कर दबाने की प्रवृत्ति रही हो, वहाँ अब साधारण नागरिक भी सामान्य प्रक्रिया का पालन कर आसानी से सूचनाएं प्राप्त कर सकता है। सूचनाओं तक पहुँच की सुविधा से सबसे अधिक लाभ पत्रकारों को हुआ है। यद्यपि अभी भी पत्रकार सूचना के अधिकार का प्रभावी ढंग से उपयोग कम ही कर रहे हैं। श्यामलाल यादव ही वह पत्रकार हैं, जिन्होंने आरटीआई के माध्यम से पत्रकारिता को नया स्वरूप और नये तेवर दिए हैं। वर्ष 2007 के बाद से अब तक उन्होंने इतनी अधिक आरटीआई लगाईं और उनसे समाचार प्राप्त किए कि न केवल देश में बल्कि देश की सीमाओं से बाहर भी 'आरटीआई पत्रकार' के रूप में उनकी ख्याति हो गई है। उन्होंने अपने अनुभवों को आधार बनाकर अंग्रेजी में एक पुस्तक लिखी- 'जर्नलिज्म थ्रू आरटीआई : इंफोर्मेशन, इंवेस्टीगेशन, इंपैक्ट' जो हिंदी में अनुवादित होकर 'आरटीआई से पत्रकारिता : खबर, पड़ताल, असर' के नाम से प्रस्तुत है। यह पुस्तक सिखाती है कि कैसे पत्रकार सूचना के अधिकार कानून को अपना हथियार बना सकते हैं। श्री यादव ने किस्सागोई के अंदाज में पुस्तक के विभिन्न अध्याय लिखे हैं और बताया है कि एक पत्रकार के तौर पर उन्होंने आरटीआई का किस तरह उपयोग कर सूचनाएं जुटाईं और बारीकी से अध्ययन कर प्राप्त सूचनाओं को किस तरह बड़े समाचारों में परिवर्तित किया।

रविवार, 3 मार्च 2019

विजय ही विजय : जयतु भारत

- लोकेंद्र सिंह -
भारत के लिए पिछले तीन-चार दिन बहुत महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। एक के बाद एक तीन विजयश्री भारत के खाते में आई हैं। सबसे पहले भारत ने सीमा पार जाकर आतंकी ठिकानों को नष्ट कर अपने शौर्य का परिचय दिया। उसके बाद आतंकियों को खुश करने की खातिर किए गए पाकिस्तान के हमले को नाकाम कर भारत ने सीमा सुरक्षा पर अपनी मजबूती प्रदर्शित की। भारत के शूरवीर पायलट अभिनंदन ने पाकिस्तान के लड़ाकू विमान एफ-16 को मार कर आकाश में विजयी पताका फहराई। उसके बाद जब समूचा देश अपने लड़ाके अभिनंदन के लिए चिंतित हो रहा था, तब भारत सरकार ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक विजय प्राप्त की। भारत सरकार ने पाकिस्तान पर इतना अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया कि उसे मात्र दो दिन में ही भारतीय पायलट अभिनंदन को छोडऩा पड़ा। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार के संबंधों और कूटनीति की बड़ी जीत है कि अभिनंदन अल्प समय में ही सकुशल घर लौट आए हैं।