सोमवार, 28 अगस्त 2023

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आग्रह स्वीकार करें युवा वैज्ञानिक


वैज्ञानिकों का उत्साहवर्धन करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश यात्रा से सीधे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पहुंचे। यहां उन्होंने चंद्रयान–3 की उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त किया है। इस अवसर पर उनके चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास दिखाई दे रहा था। मानो वे भारत की इस सफलता का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मानो चंद्रयान–2 की आंशिक विफलता के बाद उन्होंने पूर्ण सफलता का संकल्प ले रखा हो। यह सच भी है। इसरो के वैज्ञानिकों ने खुलकर इस बात को कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें चंद्रयान सहित अन्य परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहित किया है। उनके जैसा नेतृत्व मिलना कठिन है। उनके कारण से वैज्ञानिक क्षेत्र को एक संबल मिला है। हम सबको याद है कि पिछली बार रोवर की सफल लैंडिंग नहीं होने पर जब वैज्ञानिक निराश हो रहे थे तब प्रधानमंत्री मोदी से उन्हें गले लगाकर संबल दिया और फिर से तैयारी करने को कहा। हमें वह दौर भी याद है जब नंबी नारायण जैसे महान वैज्ञानिक को फंसाने के लिए षड्यंत्र किया गया। उनको अनेक प्रकार से प्रताड़ित किया गया। दोनों समय का यही फर्क है।

शुक्रवार, 25 अगस्त 2023

अब सूरज की ओर... अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम

पिछले कुछ वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान में मिली बड़ी सफलताओं ने भारत के वैज्ञानिकों को नया हौसला दिया है। चंद्रयान–3 की सफलता के बाद से तो अब विश्व भी भारत की ओर आशा से देखने लगा है। भारत की जिस प्रकार की तैयारी है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि नया भारत दुनिया को निराश नहीं करेगा। चंद्रमा पर अपना झंडा गाड़ने के बाद अब भारत सूरज की ओर अपने कदम बढ़ाने को तैयार है। भारतीय अंतरिक्ष शोध संस्थान (इसरो) के वैज्ञानिकों ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। इसी सितंबर में सूर्य तक पहुंचने के लिए आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग हो सकती है।

सोमवार, 21 अगस्त 2023

चीन की चाशनी में लिपटा ‘लेफ्ट मीडिया’

भारत के कुछ मीडिया संस्थानों को लेकर सामान्य नागरिकों के मन में अकसर प्रश्न उठते हैं कि उनके समाचारों एवं विचारों में भारत विरोध की बू क्यों आती है? जब देश समाधानमूलक पत्रकारिता की अपेक्षा करता है, तब ये अपनी रिपोर्टिंग से बनावटी विवादों को जन्म क्यों देते हैं? ये चीन और पाकिस्तान परस्त क्यों दिखायी देते हैं? इस प्रकार के अनेक प्रश्नों के उत्तर अमेरिकी समाचारपत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट से मिलते हैं। यह रिपोर्ट खुलासा करती है कि चीन दुनियाभर में मीडिया संस्थानों/पत्रकारों को पैसे देकर अपनी छवि चमकाने और दूसरे देशों के खिलाफ दुष्प्रचार को अंजाम दे रहा है। इस तरह चीन अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरुद्ध ‘धुंआ रहित युद्ध’ भी लड़ रहा है। चीन के इस एजेंडा को चलाने में श्रीलंकाई मूल का अमेरिकी कारोबारी नेविल रॉय सिंघम किंगपिंग के तौर पर सामने आया है। नेविल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की प्रचार शाखा से जुड़ा है। यह रिपोर्ट खुलासा करती है कि चीन के दलाल नेविल ने कम्युनिस्ट खेमे की वेबसाइट ‘न्यूज क्लिक’ को करोड़ों रुपये की फंडिंग की है। न्यूज क्लिक और उससे जुड़े पत्रकारों की पत्रकारिता का विश्लेषण करें, तो सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है कि चीन से किस बात के लिए उन्हें पैसा मिला होगा।

शनिवार, 19 अगस्त 2023

समाज को समरसता के स्नेह सूत्र में बाँधने निकले संत

यह कितनी सुखद बात है कि समाज के विभिन्न वर्गों में आत्मीयता एवं समरसता के भाव को बढ़ाने के लिए साधु-संत ‘स्नेह यात्रा’ पर निकल पड़े हैं। जब द्वार पर आकर संत कुछ आग्रह करते हैं, तब हिन्दू समाज का कोई भी वर्ग उस आग्रह को अस्वीकार नहीं कर सकता। मन में असंतोष होगा, लेकिन संतों का सम्मान सबके हृदय में सर्वोपरि है। इसलिए तो सब भेद भुलाकर, हिन्दू विरोधी ताकतों के उलाहने नकारकर, भगवत् कथा का श्रवण करने के लिए सभी वर्गों के लोग संतों के पंडाल में एकत्र हो जाते हैं। हम जानते हैं कि भारत को कमजोर करने के लिए बाह्य विचार से पोषित ताकतें हिन्दू समाज के जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं। ये ताकतें पूर्व में हुए जातिगत भेदभाव के घावों को कुरेद कर अनुसूचित जाति वर्ग के बंधुओं के कोमल हृदय में द्वेष के बीज बोने का काम कर रही हैं, जबकि कोशिश होनी चाहिए उनके घावों पर मरहम लगाने की। परंतु जिनका स्वार्थ परपीड़ा से सध रहा हो, वे जख्म पर नमक ही छिड़केंगे। उनसे कोई और उम्मीद करना बेमानी है। ऐसे वातावरण में संत समाज ने आगे आकर, सभी वर्गों में बंधुत्व के भाव को बढ़ाने के जो प्रयास किए हैं, वह अनुकरणीय हैं। समाज की सज्जनशक्ति को संतों के साथ जुड़ना चाहिए और स्नेह धारा को आगे बढ़ाना चाहिए।

बुधवार, 16 अगस्त 2023

अमृतकाल में ‘स्व’ की भावभूमि पर आगे बढ़ेगा भारत

77वें स्वतंत्रता दिवस के प्रसंग पर 15 अगस्तर, 2023 को स्वदेश ग्वालियर समूह में प्रकाशित यह आलेख

हमने अवश्य ही अपने नायकों के संघर्ष, समर्पण एवं साहस के बल पर शासन-सूत्र 1947 में अंग्रेजों के हाथों से वापस ले लिए परंतु हमने देश के स्वभाव एवं प्रकृति के अनुरूप ‘तंत्र’ विकसित नहीं किया। अपना तंत्र विकसित करने के लिए हमने अपने अंतर्मन में झांकने की अपेक्षा बाहर की ओर देखा। परिणामस्वरूप हम स्वाधीन तो हो गए परंतु जिस ‘स्व’ की प्राप्ति के लिए हजारों लाखों नागरिकों ने अपने प्राणों आहुति दी, उससे दूर हो गए। स्वभाषा, वेश-भूषा, तंत्र, विज्ञान, विचार, चिंतन एवं आचरण इत्यादि को हमने किनारे कर दिया। ‘स्व’ की संकल्पना को समृद्ध करने और बाकी सबको उसका बार-बार स्मरण करानेवाले राष्ट्रीय विचार के लोगों एवं संगठनों की भी नीति-नियंताओं ने कभी नहीं सुनी। चूँकि यह देवभूमि है, इसलिए देवों की कृपा 2014 में वह अवसर आया, जब ‘स्व की अवधारणा’ को बल मिला। समाज और शासन, दोनों के प्रयासों से ‘स्व’ का प्रगटीकरण भी होने लगा और उसके आधार पर हमारी व्यवस्थाएं एवं तंत्र भी विकसित होने लगा। संभवत: इसीलिए हम कह सकते हैं कि ब्रिटेन के सबसे प्रभावशाली समाचार पत्र ‘द गार्जियन’ के विचार सत्य सिद्ध हुए। जब राष्ट्रीय विचार को ऐतिहासिक जनादेश मिला तब ‘द गार्जियन’ ने 18 मई, 2014 को अपनी संपादकीय में लिखा था- “अब सही मायने में अंग्रेजों ने भारत छोड़ा है (ब्रिटेन फाइनली लेफ्ट इंडिया)”। आम चुनाव के नतीजे आने से पूर्व नरेन्द्र मोदी का विरोध करने वाला ब्रिटिश समाचारपत्र, चुनाव परिणाम के बाद लिखता है कि भारत अंग्रेजियत से मुक्त हो गया है। अर्थात् एक युग के बाद भारत में सुराज आया है। भारत अब भारतीय विचार से शासित होगा। पिछले नौ वर्षों में हमने यह होते हुए भी देखा।

शनिवार, 12 अगस्त 2023

सामाजिक समरसता का केंद्र बने संत रविदास मंदिर

भारत को कमजोर करने के लिए जातीय द्वेष बढ़ाने में अनेक ताकतें सक्रिय हैं। उनके निशाने पर विशेषकर हिन्दू समाज है। वहीं, भारतीय समाज को एकसूत्र में बांधने के प्रयास करनेवाली संस्थाएं अंगुली पर गिनी जा सकती हैं। चिंताजनक बात यह है कि भारत विरोधी ताकतों के निशाने पर राष्ट्रीयता को मजबूत करनेवाले संगठन भी रहते हैं। ऐन-केन-प्रकारेण उनकी छवि को बिगाड़ने के प्रयास किए जाते हैं। राजनीतिक क्षेत्र में भी कमोबेश यही स्थिति है। वोटबैंक की राजनीति के चलते अनेक नेता एवं राजनीतिक दल भी हिन्दू समाज में जातीय विद्वेष को बढ़ाने के दोषी हैं। इन परिस्थितियों के बीच शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश के सागर जिले में संत शिरोमणि रविदास महाराज के मंदिर का निर्माण करने का सराहनीय निर्णय लिया गया है। सरकार इस मंदिर को सामाजिक समरसता के केंद्र के तौर पर विकसित करना चाहती है। समरसता मंदिर के निर्माण में संपूर्ण हिन्दू समाज की भागीदारी हो, इसके लिए सरकार के प्रयासों से प्रदेशभर में समरसता यात्राएं निकाली जा रही हैं, जो 12 अगस्त को निर्माण स्थल बड़तूमा पहुँचेंगी। यहाँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बन रहे संत शिरोमणि रविदास मंदिर की नींव रखेंगे। यह मंदिर अपने उद्देश्य के अनुसार आकार ले, इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। वे समरसता यात्राओं में सहभागिता कर लोगों तक संत रविदास के संदेश को पहुँचाने का भगीरथी प्रयास कर रहे हैं। आनंद की बात है कि संत रविदास समरसता यात्रा का रथ जहाँ-जहाँ से गुजर रहा है, वहाँ के लोग मंदिर निर्माण के लिये अपने क्षेत्र की मिट्टी और नदियों का जल देकर संदेश दे रहे हैं कि निश्चित ही यह स्थान सबको एकसूत्र में जोड़ने में सफल होगा।

शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय की आस

अपने दर्द को समेटकर वर्षों से न्याय की आस में बैठे कश्मीरी हिन्दुओं की अब सुध ली जाने लगी है। कश्मीर घाटी में फिर से हिन्दुओं को बसाने के प्रयासों के साथ ही अब 90 के दशक में कश्मीरी हिन्दुओं की हत्याओं की जाँच कराने का निर्णय लिया गया है। जम्मू-कश्मीर राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू की हत्या के मामले की जाँच शुरू कर दी है। अगर यह जाँच सही दिशा में आगे बढ़ती है, तब कई नये तथ्य सामने आ सकते हैं। हत्याओं के पीछे की मानसिकता को एक बार फिर से उजागर किया जा सकता है। जो लोग एक-दो अपराधियों को हिन्दुओं के नरसंहार का जिम्मेदार बताकर संगठित इस्लामिक हिंसा पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं, उन्हें भी आईना दिखाया जा सकता है।

शनिवार, 5 अगस्त 2023

कविता : आत्मा की अभिव्यक्ति

रवींद्र भवन, भोपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य और सांस्कृतिक उत्सव ‘उत्कर्ष–उन्मेष’ में दैनिक भास्कर के लिए कवरेज किया। लगभग 13 वर्ष पुरानी स्मृतियां ताजा हो उठीं, जब मैं दैनिक भास्कर, ग्वालियर में उपसंपादक हुआ करता था। 

कल एक और विशेष अवसर बना– ‘कविता : आत्मा की अभिव्यक्ति’ पर हो रहे विमर्श का कवरेज करते हुए अंग्रेजी में कविताएं सुनीं। पहले भी सुनीं हैं। मेरे कई विद्यार्थी अंग्रेजी में ही लिखते हैं। वे लिखते हैं तो मुझे पढ़ाते–सुनाते भी हैं। कभी–कभी एकाध गीत म्यूजिक एप पर भी सुनने की कोशिश की है। परंतु इस तरह आयोजन में सभी कवियों का अंग्रेजी में कविता पाठ सुनने का यह पहला अवसर था।

शुक्रवार, 4 अगस्त 2023

अभिनव प्रयोग ‘मेरी माटी–मेरा देश’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक विशेषता है कि वे नागरिकों को अपनी संस्कृति, स्वाभिमान और गौरव के बिंदुओं से जोड़ते रहते हैं। हमारे मनों में भारतीयता के भाव को जगाते रहते हैं। अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इस बार उन्होंने आह्वान किया है कि स्वाधीनता दिवस से पूर्व देशभर में बलिदानियों की स्मृति में ‘मेरी माटी मेरा देश’ चलाया जाए। इस अभियान के अंतर्गत हम अपने नायकों के बलिदान की गौरव गाथाओं को जानें और उनसे जुड़ें। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों से मिलने का यह अनूठा प्रयोग है। प्रधानमंत्री मोदी इस प्रकार के नवाचारों के लिए जाने जाते हैं।