शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

पहल करने वालों में ''प्रथम'' थे सावरकर





स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की पुण्य तिथि पर विशेष - २६ फरवरी १९६६
अप्रितम क्रांतिकारी, दृढ राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, दार्शनिक, द्रष्टा, महान कवि और महान इतिहासकार आदि अनेकोनेक गुणों के धनी वीर सावरकर हमेशा नये कामों में पहल करते थे। उनके इस गुण ने उन्हें महानतम लोगों की श्रेणी में उच्च पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया। वीर सावरकर के नाम के साथ इतने प्रथम जुडे हैं इन्हें नये कामों का पुरोधा कहना कुछ गलत न होगा। सावरकर ऐसे महानतम हुतात्मा थे, जिसने भारतवासियों के लिए सदैव नई मिशाल कायम की, लोगों की अगुवाई करते हुए उनके लिए नये मार्गों की खोज की। कई ऐसे काम किये जो उस समय के शीर्ष भारतीय राजनीतिक, सामाजिक और क्रांतिकारी लोग नहीं सोच पाये थे।


वीर सावरकर द्वारा किये गए कुछ प्रमुख कार्य जो किसी भी भारतीय द्वारा प्रथम बार किए गए -
  • वे प्रथम नागरिक थे जिसने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लंदन में उसके विरूद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठितकिया।
  • वे पहले भारतीय थे जिसने सन् 1906 में 'स्वदेशी' का नारा दे, विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी।
  • सावरकर पहले भारतीय थे जिन्हें अपने विचारों के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोनी पड़ी।
  • वे पहले भारतीय थे जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की।
  • वे पहले भारतीय थे जिन्होंने सन् 1857 की लड़ाई को भारत का 'स्वाधीनता संग्राम' बताते हुए लगभग एकहजार पृष्ठों का इतिहास 1907 में लिखा।
  • वे पहले और दुनिया के एकमात्र लेखक थे जिनकी किताब को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश और ब्रिटिशसाम्राज्यकी सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया।
  • वे दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे, जिनका मामला हेग के अंतराष्ट्रीय न्यायालय में चला था।
  • वे पहले भारतीय राजनीतिक कैदी थे, जिसने एक अछूत को मंदिर का पुजारी बनाया था।
  • सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस मेंमैडम कामा ने फहराया था।
  • सावरकर ही वे पहले कवि थे, जिसने कलम-कागज के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कवितायेंलिखीं। कहा जाता है उन्होंने अपनी रची दस हजार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षोंस्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वह किसी न किसी तरह देशवासियों तक नहीं पहुच गई।
  • सन् 1947 में विभाजन के बाद आज भारत का जो मानचित्र है, उसके लिए भी हम सावरकर के ऋणी हैं। जबकांग्रेस ने मुस्लिम लीग के 'डायरेक्ट एक्शन' और बेहिसाब हिंसा से घबराकर देश का विभाजन स्वीकार कर लिया, तो पहली ब्रिटिश योजना के अनुसार पूरा पंजाब और पूरा बंगाल पाकिस्तान में जाने वाला था - क्योंकि उन प्रांतोंमें मुस्लिम बहुमत था। तब सावरकर ने अभियान चलाया कि इन प्रांतो के भारत से लगने वाले हिंदू बहुल इलाकोंको भारत में रहना चाहिए। लार्ड मांउटबेटन को इसका औचित्य मानना पड़ा। तब जाकर पंजाब और बंगाल कोविभाजित किया गया। आज यदि कलकत्ता और अमृतसर भारत में हैं तो इसका श्रेय वीर सावरकर को ही जाता है
            भारत की स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्षों के इतिहास में वीर सावरकर का नाम बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखताहै। वीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था। महान देशभक्त और क्रांतिकारी सावरकर ने अपनासंपूर्ण जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया। अपने राष्ट्रवादी विचारों के कारण जहाँ सावरकर देश को स्वतंत्रकराने के लिए निरन्तर संघर्ष करते रहे, वहीं देश की स्वतंत्रता के बाद भी उनका जीवन संघर्षों से घिरा रहा।
        ऐसे महान व्यक्तित्व को हमारा सादन नमन।


गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

सपोर्टिंग इनिंग्स ; लोकेन्द्र सिंह

 Lokendra Singh Rajput                                                     महान सचिन की महान पारी - मेरे प्यारे शहर में मेरे पसंदीदा प्लेयर ने अद्भुत काम कर दिया। बड़े अरमान से मैच देखने कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम पहुंचा। बड़े दिनों से लगी थी सचिन से दौ सौ रन बनाने की उम्मीद, आज अपनी उपस्थिति में पूरी होते देखी। जैसे ही सचिन ने १८० रन पार किए उसके बाद तो गजब का रोमांच मैदान में था। सचिन के हर शॉट पर स्टेडियम में उपस्थित हरेक दर्शक उछल-उछल पड़ रहा था। अहा! क्या नजारा था। अद्वितीय सचिन ने अद्भुत कारनामा कर दिया। पूरा ग्वालियर झूम उठा। बिना संगीत के  ही सारा स्टेडियम नाचने लगा। मानो सचिन के बल्ले से स्वर लहरी फूट पड़ी हो। चौके-छक्के पर बल्ले से निकलने वाली आवाज यूं लगी की डीजे की धमक हो। सचिन की ऐतिहासिक कारनामें का गवाह सारा शहर बना और मैं भी, इसी सोच के साथ मन प्रफुल्लित होता रहा।
बेइज्ती करा दी- यूं तो मैच में खूब मजा आया, बस एक क्षण ऐसा काला रहा कि दिल दुख गया। भारतीय टीम बल्लेबाजी कर रही थी और सचिन का बल्ला आग उगल रहा था। उसी बीच किसी चिरकुट टाइप के लड़के ने जो हरकत की उसने सारे ग्वालियर को शर्मसार कर दिया। किसी ने भारी सुरक्षा के एक दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी को पत्थर फेंक कर मार दिया। उसके बाद पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा। मेहमानों को सॉरी कहना पड़ा। शहर के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को अभद्रता न करने की अपील करनी पड़ी। जो भी था उसकी पहचान तो नहीं हो सकी लेकिन, अंतर्राष्ट्रीय पटल पर ग्वालियर की छवि धूमिल हो गई। हमारे बीच भी कई चिरकुट बैठे थे जिन्हें हम लोग संभाल रहे थे। चूंकि हम दस-बारह लोग थे सो उनको हमारी बात माननी पड़ रही थी। जब मैंने एक को अभद्रता करने से रोका तो वो मुझ पर ही बन बैठा होता पर जैसे ही उसने देखा की ये पूरी फौज के साथ ही तो पूरे मैच में शांत रहा।
सुरक्षा व्यवस्था में लगाई सेंध-मैच शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सके इसके लिए भारी फोर्स तैनात किया गया था। सुरक्षाधिकारियों ने दावा किया था कि मैच में परिंदा भी पर नहीं फडफ़ड़ा सकेगा। सब दावों के बीच परिंदों ने पर फडफ़ड़ाए और बीट भी की। बीट करने वाले का तो ऊपर वर्णन आ ही गया है। पेन-पेंसिल से लेकर मोबाइल तक स्टेडियम में ले जाना प्रतिबंधित था। लेकिन सारी सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बताकर कई लोग अंदर मोबाइल लेकर पहुंचे। जबकि पुलिस ने कम से कम छह जगह चैकिंग बिठा रखी थी। इतनी चैकिंग के बावजूद कैसे लोग मोबाइल अंदर लेकर पहुंचे, यह बात सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाती है। शायद ऐसी ही सुरक्षा व्यवस्था है हमारे पास तभी हम आंतकवाद और नक्सलवाद के हमलों को रोकने में नाकामयाब हैं। हम तो घर से बढिय़ा घी के बने हुए मैथी के परांठे ले गए थे लेकिन बाहर ही छीन लिए गए सुरक्षा व्यवस्था का हवाला देकर।