शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2023

हमास के आतंकवाद के विरुद्ध इजरायल के साथ खड़ा है भारत

इजरायल पर हुए आतंकी हमले ने सबको दहला कर रख दिया है। जिस तरह की नृशंसता और वहशीपन के वीडियो सामने आए हैं, उनको देखकर कोई भी भला व्यक्ति हमास के साथ खड़ा नहीं हो सकता। परंतु जो लोग इस सबके बाद भी हमास के साथ खड़े हैं, उनकी मानसिकता को समझना कठिन नहीं है। ये लोग मानवता के विरोधी हैं। इनकी संवेदनाएं झूठी और बनावटी हैं। ये संवेदनाओं का उपयोग विरोधी विचार पर हमला करने के लिए करते हैं। एक तरह से इन्हें बौद्धिक आतंकवादी कहा जा सकता है। इससे यह भी ध्यान आता है कि ऐसी ही बर्बरता यहूदियों के साथ इतिहास के उस कालखंड में की गई होगी, जब उन्हें इजरायल से बेदखल किया गया। हमास के आतंकी जिस बर्बरता से इजरायल की महिलाओं एवं महिला सैनिकों के साथ पेश आ रहे हैं, उसकी एक सुर में भर्त्सना ही की जा सकती है।

हमास के आतंकी हमले की निंदा दुनिया भर में हो रही है। भारत भी इस कठिन समय में अपने मित्र इजरायल के साथ खुलकर खड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्‍स (ट्विटर) पर इजरायल के नाम संदेश लिखा और कहा कि भारत इस मुश्किल समय में इजरायल के साथ है। इस पर इजरायल के राजनयिक ने भारत के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया है। याद रखें कि कोई और सरकार होती तो मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण इजरायल का समर्थन करने में संकोच करती। उसे हमास के आतंकियों की बर्बरता दिखाई नहीं देती। तब भारत फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संतुलन बिठाने के ही प्रयत्न करता। परंतु भारत की वर्तमान सरकार आतंकवाद पर स्पष्ट विचार रखती है। यदि भारत ही आतंकवाद को देखने में भेद करेगा तो आतंकवाद पर दुनिया की एक राय बन ही नहीं पाएगी। 

प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार स्पष्ट किया है कि भारत किसी किस्म का आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेगा। जिस तरह का यह हमला हुआ है, वह चिंताजनक है। हमास एक आतंकवादी समूह है। जमीन से लेकर हवा तक एक आतंकी समूह के पास जिस तरह का सामर्थ्य आ गया है, वह दुनिया के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। इस तरह यदि सभी देश अपने विरोधी देश के खिलाफ आतंकी संगठनों को खड़ा करने लगेंगे तो स्थितियां भयावह हो जाएंगी। भारत इस बात को अच्छी तरह समझता है क्योंकि उसका पड़ोसी देश पाकिस्तान इसी नीति पर चल रहा है। पाकिस्तान ने आतंकी समूहों को मजबूत किया और उनका उपयोग भारत को क्षति पहुंचाने के लिए किया है। जब से देश में दृढ़ इच्छाशक्ति की सरकार बनी है, तब से अवश्य ही पाकिस्तान घुटनों पर आ गया है। राज्य पोषित आतंकवाद के खतरे को भली प्रकार जानने के कारण ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि भारत हमास के हमले की निंदा ही नहीं करता है, बल्कि स्पष्ट तरीके से इजरायल के साथ खड़ा है। 

देखिए- भारतीय योद्धाओं ने जीतकर दी थी इजराइल को उसकी भूमि

बहरहाल, एक बार सोशल मीडिया पर सरसरी नजर डालें तो ही यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत में तथाकथित सेकुलर, कम्युनिस्ट और इस्लामिस्ट पूरी निर्लज्जता के साथ हमास के आतंकी हमले को सही सिद्ध करने की धूर्तता कर रहे हैं। इतना भी वैचारिक विरोध नहीं होना चाहिए कि विरोध के लिए मानवता के खिलाफ खड़े हो जाएं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने फिलिस्तीन की आड़ लेकर एक तरह से हमास के समर्थन में रैली निकाली, इजरायल के विरोध में इस्लाम के नारे लगाए। याद रखें कि इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान के निर्माण की पृष्ठभूमि तैयार करने में भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की प्रमुख भूमिका रही है। इस विश्वविद्यालय में आज भी जिन्ना को आदर्श माना जाता है। मुस्लिम समुदाय में इस प्रकार के सांप्रदायिक कट्टर लोग बार-बार संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के उस मूल्यांकन को सत्य सिद्ध करते हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि मुसलमान सदैव इस्लामिक देशों की ओर ही झुकाव रखेंगे। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘पाकिस्तान या भारत विभाजन’ में यहाँ तक कहा है कि यदि कभी मुस्लिम देशों ने भारत पर हमला किया तो भारत का मुसलमान हमलावर देश के साथ खड़ा होगा। हमास की नृशंसता एवं बर्बरता के बाद के बाद भी जिस प्रकार हमास के समर्थन में रैलियां निकाली जा रही हैं और इस्लामिक नारे लगाए जा रहे हैं, उन्हें देखकर तो बाबा साहेब की बातें सच ही प्रतीत होती हैं। 

कम्युनिस्टों की भी कमोबेश यही स्थिति है। कहना होगा कि वे कट्‌टरपंथी मुस्लिमों से भी अधिक खतरनाक हैं। इजरायल-हमास युद्ध के मामले में भारत का कम्युनिस्ट अपनी पूरी बुद्धि इस बात के लिए खर्च कर रहा है कि इतिहास की चुनिंदा घटनाओं को उल्लेख करके हमास के आतंकी एवं क्रूरता को कमतर साबित करके इजरायल को ‘हिटलर’ साबित कर दिया जाए। इस मामले में कम्युनिस्ट होशियार भी हैं, उन्होंने बौद्धिक हथकंड़े अपनाकर दुनिया में साम्यवाद के नाम पर किए गए अपने अत्याचार छिपा लिए हैं। तानाशाही एवं क्रूरता के लिए आज भी हिटलर और मुसोलिनी को याद किया जाता है, कोई लेनिन और स्टालिन की बात नहीं करता है। जबकि लेनिन और स्टालिन भी हिटलर और मुसोलिनी से किसी भी रूप में कमतर नहीं थे। कम्युनिस्टों ने किस प्रकार रक्तपात किया है, इसको समझने के लिए शंकर शरण की पुस्तक 'साम्यवाद के सौ अपराध' अवश्य ही पढ़नी चाहिए।

साम्यवाद के सौ अपराध / Samyavad Ke 100 Apradh by Shankar Sharan 

कम्युनिस्टों की ऐसी क्या मजबूरी है कि उन्हें वे महिलाएं दिखायी नहीं दे रही हैं, जिनके साथ नृशंस अपराध हमास के आतंकियों ने किए हैं? महिलाओं को नग्न करके उनके शरीर को नोंचते हमास के आतंकियों को कैसे कोई भूल सकता है? क्या वे दृश्य कम्युनिस्टों को दिखायी नहीं दिए, जिनमें आतंकी छोटे बच्चों को हलाल करके उनका सिर धड़ से अलग कर रहे हैं और उन्हें विजय पताका के रूप में फहरा रहे हैं? दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई कम्युनिस्ट पत्रकार एवं लेखक मासूम बच्चों के कत्लेआम के समाचारों को फेक न्यूज कहकर समाज को भ्रमित करने के प्रयास कर रहे हैं। केवल इसलिए ताकि हमास के प्रति जनाक्रोश कम हो जाए और इजरायल को खलनायक साबित किया जा सके। आखिर हमास के बंदीगृह में बेचैन और तड़पने विभिन्न देशों के नागरिकों की चीख-पुकार को अनसुना कैसे किया जा सकता है? 

इस सबसे इतर, जिनका विश्वास भारतीयता में है, जो सही अर्थों में भारतीय हैं, वे आतंकवाद के विरुद्ध खड़े हैं, वे इजरायल के साथ हैं और अपने देश के पक्ष के साथ खड़े हैं। और इस समय भारत पूरी तरह से इजरायल के साथ है।

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