किसी समय में मध्यप्रदेश की छवि एक बीमारू और पिछड़े राज्य की थी। पिछले 15-20 वर्षों में मध्यप्रदेश अपनी उस छवि से बाहर निकलकर विकसित एवं समृद्ध प्रदेश के रूप में स्थापित हो गया है। यह कहने में कोई संकोच नहीं कि प्रदेश की प्रगति में और उसका वातावरण बदलने में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उनकी सरकार की नीतियों की भूमिका प्रमुख है। प्रदेश के हिस्से आ रहे विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय पुरस्कार इस बात के साक्षी हैं कि अब मध्यप्रदेश पिछड़ा और बीमारू राज्य नहीं, अपितु विकास पथ पर नये कीर्तिमान रचनेवाला प्रदेश है। स्वच्छ भारत अभियान की रैंकिंग में उत्साह बढ़ानेवाली सफलताएं प्राप्त करने के बाद अब प्रदेश ने स्मार्ट सिटी से संबंधित विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार प्राप्त करके अपनी प्रतिष्ठा को और बढ़ाया है। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में आयोजित स्मार्ट सिटी कान्क्लेव में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने जब स्मार्ट सिटी से संबंधित दो श्रेणियों के पुरस्कारों की घोषणा की तो मध्यप्रदेश ने बाजी मार ली। इंदौर को देश की सबसे स्मार्ट सिटी होने का पुरस्कार मिला, वहीं मध्यप्रदेश को देश का सबसे स्मार्ट राज्य होने का सम्मान मिला है। यानी दो मुख्य श्रेणियों में शीर्ष पर मध्यप्रदेश चमक रहा है। इसके साथ ही अपनी विरासत को सहेजने के मामले में भोपाल को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है।
ये पुरस्कार बताते हैं कि मध्यप्रदेश में बहुत बदलाव आया है। एक समय में सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझता मध्यप्रदेश अब विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है। देश का सबसे स्वच्छ शहर होने के साथ ही अब इंदौर सबसे स्मार्ट शहर है। यह उपलब्धि केवल इंदौर शहर के नागरिकों के लिए गौरव की बात नहीं है अपितु यह समूचे मध्यप्रदेश के आनंद का विषय है। इंदौर के नागरिकों से राज्य के अन्य शहरों के निवासियों को प्रेरणा लेनी चाहिए। आज इंदौर शीर्ष स्थान प्राप्त कर रहा है, तो उसके पीछे केवल प्रशासनिक मशीनरी की सक्रियता के साथ ही नागरिक कर्तव्य एवं दायित्वों का बोध होना प्रमुख है। इंदौर के नागरिकों ने स्वच्छता को अपना कर्तव्य बना लिया है। अपने शहर की प्रगति के लिए प्रत्येक नागरिक संकल्पबद्ध है। इसलिए पिछले दिनों जब यह कहकर इंदौर शहर का अपमान करने का प्रयास किया गया कि स्वच्छता के मामले में इंदौर ने पहला पुरस्कार खरीद लिया है, तब स्वाभाविक ही जनक्रोश दिखायी पड़ा। इसे मध्यप्रदेश की छवि खराब करने की कोशिश ही कहा जाएगा कि एक व्यक्ति ने बिना किसी सामाजिक अध्ययन के इंदौर शहर के नागरिकों का अपमान कर दिया।
ये स्थिति है तथाकथित इतिहासकार @Ashok_Kashmir जी की। झूठ फैलाने में लगे हैं। अपने दोस्त @zoo_bear से एक बार #FactCheck की करा लेते। #fakenews pic.twitter.com/PLBNnWwCFL
— लोकेन्द्र सिंह (Lokendra Singh) (@lokendra_777) September 28, 2023
देश में ऐसी अनेक ताकतें सक्रिय हैं, जो भाजपा शासित राज्यों की छवि खराब करने के लिए प्रयत्नशील रहती हैं। अन्य राज्यों की बड़ी घटनाओं पर भी चुप रह जानेवाले लोग एवं संस्थाएं मध्यप्रदेश और अन्य भाजपा शासित राज्य की छोटी घटना को इस प्रकार प्रस्तुत करते हैं कि मानो समूचे प्रदेश में वही सब चल रहा हो। कोई घटना नहीं मिलती थी, तो झूठ के सहारे ही मध्यप्रदेश की छवि को धूमिल करने का प्रयत्न किया जाता है। पिछले एक-दो वर्षों की घटनाओं को उठाकर कोई भी इस बात को अनुभव कर सकता है। इंदौर के स्वभाव पर प्रश्न उठानेवाले उन सज्जन को देश के सबसे स्मार्ट शहर का अवार्ड जीतकर, इंदौर ने ही करारा जवाब दिया है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश ने पर्यटन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण पुरस्कार अर्जित किए हैं। इसी तरह कृषि के क्षेत्र में तो सबसे अधिक बार कृषि कर्मण अवार्ड जीतने का कीर्तिमान मध्यप्रदेश के नाम है। प्रदेश को यह अवार्ड उस समय भी मिलता रहा है, जब केंद्र में भाजपा की सरकार नहीं थी। इसका अर्थ भी यही है कि मध्यप्रदेश ने अपने पुरुषार्थ से पुरस्कार अर्जित किए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश की सूरत बदली है। ‘बीमारू राज्य’ की छवि को पीछे छोड़कर मध्यप्रदेश अब देश का सबसे ‘स्मार्ट राज्य’ बन गया है।
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