रविवार, 19 फ़रवरी 2023

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रतिदिन एक पौधा रोपने का शुभ संकल्प बना जनांदोलन

एक पौधा हम भी लगाएं

कोई एक शुभ संकल्प कैसे जनांदोलन बन जाता है, इसका सटीक उदाहरण है मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रतिदिन एक पौधा लगाने का संकल्प। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सदानीरा माँ नर्मदा की जयंती के पावन प्रसंग पर 19 फरवरी, 2021 को प्रतिदिन एक पौधा लगाने का संकल्प लिया था। किसी भी राजनेता के लिए इस प्रकार के संकल्प को प्रतिदिन निभाना कठिन होता है। मुख्यमंत्री के रूप में व्यस्तता और अधिक बढ़ जाती है। इस बात की प्रशंसा करनी होगी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिना चूके प्रतिदिन अपने संकल्प का पालन किया। अपने प्रवास के दौरान भी वे जहाँ रहे, वहाँ उन्होंने पौधा रोपा। अपने संकल्प के प्रति यह प्रतिबद्धता अनुकरणीय है।

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023

अर्जुन के रथ से लड़ाकू विमान पर महाबली हनुमान


बेंगलुरु में चल रहे एयरो इंडिया शो में प्रदर्शित भारत के नए सुपरसोनिक फाइटर ट्रेनर एयरक्राफ्ट ‘एचएलएफटी-42’ ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। दरअसल, इस आधुनिक लड़ाकू प्रशिक्षक विमान की पूंछ पर महाबली पवनपुत्र हनुमानजी अंकित हैं। निश्चित ही यह आनंद की बात है कि भारत अपने ‘स्व’ की ओर बढ़ रहा है। विमान का डिजाइन बनानेवालों के मन अवश्य ही भारत बोध से भरे हुए होंगे। वर्तमान केंद्र सरकार भी भारतीयता से ओतप्रोत नवाचारों का स्वागत करती है। भारतीयता को उसके सांस्कृतिक प्रतीकों के माध्यम से अभिव्यक्त करने में उसे कोई संकोच नहीं, अपितु आनंद ही होता है। मोदी सरकार के कार्यकाल में विगत आठ–नौ वर्षों में ऐसा वातावरण बना है, जो ‘भारत के विचार’ को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। हमें स्मरण करना चाहिए धर्मयुद्ध ‘महाभारत’ के रण में अर्जुन जिस रथ पर सवार थे, उस पर भी ध्वज के साथ महावीर हनुमानजी विराजित थे। संभव है कि लड़ाकू विमान की अभिकल्पना अर्जुन के रथ से प्रेरित हो।

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2023

एक ही है गांधीजी और आरएसएस का ‘हिन्दुत्व’

पुस्तक चर्चा – ‘हिन्दुत्व और गांधी’


कुछ लोग मेरे इस कथन से असहमत हो सकते हैं कि “गांधीजी का जीवन हिंदुत्व में रचा–बसा था”। असहमतियों का सम्मान है लेकिन यह सत्य है कि महात्मा गांधी के जीवन को हिंदुत्व से अलग करके नहीं देखा जा सकता। आज जो कम्युनिस्ट यह भ्रम पैदा करने की साजिश रचते हैं कि गांधीजी का हिन्दुत्व अलग था और हिन्दू संगठनों का हिन्दुत्व अलग है, एक दौर तक यही कम्युनिस्ट गांधीजी को सांप्रदायिक हिन्दूवादी नेता के रूप में लक्षित करते थे। कम्युनिस्टों के साथ ही उस समय की अन्य हिन्दू विरोधी ताकतें भी गांधीजी को ‘हिन्दुओं के नेता’ के तौर पर देखती थीं। हिन्दुत्व के प्रतिनिधि/प्रचारक होने के कारण महात्मा गांधी की आलोचना करने में कट्टरपंथी मुस्लिम और कम्युनिस्ट अग्रणी थे। विडम्बना देखिए कि आज यही ताकतें गांधीवाद का चोला ओढ़कर हिन्दू धर्म और राष्ट्रीय विचार पर हमला करने के लिए पूज्य महात्मा का उपयोग एक हथियार की तरह कर रही हैं। ऐसे समय में वरिष्ठ पत्रकार मनोज जोशी इतिहास के सागर में गोता लगाकर अपनी पुस्तक ‘हिन्दुत्व और गांधी’ में ऐसे तथ्य सामने रखते हैं, जिनसे यह ‘शरारती विमर्श’ खोखला दिखने लगता है। यह सर्वमान्य है कि हिन्दुओं का सबसे बड़ा संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ है। इसलिए हिन्दू धर्म पर हमलावर रहनेवाली ताकतें ‘आरएसएस’ को भी अपने निशाने पर रखती हैं। ‘हिन्दुत्व’ पर समाज को भ्रमित करने की साजिशों में यह स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है कि ‘संघ का हिन्दुत्व’ वह हिन्दुत्व नहीं है जो ‘गांधीजी का हिन्दुत्व’ है। दोनों अलग-अलग हैं। जबकि ऐसा है नहीं। हिन्दुत्व एक ही है, चाहे वह आरएसएस का हो या फिर महात्मा गांधी का। यदि अलग-अलग होता, तब ये ताकतें पूर्व में महात्मा गांधी पर हमलावर नहीं होतीं। उस दौर में हिन्दुत्व के सबसे बड़े प्रतिनिधि के तौर पर उन्हें गांधीजी दिखाई दिए तो उन्होंने गांधी पर हमला किया और अब जब आरएसएस इस भूमिका में है, तो ये सांप्रदायिक एवं फासीवादी ताकतें आरएसएस पर हमलावर हैं।