सोमवार, 30 दिसंबर 2019

मंजिल की तलाश में

देखें वीडियो: Manjil Ki Talash Me | मंजिल की तलाश में | Lokendra Singh


मंजिल की तलाश में
जब निकला था
तब कुछ न था पास में
न थी जमीं और न आसमां था
बस सपने बहुत थे आंख में
अब तो...
मिल गया है रास्ता
पैर जमाना सीख रहा हूं
शिखर को जो छूना है।

चलता रहा मीलों
एक आस में भूखा-प्यासा
दर-दर घूमा खानाबदोश-सा
न तो दर मिला, न दरवेश कोई
पर उम्मीद की लौ बुझने न दी मैंने
अब तो...
दिया भी है, बाती भी
बस, प्रदीप्त होना सीख रहा हूं
जहां को रोशन जो करना है।

मुकाम बनाना है एक
इस जहां में
कब, कहां और कैसे
न जानता था, न किसी ने बताया
बस, सहयात्रियों से सीखता रहा
अब तो...
चांद-तारे हैं साथ में
टिमटिमाना सीख रहा हूं
क्षितिज पर जो चमकना है।

- लोकेन्द्र सिंह -
(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)


Lokendra Singh : Gopal Bag, GovindGarh, Rewa

रविवार, 8 दिसंबर 2019

लक्ष्य

Lakshya | लक्ष्य | हार और जीत ही काफी नहीं जिंदगी में | Lokendra Singh


हार और जीत ही काफी नहीं 
जिंदगी में मेरे लिए
मीलों दूर जाना है अभी मुझे। 
निराशा के साथ बंधी 
आशा की इक डोर थामे
उन्नत शिखर की चोटी पर चढ़ जाना है मुझे। 
हार और जीत ही....

है अंधेरा घना लेकिन
इक दिया तो जलता है रोशनी के लिए
उसी रोशनी का सहारा लिए 
भेदकर घोर तमस का सीना 
उस दिये का हाथ बंटाना है मुझे। 
हार और जीत ही...

चांद पर पहुंच पाऊंगा या नहीं
ये सोच अभी नहीं रुकना है मुझे
चलता रहा विजय की उम्मीद लिए 
तो चांद पर न सही
तारों के बीच टिमटिमाना है मुझे। 
हार और जीत ही...

- लोकेन्द्र सिंह -
(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)

Narmda River, Sethani Ghat, Hoshangabad, MadhyaPradesh / Lokendra Singh