शनिवार, 25 नवंबर 2023

भारत के संविधान में राम-कृष्ण-बुद्ध और महावीर के चित्र

इस वीडियो ब्लॉग में आप संविधान पर अंकित राम-कृष्ण, बुद्ध और महावीर सहित भारतीय संस्कृति के विभिन्न चित्रों को देख सकते हैं

हमारा संविधान भारतीय मूल्यों की अभिव्यक्ति है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कि हमारे संविधान में 'भारत की आत्मा' परिलक्षित होती है। संविधान के प्रावधान एवं तत्व भारतीय संस्कृति से जुड़ते हैं। भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के मूल्य एवं दर्शन हमें अपने संविधान में दिखायी पड़ते हैं। भारत के संविधान की एक खूबसूरती यह भी है कि मूल प्रति पर आपको राम-कृष्ण-बुद्ध आदि से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों के सुंदर चित्र देखने को मिलते हैं। यह चित्र संविधान के प्रत्येक अध्याय के प्रारंभ में बनाये गए हैं, जैसे मौलिक अधिकारों के अध्याय से पूर्व भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण का चित्र है। 

भारतीय सांस्कृतिक आख्यान के यह चित्र प्रख्यात चित्रकार नंदलाल बोस ने बनाये हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उनसे भारतीय संविधान को सुसज्जित करने का आग्रह किया था। पंडित जी ने गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर के गुरुकुल शांति निकेतन में नंदलाल बोस से मुलाकात की और संविधान की मूल प्रति को अपनी चित्रकारी से सजाने का आग्रह किया।

चित्रकार नंदलाल बोस ने प्रधानमंत्री नेहरू जी के आग्रह को स्वीकार किया। बोस ने अपने विद्यार्थियों के सहयोग से चार वर्ष में 22 चित्र बनाए और इतनी ही किनारियां (पेज के बॉर्डर) बनाईं। संविधान के सभी 22 अध्यायों को इन चित्रों और किनारियों से सजाया गया।

हिंदू धर्म के प्रतीकों को संविधान निर्माताओं ने न केवल स्वीकारा बल्कि पूरे सम्मान के साथ प्रतिष्ठित किया। भारतीय संविधान की मूल प्रति में लगभग हर अध्याय के आरंभ में कोई न कोई चित्र छापा गया था। पृष्ठ एक पर मोहनजोदड़ों की मोहरों का चित्र है। संविधान के तीसरे पृष्ठ पर वैदिक काल में संचालित गुरुकल का एक प्रतीकात्मक चित्र है।

भारतीय संविधान के छठवें पृष्ठ पर रामायण से प्रेरणा लेकर एक चित्र छापा गया था, जिसमें भगवान श्रीराम लंका विजय के बाद पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ हैं। संविधान की मूल प्रति में चौथे अध्याय में राज्य के लिए नीति निर्देशों का वर्णन हैं। इस अध्याय के आरंभ में दिए गए चित्र में महाभारत के समय युद्ध क्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण सारथी के रूप में अर्जुन को भगवद्गीता का संदेश दे रहे हैं। संविधान के पृष्ठ 20 पर भगवान बुद्ध और पृष्ठ 63 पर भगवान महावीर का चित्र है। पृष्ठ 104 पर विक्रमादित्य के दरबार का चित्र है। यह वही विक्रमादित्य हैं जिनके यश के कारण उनके नाम पर भारत में विक्रमी संवत का कैलेंडर चलता है।

भारतीय संविधान की मूल प्रति में हमारी ऐतिहासिक ज्ञान परंपरा का स्मरण करवाने वाले और दुनिया के सबसे विख्यात ज्ञान केंद्रों में से एक प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का चित्र अंकित है। इन चित्रों को देखने का अवसर मिले तो अवश्य देखना चाहिए। 

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

अपनी नियति की ओर बढ़ता भारत

अर्चना प्रकाशन, भोपाल की स्मारिका-2023 में प्रकाशित संपादकीय


हम अवश्य ही 1947 में ब्रिटिश उपनिवेश के चंगुल से स्वतंत्र हो गए परंतु औपनिवेशिकता से मुक्ति की ओर हमने अब जाकर अपने कदम बढ़ाए हैं। हम कह सकते हैं कि भारत नये सिरे से अपनी ‘डेस्टिनी’ (नियति) लिख रहा है। यह बात ब्रिटेन के ही सबसे प्रभावशाली समाचार पत्र ‘द गार्जियन’ ने 18 मई, 2014 को अपनी संपादकीय में तब लिखा था, जब राष्ट्रीय विचार को भारत की जनता ने प्रचंड बहुमत के साथ विजयश्री सौंपी थी। गार्जियन ने लिखा था कि अब सही मायने में अंग्रेजों ने भारत छोड़ा है (ब्रिटेन फाइनली लेफ्ट इंडिया)। आम चुनाव के नतीजे आने से पूर्व नरेन्द्र मोदी का विरोध करने वाला ब्रिटिश समाचार पत्र चुनाव परिणाम के बाद लिखता है कि भारत अंग्रेजियत से मुक्त हो गया है। अर्थात् एक युग के बाद भारत में सुराज आया है। भारत अब भारतीय विचार से शासित होगा। गार्जियन का यह आकलन सच साबित हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अब तक के कार्यकाल में हम देखते हैं कि भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना की जा रही है। अर्थात् लंबे समय बाद देश में यह अवसर आया है जब सभी क्षेत्रों में भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का अभ्युदय दिख रहा है। प्रत्येक क्षेत्र में सांस्कृतिक पुनर्जागरण दिखायी दे रहा है। वर्तमान में जिस विचार के हाथ में शासन के सूत्र हैं, वह भारतीयता से ओत-प्रोत है। उसके मस्तिष्क में कोई द्वंद्व नहीं, उसे अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व है। उसका विश्वास है कि जिस संस्कृति के लोग नित्य प्रार्थना में कहते हों- ‘प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो’, समाज जीवन के विविध क्षेत्र उसी संस्कृति के मूल्यों से समृद्ध होने चाहिए। भारत का स्वदेशी समाज आज धर्म, संस्कृति, सभ्यता, भाषा के विरुद्ध स्थापित पूर्वाग्रह से मुक्त हो रहा है।

बुधवार, 1 नवंबर 2023

दिल की बात कहने में सफल रही ‘सुन रही हो न तुम…’

सुदर्शन व्यास ने लेखक एवं समीक्षक लोकेन्द्र सिंह को भेंट की अपना नया काव्य संग्रह 'सुन रही हो न तुम...'

कविता के संबंध में कहा जाता है कि यह कवि के हृदय से सहज ही बहकर निकलती है और जहाँ इसे पहुँचना चाहिए, वहाँ का रास्ता भी खुद ही बना लेती है। हृदय से हृदय का संवाद है- कविता। युवा कवि सुदर्शन व्यास के हृदय से भी कुछ कविताएं ऐसे ही अनायास बहकर निकली हैं, जिनका संग्रह ‘सुन रही हो न तुम…’ के रूप में हमारे सम्मुख है। इस संग्रह की किसी भी कविता को आप उठा लीजिए, आपको अनुभूति हो जाएगी कि कवि के शब्दों में जो नमी है, कोमल अहसास है, जो आग्रह है, विश्वास है; वह सब अनायास है। उनकी भावनाओं में कुछ भी बनावटी नहीं है। एक भी पंक्ति प्रयत्नपूर्वक नहीं लिखी है। सभी शब्द, वाक्य, उपमाएं, संज्ञाएं कच्चे-पक्के युवा प्रेम की तरह अल्हड़ और बेफिक्र हैं।

गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

विघटनकार शक्तियों को विफल करने का मंत्र है- भारत माता की भक्ति

 भारत दे सकता है विश्व को सुख-शांतिमय नवजीवन


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की परंपरा में विजयादशमी के उत्सव पर सरसंघचालक के उद्बोधन का विशेष महत्व है। विजयादशमी हिन्दुओं का बड़ा सामाजिक उत्सव होने के साथ ही संघ की स्थापना का उत्सव भी है। इस उत्सव में सरसंघचालक जी का जो उद्बोधन होता है, उसमें स्वयंसेवकों के लिए पाथेय रहता है। इसके साथ ही उनके भाषण में समसामयिक मुद्दों को लेकर समाज की सज्जन शक्ति के लिए भी संदेश रहता है। चूँकि आज संघ पर सबकी निगाहें रहती हैं और विभिन्न विषयों को लेकर संघ के दृष्टिकोण को जानने की भी अपेक्षा रहती है, इसलिए भी विजयादशमी पर होनेवाले सरसंघचालक के उद्बोधन को लेकर सबको विशेष उत्सुकता रहती है। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने अपने उद्बोधन में सब प्रकार की बातों को ध्यान रखा। उन सब मुद्दों पर संघ का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जिन पर देशभर में चर्चाएं चल रही हैं। विजय का पर्व है, इसलिए देशवासियों के मन में उत्साह का संचार हो इसलिए उन्होंने अपने उद्बोधन की शुरुआत भारत की उपलब्धियों के साथ ही की। वीरांगना रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती, छत्रपति शिवाजी महाराज के हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना के 350वें वर्ष, छत्रपति शाहू जी महाराज की 150वीं जयंती और संत श्रीमद् रामलिंग वल्ललार की 200वीं जयंती का उल्लेख करके उन्होंने यही संदेश दिया है कि अमृतकाल में जब हम भारत के ‘स्व’ के जागरण का उपक्रम कर रहे हैं, तब हमें ऐसी महान विभूतियों के जीवन से अवश्य ही प्रेरणा लेनी चाहिए। एक सामर्थ्यशाली राष्ट्र के निर्माण के लिए व्यवहार से लेकर व्यवसाय में और व्यक्ति से लेकर राष्ट्र की नीति में, ‘स्व’ दिखना चाहिए।

बुधवार, 25 अक्तूबर 2023

प्रधानमंत्री मोदी ने दिलाए भारत के नवनिर्माण के 10 संकल्प

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विजयादशमी के उत्सव को सामाजिक सरोकारों के साथ जोड़ते हुए देशवासियों को 10 संकल्प दिलाए हैं। इन संकल्पों के पालन में व्यक्तिगत लाभ भी हैं और राष्ट्र निर्माण में एक नागरिक के नाते योगदान भी है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि हम सब अपने जीवन में योग, खेल और स्वास्थ्य से जुड़ी गतिविधियों को प्राथमिकता दें, मोटे अनाज को अपनाएं और अपने आसपास स्वच्छता को बढ़ावा दें। ये संकल्प ऐसे हैं, जिसके अनुपालन में नागरिकों को अतिरिक्त प्रयास नहीं करने हैं परंतु यदि इन संकल्पों को जीवन में उतार लिया जाए तो उसके सुखद परिणाम प्राप्त होंगे। एक बात कहनी होगी कि प्रधानमंत्री मोदी ने राजनीति को सामाजिक सरोकारों की ओर मोड़ दिया है। शुद्ध राजनीतिक चर्चाओं से इतर वे अकसर पर्यावरण, गरीबी कल्याण, जल संरक्षण, भाषा संवर्धन, स्वदेशी, स्वरोजगार और नागरिक स्वास्थ्य जैसे शुद्ध सामाजिक विषयों पर प्रबोधन करते नजर आते हैं।

शनिवार, 21 अक्तूबर 2023

अटारी बॉर्डर : झंडा ऊंचा रहे हमारा

Bharat's Tallest National Flag Tiranga Unfurled at Attari-Wagah Border 

भारत-पाकिस्तान सीमा ‘अटारी बॉर्डर’ (पूर्व में वाघा बॉर्डर) पर अब पाकिस्तान के झंडे से भी ऊंचा भारत का तिरंगा लहरा रहा है। विशेष सर्विलांस तकनीक से सुसज्जित यह ध्वज सरहद पर निगरानी में हमारे जवानों की सहायता करेगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 19 अक्टूबर को अटारी बॉर्डर पर ‘स्वर्ण जयंती द्वार’ के सामने देश का सबसे ऊंचा तिरंगा फहराया। पहले भी यहाँ 360 फीट ऊंचे ध्वज स्तम्भ पर विशाल तिरंगा फहराता था, जिसे वर्ष 2017 में स्थापित किया गया था। प्रत्येक युद्ध में पराजय का सामना करनेवाले पाकिस्तान ने भारत को नीचा दिखाने के लिए 400 फीट ऊंचे पोल पर अपना झंडा फहरा दिया। ऐसा करके पाकिस्तान ने सोचा होगा कि अब भारत का झंडा सदैव पाकिस्तान के झंडे से नीचे रहेगा। परंतु पाकिस्तान भूल गया कि यह नया भारत है। पाकिस्तान को इस मनोवैज्ञानिक युद्ध में भी विजय नहीं मिलनी थी। भारत का ध्वज, पाकिस्तान के झंडे से नीचे लहराए, यह किसे बर्दाश्त होता। अंतत: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की पहल पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने 3.5 करोड़ रुपए में अटारी बॉर्डर पर 418 फीट के नये ध्वज स्तंभ को स्थापित किया है। जिस पर फहरा रहा हमारा प्यारा तिरंगा अब बहुत दूर से ही, सबसे ऊपर, नीले गगन में शान से लहराता हुआ दिखायी देता है। उल्लेखनीय है कि अटारी पर फहरा रहा तिरंगा, अब देश में सबसे ऊंचा तिरंगा हो गया है। इससे पहले कर्नाटक के बेलगाम में देश का सबसे ऊंचा झंडा 360.8 फीट पर फहरा रहा था।

शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2023

गो-वर : पर्यावरण एवं मानवता के लिए गाय का वरदान

गाय के महत्व को रेखांकित करती फिल्म


‘बाचा: द राइजिंग विलेज’ को मिली सराहना के बाद हमारे समूह का उत्साह बढ़ा। अब हम नये वृत्तचित्र के लिए नयी कहानी खोज रहे थे। एक कार्यक्रम के निमित्त भोपाल स्थित शारदा विहार आवासीय विद्यालय जाना हुआ। वहां कई कहानियां थीं, जिन्हें हम सुना सकते थे। भौतिकी की खुली प्रयोगशाला में नवाचार दिखा, ध्यान के लिए बनाया गया एक विशेष मंडप में भारतीय ज्ञान–परंपरा की झलक थी, शिक्षा की भारतीय पद्धति का महत्व भी ध्यान में आ रहा था। परंतु हमने चुनी गोशाला।

तथाकथित प्रगतिशील गाय–गोबर का जितना चाहे उपहास उड़ाएं, लेकिन शारदा विहार, भोपाल स्थित ‘कामधेनु गोशाला एवं गोविज्ञान अनुसंधान केंद्र’ अपने प्रयोगों से गाय की महत्ता सिद्ध कर रहा है। परंपरागत और आधुनिक विज्ञान के सहयोग से इस प्रकल्प ने सिद्ध किया है कि भारत में गाय न केवल आर्थिक विकास की धुरी है अपितु पर्यावरण को संभालने में भी उपयोगी है। उल्लेखनीय है कि हमारी बदली हुई जीवनशैली के कारण पर्यावरण संरक्षण दुनिया का ज्वलंत मुद्दा बन गया है। तेजी से कटते जंगल, प्रदूषित होती हवा, जल संकट और ऊर्जा-ईंधन चिंता के कारण बन गए हैं। जब हम इन सब समस्याओं का समाधान तलाशते हैं, तो भारतीय जीवन शैली में ही एक उम्मीद की किरण नजर आती है और इस दिशा में हमारा विश्वास पक्का किया है- ‘कामधेनु गोशाला एवं गोविज्ञान अनुसंधान केंद्र’ ने।