दीपोत्सव प्रारंभ हो चुका है। समूचे देश में यह पर्व बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। अध्ययन और रोजगार के लिए जो लोग अपने घर से दूर होते हैं, उनका प्रयास रहता है कि दीपावली पर अपने घर पहुँचें। हम देखते हैं कि दीपावली के आसपास रेलगाडिय़ों में पाँव रखने के लिए भी जगह नहीं मिलती है। त्यौहार का आनंद तो परिवार के साथ ही है। इसीलिए दीपावली पर ज्यादातर परिवार एकत्र आ जाते हैं। मानो सब राम छोटे-छोटे वनवास समाप्त कर अपने-अपने अयोध्या पहुंते हैं। लेकिन, हमारे ही आसपास ऐसे अनेक परिवार हैं, जिनके राम नहीं आएंगे। हम सब सुरक्षित वातावरण में सुख और शांति से अपने परिवार के साथ दीपावली मना सकें, इसलिए उन परिवारों के राम सीमा खड़े हैं। अत्याचारी रावण के साथ युद्धरत हैं, उनके राम। हमारी खातिर। हमारी अयोध्या को युद्ध से बचाने के लिए। इसलिए हमारा नैतिक दायित्व बनता है कि सैनिकों के परिवारों से हम मिलें। उन्हें धन्यवाद दें। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस आशय की अपील की है। सैनिकों के प्रति उनकी संवेदनाएं जग जाहिर हैं।
रविवार, 30 अक्तूबर 2016
शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2016
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का सराहनीय निर्णय
हमें स्वाधीनता जरूर 15 अगस्त, 1947 को मिल गई थी, लेकिन हम औपनिवेशिक गुलामी की बेडिय़ाँ नहीं तोड़ पाए थे। अब तक हमें औपनिवेशिकता जकड़े हुए थी। पहली बार हम औपनिवेशिकता से मुक्ति की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। हम कह सकते हैं कि भारत नये सिरे से अपनी 'डेस्टिनी' (नियति) लिख रहा है। यह बात ब्रिटेन के ही सबसे प्रभावशाली समाचार पत्र 'द गार्जियन' ने 18 मई, 2014 को अपनी संपादकीय में तब लिखा था, जब राष्ट्रीय विचार को भारत की जनता ने प्रचंड बहुमत के साथ विजयश्री सौंपी थी। गार्जियन ने लिखा था कि अब सही मायने में अंग्रेजों ने भारत छोड़ा है (ब्रिटेन फाइनली लेफ्ट इंडिया)। आम चुनाव के नतीजे आने से पूर्व नरेन्द्र मोदी का विरोध करने वाला ब्रिटिश समाचार पत्र चुनाव परिणाम के बाद लिखता है कि भारत अंग्रेजियत से मुक्त हो गया है। अर्थात् एक युग के बाद भारत में सुराज आया है। भारत अब भारतीय विचार से शासित होगा।
गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016
असहिष्णुता नहीं है आरएसएस कार्यकर्ताओं पर हमले
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं की हत्या और उन पर जानलेवा हमले की घटनाओं में वृद्धि हुई है। यह घटनाएं किसी षड्यंत्र की ओर इशारा करती हैं। केरल, पंजाब, कर्नाटक और अब भाजपा शासित मध्यप्रदेश में भी संघ के कार्यकर्ता पर हमला करने की घटना सामने आई है। अभी इन घटनाओं के पीछे एक ही कारण समझ आ रहा है। संघ की राष्ट्रीय विचारधारा के विस्तार और उसके बढ़ते प्रभाव से अभारतीय विचारधाराओं में खलबली मची हुई है। फासीवाद, हिटलरशाह, सांप्रदायिक से लेकर असहिष्णुता के आरोप लगाने के बाद भी वह संघ के बढ़ते कदमों को नहीं रोक पा रही हैं। प्रतीत होता है कि संघ को रोकने के लिए अब उन्होंने सब जगह हिंसक हमलों का विकल्प चुना है। हालांकि, उनका यह अस्त्र भी पुराना और असफल है। केरल से लेकर नक्सल प्रभावित इलाकों में उन्होंने लोगों को संघ से दूर करने के लिए हिंसा के आधार पर भय का वातावरण बनाने का लम्बा प्रयास किया है, जिसमें उन्हें कहीं भी सफलता नहीं मिली। केरल में संघ के स्वयंसेवक मास्टर जी के पैर काटकर भी वामपंथी गुंडे उनके हौसले को नहीं हरा सके। कृत्रिम पैरों की मदद से मास्टर जी फिर से संघ स्थान पर आकर खड़े हो गए हैं। इस विजयादशमी के पथ संचलन में भी नई गणवेश में उन्होंने सहभागिता की है।
मंगलवार, 25 अक्तूबर 2016
इसलिए कीजिए चीनी सामान का बहिष्कार
भारत की देशभक्त जनता ने चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान चला रखा है। यह उचित ही है। इस अभियान का भरपूर समर्थन किया जाना चाहिए। भारत के सामने लगातार चीन बाधाएं खड़ी कर रहा है। हालांकि प्रत्येक भारतीय के लिए सबसे असहनीय बात यह है कि चीन लगातार पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। आतंकवाद पर भी चीन का व्यवहार ठीक नहीं है। उड़ी हमले के बाद जिस तरह से चीन ने पाकिस्तान का बचाव करने का प्रयास किया है, उससे भारत की देशभक्त जनता में चीन के प्रति काफी आक्रोश है। चीन को सबक सिखाने के लिए भारतीय नागरिकों ने सोशल मीडिया पर चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम चलाई है। यह मुहिम अपना रंग दिखा रही है। तकरीबन एक ही महीने में भारत में चीनी सामान की बिक्री इतनी कम हो गई है कि उससे चीन बुरी तरह बौखला गया है। बौखलाहट में चीनी मीडिया ने भारत और उसके नागरिकों के खिलाफ बहुत हल्की भाषा में कटाक्ष किया है। चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम के संबंध में लिखते हुए चीनी मीडिया ने लिखा है कि भारत भौंक तो सकता है, लेकिन कुछ कर नहीं सकता। चीन के सामान और तकनीक के सामने भारत का सामान और तकनीक टिक नहीं सकता है। लेकिन, चीन को इस बात का आभास नहीं है भारत के नागरिक यदि तय कर लेते हैं तो सब बातें एक तरफ और भारतीयों का निर्णय एक तरफ। चीन को यह भी नहीं पता होगा कि भारत में उसके सामान के प्रति आम नागरिकों की भावना किस प्रकार की है। चीनी माल को दोयम दर्जे का समझा जाता है। उसकी गुणवत्ता को संदेह से देखा जाता है। चीनी सामान भारत में इसलिए बिकता है, क्योंकि वह सस्ता है। उसकी बिक्री गुणवत्ता के कारण नहीं है।
शनिवार, 22 अक्तूबर 2016
रामायण संग्रहालय का सराहनीय फैसला
भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में 'रामायण संग्रहालय' के निर्माण का साहसिक और सराहनीय निर्णय केन्द्र सरकार ने लिया है। वहीं, राज्य सरकार ने भी सरयू नदी के किनारे रामलीला थीम पार्क बनाने का निर्णय लिया है। राम भक्तों पर गोली चलाने वाले और खुद को मौलाना मुलायम कहाने में गर्व की अनुभूति करने वाले मुलायम सिंह यादव के बेटे और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने थीम पार्क को मंजूरी दी है। कांग्रेस और बहुजन समाजवादी पार्टी इन निर्णयों के लिए भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी पर राम के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है। यह आरोप कितने सही-गलत हैं, यह अलग बहस का मुद्दा है। सवाल तो यह भी है कि आखिर कांग्रेस ने 70 सालों में यह पहल क्यों नहीं की। कांग्रेस ने कभी मुस्लिम तुष्टीकरण से ऊपर उठकर हिंदू समाज की चिंता क्यों नहीं की? बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकार ने भी 2007 में अंतरराष्ट्रीय रामलीला संकुल का प्रस्ताव रखा था। चूँकि बहन मायावती का पूरा ध्यान 'हाथी पार्क' बनाने पर रहा। इस कारण उनसे राम कहीं छिटक गए।
बुधवार, 19 अक्तूबर 2016
बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा को सरकार का मौन समर्थन
बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा विकराल होती जा रही है। बंगाल की स्थितियाँ देश और समाज के लिए खतरनाक होती जा रही हैं। हालात यह हैं कि मुस्लिम समाज से जुड़े अतिवादियों की दंगई से आजिज आकर कई क्षेत्रों से हिंदुओं को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बंगाल में हिंदुओं को रहना, व्यापार करना और यहाँ तक की अपनी आस्थाओं का पालन करना भी कठिन हो गया है। मंदिरों में पथराव, मूर्तियों का खंडित किया जाना, हिंदू बस्तियों में आगजनी, हिंदुओं की दुकानों को लूटने जैसी घटनाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। दंगइयों के हौसले इतने बुलंद हैं कि पुलिस थानों को भी खाक करने में उन्हें कोई संकोच नहीं होता है। देश को अच्छे से याद है कि मालदा में ढाई लाख लोगों की भीड़ ने किस कदर आतंक फैलाया था। अब फिर से मालदा की पुनरावृत्ति की खबरें सामने आ रही हैं।
शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिल के करीब है हृदयप्रदेश
याद कीजिए उन दिनों को जब लोकसभा का चुनाव प्रचार चरम पर था, जब नतीजे भारतीय जनता पार्टी या कहें नरेन्द्र मोदी के पक्ष में आए, जब नरेन्द्र मोदी की ताजपोशी हो रही थी। याद आए वह दिन। गुजरात में मोदी और मध्यप्रदेश में शिवराज के विकास ने, दोनों को भाजपा का 'पोस्टर बॉय' बना दिया था। इसलिए उन दिनों गुजरात बनाम मध्यप्रदेश की बहस को जानबूझकर उछाला गया था। नरेन्द्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान को आमने-सामने खड़ा कर दोनों के बीच खटास डालने का प्रयास किया जा रहा था। यहाँ तक कहा कि प्रधानमंत्री बनते ही नरेन्द्र मोदी सबसे पहले मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बदलेंगे। लेकिन, सब उलट हो रहा है। सारे कयास, सारे गणित, सारे विश्लेषण गलत साबित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच न केवल संबंधों में गाढ़ापन आ रहा है, बल्कि भाजपा की एक नई जोड़ी बनती दिखाई दे रही है। शिवराज के आमंत्रण पर प्रधानमंत्री का बार-बार मध्यप्रदेश आना, अपनी महत्त्वाकांक्षी योजनाओं एवं अभियानों की मध्यप्रदेश की भूमि से घोषणा करना, शिवराज को महत्त्व देना, मोदी मुख से शिवराज की तारीफ और शिवराज द्वारा मोदी की प्रशंसा, यह सब किस ओर इशारा करते हैं। पिछले ढाई साल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जितनी बार गुजरात नहीं गए होंगे, उससे अधिक बार मध्यप्रदेश आ चुके हैं। यह देखकर लगता है कि हृदयप्रदेश प्रधानमंत्री के दिल के करीब है। प्रधानमंत्री के आज के प्रवास को भी इसी संदर्भ में देखा जा सकता है। मध्यप्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है कि उसे प्रधानमंत्री के आतिथ्य का अवसर लगातार मिल रहा है।
बुधवार, 12 अक्तूबर 2016
देश और समाज हित में संघ का समग्र चिंतन
विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक का उद्बोधन स्वयंसेवकों के लिए पाथेय का काम करता है। संघ की स्थापना को 91 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। इन वर्षों में संघ का इतना अधिक विस्तार हो चुका है कि विजयादशमी का उद्बोधन स्वयंसेवकों के लिए ही नहीं, बल्कि संघ के समर्थकों और विरोधियों के लिए भी महत्त्वपूर्ण होता है। विजयादशमी के अवसर पर सरसंघचालक अपने उद्बोधन में देश-काल-स्थिति को ध्यान में रखकर संघ के चिंतन और कार्ययोजना को प्रस्तुत करते हैं। वर्तमान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने अपने उद्बोधन में समाज और देश हित के सभी विषयों पर बात की। शिक्षा, संस्कृति, समाज और शासन के संबंध में उनके विचार अनुकरणीय हैं। वर्तमान राजनीतिक हालात पर उन्होंने बहुत महत्त्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि 'हम सब जानते हैं कि दुनिया की कई शक्तियां भारत को बढ़ते नहीं देखना चाहते। हमारे यहां के स्वार्थों के कारण उनको पोषित करने वाले लोग भी हैं। ऐसे लोगों को भारत का आगे बढऩा सुहाता नहीं है। प्रजातंत्र में विरोधी दल अधिकतर शासन की कमियों को ही उजागर करते हुए अपनी बात कहते हैं, लेकिन ऐसा करते हुए एक सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। दलीय स्वार्थों के लिए भी एक मर्यादा का पालन होना चाहिए। हमारी राजनीति से एकता खतरे में न पड़ जाए। विवादों के चलते जनता एक दूसरी की विरोधी न बन जाए, इस मर्यादा का पालन करना चाहिए। देश का स्वार्थ सबसे ऊपर है।'
मंगलवार, 11 अक्तूबर 2016
आतंकी मसूद अजहर की आड़ में घिनौना खेल खेल रहा चीन
न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत की दावेदारी पर अड़ंगा लगाने के बाद अब चीन ने एक बार फिर भारत के खिलाफ टेड़ी चाल चली है। संयुक्त राष्ट्र में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आतंकी घोषित कराने के भारत के अभियान में चीन ने बाधा खड़ी की है। भारत ने आतंकी मसूद को 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में आतंकी घोषित कराने का प्रस्ताव रखा है, जिस पर परिषद के 14 सदस्य भारत के साथ हैं, लेकिन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य चीन अपनी 'वीटो पॉवर' का दुरुपयोग कर रहा है। चीन के उप विदेश मंत्री ली बाडोंग ने कहा कि 'चीन हर प्रकार के आतंकवाद का विरोध करता है। लेकिन इस पर दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए। काउंटर टेरेरिज्म के नाम पर किसी को इसका राजनीतिक फायदा नहीं लेना चाहिए।' चीन की यह टेड़ी चाल न केवल भारत के राष्ट्रीय हित के विरुद्ध है, बल्कि एक प्रकार आतंकवाद और आतंकी देश का समर्थन भी है। आतंकवाद पर दोहरा मापदण्ड किसका है, यह दुनिया देख रही है। क्या चीन यह कहना चाहता है कि मसूद अजहर आतंकवादी नहीं है?
सोमवार, 10 अक्तूबर 2016
सुधार क्यों नहीं चाहता मुस्लिम समुदाय
तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार का हलफनामा स्वागत योग्य है। मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक स्थिति और उनके संवैधानिक अधिकार को मजबूत करने के लिए केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दायर अपने हलफनामे में स्पष्ट कहा है कि तीन तलाक महिलाओं के साथ लैंगिग भेदभाव करता है। केन्द्र सरकार ने उचित ही कहा है कि पर्सनल लॉ के आधार पर किसी को संवैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। महिलाओं की गरिमा के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता। केन्द्र सरकार ने यहाँ तक कहा है कि तीन तलाक, हलाला निकाह और बहुविवाह इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। सरकार का यह कहना उचित ही है। यदि यह प्रथाएँ इस्लाम का अभिन्न अंग होती, तब इस्लामिक देशों में इन पर प्रतिबंध संभव होता क्या? दुनिया के अनेक प्रमुख इस्लामिक मुल्कों में तीन तलाक, हलाला निकाह और बहुविवाह प्रतिबंधित हैं। इसलिए भारत में भी महिलाओं के साथ धर्म और पर्सनल लॉ के नाम पर होने वाली ज्यादती रुकनी चाहिए।
शनिवार, 8 अक्तूबर 2016
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कहा- 'खून का दलाल'
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह अपरिपक्व नेता हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ उन्होंने बेहद ओछी और निचले स्तर की भाषा का उपयोग किया है। उत्तरप्रदेश के देवरिया से प्रारंभ हुई अपनी किसान यात्रा के दिल्ली में समापन अवसर पर एक सार्थक भाषण प्रस्तुत करने की बजाय राहुल गाँधी कीचड़ उछालने वाली भाषा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साध रहे थे। उन्होंने कहा कि 'जो हमारे जवान हैं, जिन्होंने अपना खून दिया है। जम्मू-कश्मीर में खून दिया है, जिन्होंने हिन्दुस्तान के लिए सर्जिकल स्ट्राइक किए हैं, उनके खून के पीछे आप (मोदी) छिपे हैं। उनकी आप दलाली कर रहे हो। यह बिल्कुल गलत है।' राहुल गाँधी का यह बयान बेहद शर्मनाक है। यह बयान साबित करता है कि अभी तक राहुल गाँधी सोच-समझकर बोलना नहीं सीख पाए हैं। संभवत: कांग्रेस के प्रवक्ताओं को भी इस बयान का समर्थन करना मुश्किल होगा। देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसी अमर्यादित भाषा का उपयोग शायद ही अब तक किसी ने किया हो।
शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2016
नवाज शरीफ, कितने शरीफ?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक बार फिर अपनी 'शराफत' दिखा दी। भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर में आतंकी शिविरों पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक से 'खिसयानी बिल्ली' बने नवाज शरीफ ने अपने मुल्क को सफाई देने के लिए संसद का संयुक्त सत्र बुलाया था। बुधवार को पाकिस्तानी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते वक्त उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया कि पाकिस्तान और वहाँ की सरकार की बुनियाद झूठ एवं भारत विरोध पर टिकी है। देश-दुनिया के सामने अपनी 'कॉलर' बचाने के लिए नवाज शरीफ ने एक के बाद एक झूठ संसद में बोले। हालांकि, नवाज के झूठ उनके चेहरे को छिपा कम रहे थे, बल्कि उजागर अधिक कर रहे थे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शायद समझ नहीं पा रहे हैं कि भारत ने उनके मुखौटे में इतने छेद कर दिए हैं कि अब वह अपना खूनी और कायर चेहरा उसके पीछे छिपा नहीं सकता। नवाज यदि गौर से अपने ही मुल्क में देखें तो पाएंगे कि दुनिया को भ्रम में रखना तो बहुत दूर की बाद है, अब वह अपने ही देश की आवाम को बहला नहीं सकते। नवाज शरीफ के झूठ की पोल खोलने के लिए पाकिस्तान की संसद से लेकर सड़क तक आवाजें बुलंद हो रही हैं।
गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016
पाकिस्तानी कलाकारों से इतना प्रेम क्यों?
आतंकवादी हमलों से आहत भारत के नागरिक चाहते हैं कि पाकिस्तान का समूचा बहिष्कार किया जाए। इस सिलसिले में बॉलीवुड से पाकिस्तानी कलाकारों को बाहर करने और उन्हें काम नहीं देने की माँग जोर पकड़ रही है। यह माँग स्वाभाविक है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन, बॉलीवुड से लेकर अन्य कला और तथाकथित बौद्धिक जगत इस विषय पर भी दो हिस्सों में बँटा नजर आ रहा है। देश का सामान्य आदमी समझ नहीं पा रहा है कि आखिर पाकिस्तानी कलाकारों से इतना प्रेम क्यों है? पाकिस्तानी कलाकारों का समर्थन क्या देशहित से बढ़कर है? पाकिस्तानी कलाकार बॉलीवुड में काम नहीं करेंगे, तब क्या बॉलीवुड ठप हो जाएगा? इन सवालों के जवाब कोई नहीं दे रहा। हद है कि कुछेक लोग पाकिस्तानी कलाकारों को देश से ऊपर रखने का प्रयास कर रहे हैं। उनके लिए कलाकार किसी भी प्रकार की सीमा से ऊपर हैं। वह पूछ रहे हैं कि क्या पाकिस्तानी कलाकारों को भगा देने से आतंकवाद समाप्त हो जाएगा? नहीं होगा, आतंकवाद समाप्त। लेकिन, क्या आप भरोसा दिलाते हैं कि पाकिस्तानी कलाकारों को काम देने आतंकवाद समाप्त हो जाएगा? भारत में आप अभिव्यक्ति की आजादी का बेजा इस्तेमाल करते हैं, इसलिए आप खुद को खुदा समझते हो। यदि वाकई कलाकार संवेदनशील हैं और उनके लिए देश की सीमाएँ कोई मायने नहीं रखती, तब क्या पाकिस्तानी कलाकार बेकसूर लोगों का खून बहाने वाले आतंकवादियों का विरोध कर सकते हैं? पाकिस्तानी कलाकारों के समर्थक क्या इतना भर करा सकते हैं कि कोई फवाद खान पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ बयान जारी कर दे? यह संभव नहीं है। इसलिए पाकिस्तानी कलाकारों के लिए विधवा विलाप बेमानी है।
बुधवार, 5 अक्तूबर 2016
पाकिस्तान को पसंद आए केजरीवाल के बोल
देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ के नेता और बुद्धिजीवी राष्ट्रीय मुद्दों पर भी बेतुकी बयानबाजी करने से बाज नहीं आते हैं। वक्त की नजाकत कहती है कि इस वक्त भारत और पाकिस्तान के संबंध में बहुत संभलकर बोलने की जरूरत है। इस वक्त कोई भी विचार प्रकट करते वक्त यह ध्यान रखना ही चाहिए कि उसका क्या असर होगा? हमारा विचार दुश्मन देश को मदद न पहुँचा दे। अपने किसी भी बयान से भारत सरकार, भारतीय सेना और भारतीय नागरिकों का मनोबल कमजोर नहीं होना चाहिए। लेकिन, स्वार्थ की राजनीति करने वाले नेता बड़ी बेशर्मी से ऐसे प्रश्न खड़े कर ही देते हैं। आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐसी ही एक अमर्यादित टिप्पणी 'सर्जिकल स्ट्राइक' के संबंध में कर दी है। दो मिनट 52 सेकंड का एक वीडिया उन्होंने सोशल मीडिया पर जारी किया है, जिसमें केजरीवाल पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर बात कर रहे हैं।
शनिवार, 1 अक्तूबर 2016
सर्जिकल स्ट्राइक : शक्ति की उपासना का प्रकटीकरण
आज से नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। शक्ति की उपासना का पर्व। भारत के पर्व उसकी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रत्येक पर्व अपने साथ सामाजिक संदेश लेकर आता है। यह सुयोग ही है कि शक्ति पर्व के प्रारंभ से पहले पाकिस्तान में पनाह लिए आतंकवादियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करके भारत ने दुनिया को बता दिया कि वह शास्त्र के साथ शस्त्र का भी धारण करता है। हम देखें तो पाएंगे कि हमारे प्रत्येक देवी-देवता शस्त्र और शास्त्र दोनों धारण करते हैं। स्पष्ट संदेश है कि अकेला शस्त्र खतरनाक है और शास्त्र निरर्थक। जैसे पाकिस्तान और आतंकवादी संगठनों के पास शस्त्र तो हैं, लेकिन शास्त्र नहीं हैं। इसलिए दुनिया में भय है कि यह पागल देश परमाणु बम का उपयोग न कर बैठे। इसी तरह उन महान संस्कृतियों का शास्त्र (संदेश) भी कोई नहीं सुनता, जिनके पास शस्त्र नहीं है। शस्त्र और शास्त्र में संतुलन का संदेश भारतीय संस्कृति में है। इसलिए भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र है और पाकिस्तान एक गैर जिम्मेदार देश। भारत शास्त्र का महत्त्व समझता है, इसलिए इतना संयम और धैर्य दिखा पाता है।
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