बेसहारा परिवार को पाँच हजार पेंशन और बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा का सराहनीय निर्णय
हम सब जानते हैं कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने किसी को संभलने का अवसर नहीं दिया। बहुत तेजी से फैली महामारी की यह लहर अपने पीछे अनेक प्रकार के दु:ख और कष्ट छोड़कर जाने वाली है। यह दु:ख और कष्ट छोटे हो सकते हैं यदि समाज और सरकार मिलकर प्रयास करें। कोरोना संक्रमण की त्रासद घटनाओं के कारण यह महामारी अब हमारे लिए सामाजिक समस्या भी बन गई है। अनेक परिवार बेसहारा हो गए हैं। उनमें जो कमाने-खिलानेवाले थे, उनका दु:खद निधन हो गया है। बेसहारा परिवार और बच्चों के सामने अनेक चिंताएं हैं। हमें प्रयास करना चाहिए कि हम सब ऐसे परिवारों की चिंताओं का समाधान कैसे कर सकते हैं? मध्यप्रदेश सरकार ने पहलकदमी करते हुए बेसहारा परिवारों को पाँच हजार रुपये मासिक पेंशन, बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा और राशन की नि:शुल्क व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय बाकी राज्यों की सरकारों के लिए अनुकरणीय हो सकता है।
इस तरह के प्रयासों में सरकारों के साथ सामाजिक संगठनों एवं जागरूक व्यक्तियों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। सरकार ऐसे परिवारों के लिए कोई योजना बनाए और सामाजिक संगठन एवं जागरूक नागरिक जरूरतमंद व्यक्ति तक इन योजनाओं का लाभ पहुँचाने में सहयोगी बनें। साथ यह भी नजर रखी जाए कि कोई जरूरतमंदों का हक न मार ले। योजनाओं का सीधा लाभ पीडि़त व्यक्ति को मिले। उसमें बिचौलिए आकर उनको सहायता देने की जगह उनके दर्द को बढ़ाने का काम न करें। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बात के लिए प्रशंसा के पात्र हैं कि उन्होंने बेसहारा हुए परिवारों एवं बच्चों को प्रत्येक माह पाँच हजार रुपये की पेंशन देने का निर्णय लिया है। बेसहारा परिवारों के लिए यह बड़ी राहत होगी। यह निर्णय बताता है कि शिवराज सिंह चौहान बहुत संवेदनशील मुख्यमंत्री हैं। उनके लिए अंत्योदय की चिंता प्राथमिक है। वह उन परिवारों की चुनौतियों को समझते हैं, जो कमजोर आय वर्ग से हैं। पाँच हजार रुपये की मासिक पेंशन के साथ ही उन्होंने ऐसे बच्चों की नि:शुल्क पढ़ाई की व्यवस्था एवं परिवारों को नि:शुल्क राशन की व्यवस्था करने का निर्णय भी लिया है।
इसके साथ ही महिलाओं को काम प्रारंभ करने के लिए सरकार की गारंटी पर बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध कराने का निर्णय भी सराहनीय है। इस बात के लिए लोगों को अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि वे स्वावलंबी बनें और स्वरोजगार कर बाकी सबके लिए भी उदाहरण बनें। मध्यप्रदेश सरकार का यह निर्णय एक आत्मविश्वास पैदा करता है, एक भरोसा जगाता है एवं आश्वासन देता है कि कठिन परिस्थितियों में सरकार हमारा सहारा बनेगी और हम फिर से उठ खड़े होंगे। आज की निराशाजनक परिस्थिति में इस प्रकार का भरोसा बहुत जरूरी है। यह भरोसा ही इस कठिन लड़ाई में जीतने का हमारा सबसे बड़ा सहारा बनेगा।