शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

नईदुनिया में प्रकाशित लेखक लोकेन्द्र सिंह से बातचीत

बातचीत : माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक लोकेन्द्र सिंह राजपूत ने साहित्य लेखन से जुड़े कई अनुभव साझा किए

नईदुनिया (नवदुनिया, भोपाल) के 'शब्द संसार' कॉलम में लेखक लोकेन्द्र सिंह की साहित्यिक यात्रा पर विशेष बातचीत 28 दिसंबर, 2023 को प्रकाशित हुई

"मुझे स्कूल के दिनों से ही समाचारपत्रों में प्रकाशित कहानियां, बोधकथा, व्यंग्य, यात्रा वृत्तांत के साथ-साथ साहित्यिक पुस्तकें आकर्षित करती रहीं। गर्मी की छुट्टियों में समाचारपत्रों के रविवारीय एवं बुधवारीय परिशिष्ट निकालकर पढ़ने से अध्ययन की शुरुआत हुई। ऐसे ही एक दिन समाचारपत्र पलटते हुए उन्हें अपनी मौसी सरला यादव की लिखी कहानी दिखी, तब उनके भीतर के साहित्यकार ने उमंग ली। मन बनाया कि मैं भी लिखूंगा। उसके बाद अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से आयोजित होनेवाले साहित्यक गोष्ठियों में साहित्यकारों की संगत मिली तो दिशा और स्पष्ट होती गई"। यह कहना है लोकेन्द्र सिंह राजपूत का। उन्होंने साहित्यिक यात्रा का अनुभव नवदुनिया/नईदुनिया से साझा किया।

गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

विपक्षी गठबंधन में हिन्दू विरोध की प्रतिस्पर्धा


ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के बीच हिन्दू धर्म और भारतीयता के विचार पर हमला करने की कोई प्रतिस्पर्धा चल रही है। डीएमके के नेताओं के हिन्दू एवं उत्तर भारत विरोधी बयानों के बाद एक बार फिर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिन्दू धर्म को लेकर घोर आपत्तिजनक बयान दिया है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह भी है कि राजनीतिक स्वार्थों के चलते विपक्षी गठबंधन के लगभग सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं की ओर से हिन्दू विरोधी बयानों की निंदा नहीं की जा रही है। सब चुप्पी साधकर बैठे हैं। केवल भारतीय जनता पार्टी के नेता ही आगे आकर हिन्दू और भारत विरोधी बयानों की निंदा कर रहे हैं। ऐसे में जनता यह क्यों नहीं माने कि हिन्दू धर्म का पक्ष लेने की बात हो तब भाजपा ही सबसे आगे दिखायी देती है। अन्य धर्मों का सम्मान रखने के साथ ही भाजपा प्राथमिकता के आधार पर हिन्दू हित की बात करती है।

शनिवार, 16 दिसंबर 2023

विवाद समाप्त होने से ही आएगा सांप्रदायिक सौहार्द


काशी के बाद अब मथुरा में भी श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर स्थित शाही ईदगाह का सर्वेक्षण किया जाएगा। इसकी अनुमति इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने की दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी शाही ईदगाह के सर्वे के निर्णय पर अपनी सहमति दी है। उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के रुख से संकेत मिलता है कि भारत की न्यायपालिका अब संवेदनशील मामलों को अटकाने के पक्ष में नहीं है। इतिहास में जो भूल हुई हैं, उन्हें सुधारने के लिए न्यायपालिका भी आज के समय को अनुकूल समझ रही है। नि:संदेह, देश में राष्ट्रीय विचार की सरकार है, जो किसी भी प्रकार के तुष्टीकरण का समर्थन न करके राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर वैज्ञानिक एवं संवैधानिक दृष्टिकोण रखती है। याद रखें कि धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद की यह स्थिति किसी भी प्रकार से देश और समाज के हित में नहीं है। विवाद की स्थिति बनी रहने से हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच आपसी तनाव भी बना रहता है।

बुधवार, 13 दिसंबर 2023

जम्मू-कश्मीर में संविधान की जीत

संपूर्ण देश को बेसब्री से प्रतीक्षा थी कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित अलगाववादी अनुच्छेद-370 पर सर्वोच्च न्यायालय क्या निर्णय सुनाता है। वैसे तो सब आश्वस्त थे कि न्यायालय में न्याय, सत्य और संविधान की विजय सुनिश्चित है। इसके बावजूद एक आशंका तो थी ही कि कहीं न्यायालय से प्रतिकूल निर्णय न आ जाए। यदि सर्वोच्च न्यायालय यह मान लेता कि अनुच्छेद-370 को हटाया नहीं जा सकता इसलिए उसे बहाल किया जाए, तब केंद्र सरकार के सामने बड़ी दुविधा खड़ी हो जाती। यह तो विश्वास है कि मोदी सरकार कोई न कोई मार्ग निकालती और इस अलगाववादी अनुच्छेद को पुन: स्थायी रूप से हटा देती। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का अपनी स्थापना के समय से ही यह संकल्प है कि देश की एकता-अखंडता को प्रभावित करनेवाले इस अनुच्छेद को समाप्त करना आवश्यक है। इसके लिए भाजपा के नेताओं ने अपना बलिदान भी दिया है। भाजपा के वैचारिक प्रेरणास्रोत श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान भी जम्मू-कश्मीर में ‘एक निशान, एक विधान और एक प्रधान’ की माँग करते हुआ।

मंगलवार, 12 दिसंबर 2023

मुख्यमंत्रियों के चयन में दिखी भाजपा की विशेषता

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत के बाद से खूब कयास लगाए जा रहे थे कि इन राज्यों में मुख्यमंत्री कौन बनेंगे? बहुत हद तक सब एक राय थे कि इन राज्यों में भाजपा नये लोगों को अवसर देगी। राज्यों में दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे लाने का अवसर आ गया है। लेकिन, किन नेताओं को कमान मिल सकती है इसका अंदाज बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी नहीं लगा सके। छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय, मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव और राजस्थान में भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने विपक्षी राजनीतिक दलों के सामने एक बड़ी लकीर खींच दी है। भाजपा ने बता दिया है कि वह प्रयोग करने में हिचकती नहीं है। पार्टी के साधारण नेता को सामने लेकर आना और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपना, यह भाजपा ही कर सकती है। इसमें किसी को संदेह नहीं कि विष्णु देव साय, डॉ. मोहन यादव एवं भजनलाल शर्मा ने भी नहीं सोचा होगा कि वे मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

भाजपा ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों को आईना दिखाया है कि ‘परिवारवाद’ से बाहर निकलकर कैसे नये नेतृत्व गढ़े जाते हैं। उल्लेखनीय है कि एक दिन पूर्व ही बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने पार्टी का उत्तराधिकार अपने ही भतीजे आकाश आनंद को सौंपा है। अन्य राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की स्थिति भी कमोबेश इसी प्रकार की है।