शनिवार, 21 अक्तूबर 2023

अटारी बॉर्डर : झंडा ऊंचा रहे हमारा

Bharat's Tallest National Flag Tiranga Unfurled at Attari-Wagah Border 

भारत-पाकिस्तान सीमा ‘अटारी बॉर्डर’ (पूर्व में वाघा बॉर्डर) पर अब पाकिस्तान के झंडे से भी ऊंचा भारत का तिरंगा लहरा रहा है। विशेष सर्विलांस तकनीक से सुसज्जित यह ध्वज सरहद पर निगरानी में हमारे जवानों की सहायता करेगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 19 अक्टूबर को अटारी बॉर्डर पर ‘स्वर्ण जयंती द्वार’ के सामने देश का सबसे ऊंचा तिरंगा फहराया। पहले भी यहाँ 360 फीट ऊंचे ध्वज स्तम्भ पर विशाल तिरंगा फहराता था, जिसे वर्ष 2017 में स्थापित किया गया था। प्रत्येक युद्ध में पराजय का सामना करनेवाले पाकिस्तान ने भारत को नीचा दिखाने के लिए 400 फीट ऊंचे पोल पर अपना झंडा फहरा दिया। ऐसा करके पाकिस्तान ने सोचा होगा कि अब भारत का झंडा सदैव पाकिस्तान के झंडे से नीचे रहेगा। परंतु पाकिस्तान भूल गया कि यह नया भारत है। पाकिस्तान को इस मनोवैज्ञानिक युद्ध में भी विजय नहीं मिलनी थी। भारत का ध्वज, पाकिस्तान के झंडे से नीचे लहराए, यह किसे बर्दाश्त होता। अंतत: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की पहल पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने 3.5 करोड़ रुपए में अटारी बॉर्डर पर 418 फीट के नये ध्वज स्तंभ को स्थापित किया है। जिस पर फहरा रहा हमारा प्यारा तिरंगा अब बहुत दूर से ही, सबसे ऊपर, नीले गगन में शान से लहराता हुआ दिखायी देता है। उल्लेखनीय है कि अटारी पर फहरा रहा तिरंगा, अब देश में सबसे ऊंचा तिरंगा हो गया है। इससे पहले कर्नाटक के बेलगाम में देश का सबसे ऊंचा झंडा 360.8 फीट पर फहरा रहा था।

पिछले दिनों (4 सितंबर, 2023) जब मैं अटारी पर गया तो वहां भारत का ध्वज नहीं पाकर थोड़ा अजीब लगा था। अटारी बॉर्डर की ओर बढ़ रहे थे तो बहुत दूर से पाकिस्तान का विशाल ध्वज तो फहराता हुआ दिख रहा था, लेकिन अपने तिरंगे के बिना आसमान सूना लग रहा था। अटारी पहुँचकर मैंने सबसे पहले सैनिक बंधुओं से पूछा कि यहां पाकिस्तान का इतना बड़ा झंडा फहरा रहा है, जो भारत में भी बहुत दूर तक दिख रहा है। जबकि हमारे ध्वज स्तंभ खाली पड़े हैं। तब उन्होंने पाकिस्तान की चालकी के बारे में बताया और कहा कि हम पाकिस्तान के झंडे से नीचे अपना राष्ट्रीय ध्वज कैसे फहरा सकते हैं। आप जब अगली बार आओगे तो यहां सबसे ऊंचा और बड़ा, भारत का ही झंडा फहरते हुए पाओगे, जो भारत में ही नहीं अपितु पाकिस्तान में भी दूर तक अपनी छाप छोड़ेगा। इस 418 फीट ऊंचे पोल पर जब भारत का झंडा आसमान से बातें करेगा तो आपकी छाती 56 इंच की हो जायेगी। 

अटारी बॉर्डर (पूर्व में वाघा बॉर्डर) पर एक दिन Lokendra Singh

शाम को जब वाघा बॉर्डर पर दोनों देश अपने–अपने राष्ट्रीय ध्वज उतारते हैं, तब यहां का माहौल अलग ही होता है। देशभक्ति का गजब जोश रहता है। बॉर्डर पर बना स्टेडियम भारत माता के जयकारे से गूंजता रहता है। वन्देमातरम और हिंदुस्थान जिंदाबाद के जयघोष में पाकिस्तान की ओर से लगाए जाने वाले नारे कहीं खो जाते हैं। भारत की ओर बड़े स्टेडियम में दर्शकों के बैठने की क्षमता पाकिस्तान की दर्शक दीर्घा से कम से कम 6–7 गुना अधिक है। भारत की दर्शक दीर्घा पूरी तरह भरी रहती है जबकि पाकिस्तान की दर्शक दीर्घा सामान्यतः खाली ही रह जाती है। हां, विशेष अवसरों पर वहां के लोग भी अच्छी संख्या में अपनी सेना का मनोबल बढ़ाने आते हैं। हो सके तो एक बार अवश्य ही अटारी बॉर्डर पर होकर आना चाहिए।

अटारी बॉर्डर पर भारतीय हिस्से में जनसमुदाय और पाकिस्तान के हिस्से में सन्नाटा। फोटो : Lokendra Singh

एक तथ्य और जानना चाहिए कि अटारी बॉर्डर को पहले वाघा बॉर्डर कहा जाता था। इसलिए कई लोग आज भी इसे वाघा बॉर्डर ही कहते हैं। लेकिन बाद में पंजाब सरकार ने इसका नाम बदल दिया गया क्योंकि जिस गाँव वाघा के नाम पर इसे वाघा बॉर्डर कहा जाता था, वह पाकिस्तान की ओर है। भारत की सीमा पर अटारी गाँव है। इसलिए भारत की ओर के बॉर्डर को अब अधिकृत रूप से अटारी बॉर्डर कहा जाता है। इसे ही कई बार अटारी-वाघा बॉर्डर भी कह दिया जाता है। अटारी गाँव के साथ एक और गौरवपूर्ण तथ्य जुड़ा है। महाराजा रणजीत सिंह की सेना के एक सेनापति शाम सिंह अटारीवाला का जन्म स्थान ‘अटारी गाँव’ है। शाम सिंह अटारीवाला ने मुलतान, कशमीर और पेशावर की विजय में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके साहस, पराक्रम और युद्ध कौशल से महाराज रणजीत सिंह भी बहुत प्रभावित रहते थे। शाम सिंह अटारी की बेटी का विवाह महाराजा रणजीत सिंह के पौत्र कंवर नौनिहाल सिंह से हुआ था।

राष्ट्रीय ध्वज पर ये तीन महत्वपूर्ण ब्लॉग अवश्य सुनिए- 


1. भगवा झंडा होता राष्ट्रध्वज | राष्ट्रध्वज तिरंगा एवं आरएसएस : भाग-1 | History of National Flag


2. RSS में तिरंगे के प्रति पूर्ण निष्ठा | राष्ट्रध्वज एवं आरएसएस : भाग-2 | History of National Flag


3. तिरंगे के सम्मान में संघ ने दिया बलिदान | राष्ट्रध्वज एवं आरएसएस : भाग-3 | History of National Flag


समाचार पत्र स्वदेश, भोपाल समूह में 23 अक्टूबर, 2023 को प्रकाशित लोकेन्द्र सिंह का लेख 

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