प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक विशेषता है कि वे नागरिकों को अपनी संस्कृति, स्वाभिमान और गौरव के बिंदुओं से जोड़ते रहते हैं। हमारे मनों में भारतीयता के भाव को जगाते रहते हैं। अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इस बार उन्होंने आह्वान किया है कि स्वाधीनता दिवस से पूर्व देशभर में बलिदानियों की स्मृति में ‘मेरी माटी मेरा देश’ चलाया जाए। इस अभियान के अंतर्गत हम अपने नायकों के बलिदान की गौरव गाथाओं को जानें और उनसे जुड़ें। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों से मिलने का यह अनूठा प्रयोग है। प्रधानमंत्री मोदी इस प्रकार के नवाचारों के लिए जाने जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर समूचे देश में राष्ट्रध्वज तिरंगा के सम्मान में रैलियां निकाली गईं और अनेक कार्यक्रम आयोजित हुए। देश के नागरिकों ने अपने घरों पर तिरंगा फहराये। समूचा देश तिरंगामय हो गया। हमारा दुर्भाग्य है कि मोदी विरोध में हद पार कर चुके विपक्षी दलों ने राष्ट्रीय भावना को मजबूत करनेवाले इस अभियान पर खूब वितंडावाद खड़ा किया। अनेक प्रकार के प्रश्न उठाए एवं कुतर्क दिए। परंतु नागरिकों ने उनके कुतर्कों को खारिज कर इस अभियान में उत्साहपूर्वक भाग लिया। यहां उल्लेख करना आवश्यक है कि प्रधानमंत्री मोदी के इस आह्वान के कारण नागरिक भारत के राष्ट्रीय ध्वज की विकास यात्रा से परिचित हुए और उनके अनेक प्रकार के भ्रमों का निवारण भी हुआ।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने जब स्वाधीनता आंदोलन के ‘अमृत महोत्सव’ में गुमनाम नायकों को याद करने का आह्वान किया तो देश के छोटे–छोटे हिस्से से असंख्य गुमनाम नायकों के नाम और भारत की स्वाधीनता में उनके योगदान की कहानियां सामने आ गईं। इससे समूचे देश को अवश्य ही आनंद और गौरव की अनुभूति हुई। हालांकि उनको अवश्य ही कष्ट हुआ होगा, जो स्वतंत्रता आंदोलन में बाकी सबकी भूमिका पर पर्दा डालकर केवल कुछ नामों की ही बार–बार चर्चा करते हैं।
बहरहाल, इस बात के लिए प्रधानमंत्री मोदी को साधुवाद देना चाहिए कि उन्होंने देश के अनेक नायकों से हम सबका परिचय कराया। ‘मेरी माटी–मेरा देश’ भी ऐसा ही अनूठा प्रयास है, जो हमारे मनों को बलिदानी नायकों के प्रति श्रद्धा भक्ति से भर देगा। देशभर के अलग–अलग हिस्सों में/ग्राम पंचायतों में इन नायकों की स्मृतियों को अक्षुण्य बनाने और उनके योगदान को आनेवाली पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से इन विभूतियों की याद में विशेष शिलालेख भी स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही इस अभियान के अंतर्गत देश-भर में 'अमृत कलश यात्रा' भी निकाली जाएगी। देश के गाँव-गाँव से, कोने-कोने से 7500 कलशों में मिट्टी लेकर ये यात्रा देश की राजधानी दिल्ली पहुचेंगी। ये यात्रा अपने साथ देश के अलग-अलग हिस्सों से पौधे लेकर भी आएगी। 7500 कलश में आई मिट्टी और पौधों से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के पास अमृत वाटिका बनाई जाएगी। यह कार्य इस अभियान को एक नया स्वरूप प्रदान करेगा। देश के नागरिकों को इस अभियान में बढ़–चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए और अपने बलिदानियों के योगदान का स्मरण कर उन्हें वर्तमान पीढ़ी के सामने लाना और आनेवाली पीढ़ी के लिए संहेजना चाहिए।
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