स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की पुण्य तिथि पर विशेष - २६ फरवरी १९६६
अप्रितम क्रांतिकारी, दृढ राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, दार्शनिक, द्रष्टा, महान कवि और महान इतिहासकार आदि अनेकोनेक गुणों के धनी वीर सावरकर हमेशा नये कामों में पहल करते थे। उनके इस गुण ने उन्हें महानतम लोगों की श्रेणी में उच्च पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया। वीर सावरकर के नाम के साथ इतने प्रथम जुडे हैं इन्हें नये कामों का पुरोधा कहना कुछ गलत न होगा। सावरकर ऐसे महानतम हुतात्मा थे, जिसने भारतवासियों के लिए सदैव नई मिशाल कायम की, लोगों की अगुवाई करते हुए उनके लिए नये मार्गों की खोज की। कई ऐसे काम किये जो उस समय के शीर्ष भारतीय राजनीतिक, सामाजिक और क्रांतिकारी लोग नहीं सोच पाये थे।
वीर सावरकर द्वारा किये गए कुछ प्रमुख कार्य जो किसी भी भारतीय द्वारा प्रथम बार किए गए -
- वे प्रथम नागरिक थे जिसने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लंदन में उसके विरूद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठितकिया।
- वे पहले भारतीय थे जिसने सन् 1906 में 'स्वदेशी' का नारा दे, विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी।
- सावरकर पहले भारतीय थे जिन्हें अपने विचारों के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोनी पड़ी।
- वे पहले भारतीय थे जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की।
- वे पहले भारतीय थे जिन्होंने सन् 1857 की लड़ाई को भारत का 'स्वाधीनता संग्राम' बताते हुए लगभग एकहजार पृष्ठों का इतिहास 1907 में लिखा।
- वे पहले और दुनिया के एकमात्र लेखक थे जिनकी किताब को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश और ब्रिटिशसाम्राज्यकी सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया।
- वे दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे, जिनका मामला हेग के अंतराष्ट्रीय न्यायालय में चला था।
- वे पहले भारतीय राजनीतिक कैदी थे, जिसने एक अछूत को मंदिर का पुजारी बनाया था।
- सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस मेंमैडम कामा ने फहराया था।
- सावरकर ही वे पहले कवि थे, जिसने कलम-कागज के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कवितायेंलिखीं। कहा जाता है उन्होंने अपनी रची दस हजार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षोंस्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वह किसी न किसी तरह देशवासियों तक नहीं पहुच गई।
- सन् 1947 में विभाजन के बाद आज भारत का जो मानचित्र है, उसके लिए भी हम सावरकर के ऋणी हैं। जबकांग्रेस ने मुस्लिम लीग के 'डायरेक्ट एक्शन' और बेहिसाब हिंसा से घबराकर देश का विभाजन स्वीकार कर लिया, तो पहली ब्रिटिश योजना के अनुसार पूरा पंजाब और पूरा बंगाल पाकिस्तान में जाने वाला था - क्योंकि उन प्रांतोंमें मुस्लिम बहुमत था। तब सावरकर ने अभियान चलाया कि इन प्रांतो के भारत से लगने वाले हिंदू बहुल इलाकोंको भारत में रहना चाहिए। लार्ड मांउटबेटन को इसका औचित्य मानना पड़ा। तब जाकर पंजाब और बंगाल कोविभाजित किया गया। आज यदि कलकत्ता और अमृतसर भारत में हैं तो इसका श्रेय वीर सावरकर को ही जाता है
भारत की स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्षों के इतिहास में वीर सावरकर का नाम बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखताहै। वीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था। महान देशभक्त और क्रांतिकारी सावरकर ने अपनासंपूर्ण जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया। अपने राष्ट्रवादी विचारों के कारण जहाँ सावरकर देश को स्वतंत्रकराने के लिए निरन्तर संघर्ष करते रहे, वहीं देश की स्वतंत्रता के बाद भी उनका जीवन संघर्षों से घिरा रहा।
ऐसे महान व्यक्तित्व को हमारा सादन नमन।
is men jo kami reh gayi woh jaanne mere blog par aana. angrejon ka pitthu, tarafdar gandhi ji ke Qatil hone ke shaq men gumnam duniya se chala gaya
जवाब देंहटाएंआपने सत्य लिखा है. ये राहुल नाम का कोई छद्मवेषी है. इसकी बातों पर ध्यान न देना ही अच्छा है. वीर सावरकर जिन्दाबाद.
जवाब देंहटाएंवीर सावरकर का इस देश पर महान ऋण है। वे अधिकांश क्रान्तिकारियों के लिये प्रेरणा के स्रोत थे। आज भी वह हर सच्चे भारतीय के लिये प्रेरणा के स्रोत हैं।
जवाब देंहटाएंसावरकर लाजवाब थे. लेकिन उनके योगदान को जान-बुझकर भूलाया जा रहा है. शायद सावरकर का असली विराट कद जनता जान जाए, तो गांधी-नेहरू का कद छोटा जाएगा. कम से कम कोंग्रेस तो इसी मानसिकता के तहत सावरकर का नाम मिटाने को बेताब है
जवाब देंहटाएंतथ्य सामने रखने का धन्यवाद। जो राष्ट्र अपने वीरों के विरुद्ध षडयंत्र को रोक न सके उसका हाल क्या होता है हम देख ही रहे हैं।
जवाब देंहटाएंइतिहास का कचरा करने में तो तुम पी. एन. ओक के भी बाप निकले.पर मुझे कोई अचम्भा नहीं और ना ही कोई नाराजगी.बल्कि हंसी आती है कि तुम और तुम्हारे आइडियोलोजिकल बंधू अभी भी १९९२ में ही जी रहे हैं.
जवाब देंहटाएंहे! वनमानुष आप ही सही लिख दीजिये सावरकर जी के बारे में... १९९२ में क्यों ?
जवाब देंहटाएंAgree. you must suggest to vanamanush a book by Harindra shrivastav 'five stormy years savarakar in london'
हटाएंviral Trivedi
from - Patan, Gujarat
Veer savarkar Ji me bare me jankari dene me liye thank, ye Mayan vaktiye ki jivanya hum phele kyu nhi pad PAYE , kitabo me to ghandi Ji or Nehru ke a lava kisi ki padne ko nhi milti ye hamade system ka dish hai, Ghandi Ji ki jayanti sabko yad hai lekin shastri Ji ki jaynti bahut kam log jante haihai.
जवाब देंहटाएंVeer sawarkar ne Jo balidan diya h, uske liye pura desh rini h, or rehega
जवाब देंहटाएंमहान व्यक्तित्व सावरकर जी को आत्मीय नमन।
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