बुधवार, 26 अप्रैल 2023

श्री रायरेश्वर : हिन्दवी स्वराज्य की प्रतिज्ञा भूमि

स्वराज्य 350 : श्री रायरेश्वर गढ़ पर वह प्राचीन एवं दिव्य शिवलिंग आज भी है, जहाँ वीर बाल शिवा ने अपने मित्रों के साथ ली ‘हिन्दवी स्वराज्य’ की शपथ



पुणे की दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगभग 82 किलोमीटर की दूरी पर, रोहिडखोरे की भोर तहसील में, सह्याद्रि की सुरम्य वादियों के बीच, समुद्र तल से लगभग 4694 फीट ऊंचाई पर घने जंगलों में श्री रायरेश्वर गढ़ स्थित है। यह हिन्दवी स्वराज्य का दुर्ग नहीं है, परंतु सह्याद्रि की यही वह पवित्र पहाड़ी है, जो हिन्दवी स्वराज्य के शुभ संकल्प की साक्षी बनी। सह्याद्रि की पर्वत शृंखलाओं में सांय-सांय करती हवा पर कान धरा जाए तो आज भी वीर बालक शिवा की प्रतिज्ञा की वह गूंज सुनी जा सकती है, जिसने धर्मद्रोही मुगलिया सल्तनत को उखाड़ फेंक दिया था। श्री रायरेश्वर के विस्तृत पहाड़ पर वह प्राचीन शिवालय आज भी है, जहाँ एक किशोर ने अपने कुछ मित्रों के साथ ‘स्वराज्य’ की शपथ ली, जिसकी कल्पना करना भी उस समय कठिन था। मुगलिया सल्तनत के अत्याचारों के चलते हिन्दू आत्म विस्मृत हो चला था। उसके मन में यह विचार ही आना बंद हो गया था कि यह भारत भूमि उसकी अपनी है। वह यहाँ मुगलों की चाकरी क्यों कर रहे हैं? देश में गो-ब्राह्मण, स्त्रियां और धर्म सुरक्षित नहीं रह गया था। हिन्दू समाज को इस अंधकार से बाहर निकालने और उसके मन में एक बार फिर आत्मगौरव की भावना जगाने का संकल्प शिवाजी महाराज ने लिया था। श्री रायरेश्वर में शंभुमहादेव के सामने कसम खाने की रोहिड़खोरे में पुरानी परिपाटी थी। हम कह सकते हैं कि हिन्दवी स्वराज्य की संकल्पना का यहीं प्रथम उद्घोष हुआ।

रविवार, 23 अप्रैल 2023

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ताकत हैं ‘अनादिश्री’

चंदेरी में अनादिश्री के साथ लोकेन्द्र सिंह

यदि आपको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रभाव, उनकी लोकप्रियता, उनके प्रति जन-विश्वास और निश्छल श्रद्धा की अनुभूति करनी है, तब आपको ग्वालियर के ‘अनादिश्री’ से मिलना चाहिए। अनादि से मिलकर आप अभिभूत हो जाएंगे। सामाजिक सरोकारों के प्रति उनकी चिंता स्तुत्य एवं अनुकरणीय है। अनादि स्वयं सेरेब्रल पाल्सी जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं लेकिन देश-समाज के प्रति उतने ही या कहें उससे अधिक चिंतित और जागरूक रहते हैं, जितना की कोई शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति रहता है। सामाजिक परिवर्तन के लिए जो भी आह्वान प्रधानमंत्री मोदी ने किया है, उसे अनादि ने मूक होकर भी बुलंद आवाज दी है। कोविड-19 के दौरान जब प्रधानमंत्री मोदी ने घर पर रहने और कोरोना रोधी दिशा-निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया तब अनादि ने उन सभी को व्यक्तिगत रूप से संदेश भेजे, जो उनके व्हाट्सएप की सूची में थे। जल संरक्षण और स्वच्छता के प्रति भी प्रधानमंत्री मोदी के आग्रह को अनादि आगे बढ़ाते रहते हैं। स्वच्छता का हमारे जीवन में क्या महत्व है, इस पर उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर भी महत्वपूर्ण संदेश साझा किया है।

गुरुवार, 20 अप्रैल 2023

पर्यावरण को वैश्विक मुद्दा बनाने का प्रधानमंत्री का आह्वान अनुकरणीय

भारत सहित समूची दुनिया में पर्यावरण संरक्षण को लेकर विमर्श भी बन गया है और उसके अनुरूप कुछ प्रयास भी प्रारंभ हुए हैं। विश्व पटल पर पर्यावरण को लेकर गंभीरता का निर्माण करने में भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने प्रभावशाली वैश्विक मंचों से पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रगत एवं प्रगतिशील देशों का न केवल ध्यान आकर्षित किया है अपितु जिम्मेदारी का अहसास भी कराया है। बीते दिन भी जब वे विश्व बैंक द्वारा आयोजित विश्व नेताओं के एक आभासी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, तब भी उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे को उठाया। अपने उद्बोधन में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को व्यापक जनांदोलन बनाने का आह्वान किया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न देशों के शासन-प्रशासन से नहीं अपितु सीधे नागरिकों से आह्वान किया है कि वे व्यक्तिगत रूप से अपने रोजमर्या के जीवन में बदलाव लाकर पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी निभाएं।

मंगलवार, 18 अप्रैल 2023

तमिलनाडु में आरएसएस को रोकने की चाल असफल

RSS route marches at 45 places in Tamil Nadu


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को रोकने का सपना देखनेवाली ताकतों को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। तमिलनाडु सरकार अतार्किक बहाने बनाकर आरएसएस के पथ संचलनों पर रोक लगाने के प्रयास कर रही थी। संघ ने राज्य सरकार के पक्षपाती और लोकतंत्र विरोधी निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार के निर्णय को पलट दिया और संघ को पथ संचलन निकालने की अनुमति दे दी। परंतु एन–केन–प्रकारेण संघ को रोकने के लिए तैयार बैठी सरकार कहां उच्च न्यायालय के निर्णय को मानती। सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की। लेकिन तमिलनाडु सरकार को यहां भी मुंह की खानी पड़ी। हैरानी होती है कि एक ओर विभिन्न राजनीतिक दल संविधान और लोकतंत्र की बात करते हैं लेकिन व्यवहार ठीक उल्टा करते हैं। हिन्दू और राष्ट्रीय विचार के संगठनों का प्रश्न आने पर तथाकथित सेकुलर समूह किसी तानाशाही की तरह व्यवहार करते दिखाई देते हैं। कई बार तो यही लगने लगता है कि इनके दिखाने के दांत अलग है और खाने के दांत अलग हैं। इन सभी का मूल स्वभाव अलोकतांत्रिक ही है, जो विभिन्न अवसरों पर प्रकट होता रहता है।

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

बाबा साहेब के लिए सामाजिक न्याय का माध्यम थी पत्रकारिता

‘मूक’ समाज को आवाज देकर बने ‘नायक’


बाबा साहेब डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर का व्यक्तित्व बहुआयामी, व्यापक एवं विस्तृत है। उन्हें हम उच्च कोटि के अर्थशास्त्री, कानूनविद, संविधान निर्माता, ध्येय निष्ठ राजनेता और सामाजिक क्रांति एवं समरसता के अग्रदूत के रूप में जानते हैं। सामाजिक न्याय के लिए उनके संघर्ष से हम सब परिचित हैं। बाबा साहेब ने समाज में व्याप्त जातिभेद, ऊंच-नीच और छुआछूत को समाप्त कर समता और बंधुत्व का भाव लाने के लिए अपना जीवन लगा दिया। वंचितों, शोषितों एवं महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए बाबा साहेब ने अलग-अलग स्तर पर जागरूकता आंदोलन चलाए। अपने इन आंदोलनों एवं वंचित वर्ग की आवाज को बृहद् समाज तक पहुँचाने के लिए उन्होंने पत्रकारिता को भी साधन के रूप में अपनाया। उनके ध्येय निष्ठ, वैचारिक और आदर्श पत्रकार-संपादक व्यक्तित्व की जानकारी अपेक्षाकृत बहुत कम लोगों को है। बाबा साहेब ने भारतीय पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान दिया है। पत्रकारिता के सामने कुछ लक्ष्य एवं ध्येय प्रस्तुत किए। पत्रकारिता कैसे वंचित समाज को सामाजिक न्याय दिला सकती है, यह यशस्वी भूमिका बाबा साहेब ने निभाई है। बाबा साहेब ने वर्षों से ‘मूक’ समाज को अपने समाचारपत्रों के माध्यम से आवाज देकर ‘मूकनायक’ होने का गौरव अर्जित किया है।

मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता और संस्कृति

कर्मवीर संपादक माखनलाल चतुर्वेदी | Makhanlal Chaturvedi | कलम के योद्धा

पंडित माखनलाल चतुर्वेदी उन विरले स्वतंत्रता सेनानियों में अग्रणी हैं, जिन्होंने अपनी संपूर्ण प्रतिभा को राट्रीयता के जागरण एवं स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने साहित्य और पत्रकारिता, दोनों को स्वतंत्रता आंदोलन में जन-जागरण का माध्यम बनाया। वैसे तो दादा माखनलाल का मुख्य क्षेत्र साहित्य ही रहा, किंतु एक लेख प्रतियोगिता उनको पत्रकारिता में खींच कर ले आई। मध्यप्रदेश के महान हिंदी प्रेमी स्वतंत्रता सेनानी पंडित माधवराव सप्रे समाचार पत्र 'हिंदी केसरी' का प्रकाशन कर रहे थे। हिंदी केसरी ने 'राष्ट्रीय आंदोलन और बहिष्कार' विषय पर लेख प्रतियोगिता आयोजित की। इस लेख प्रतियोगिता में माखनलाल जी ने हिस्सा लिया और प्रथम स्थान प्राप्त किया। आलेख इतना प्रभावी और सधा हुआ था कि पंडित माधवराव सप्रे माखनलाल जी से मिलने के लिए स्वयं नागपुर से खण्डवा पहुंच गए। इस मुलाकात ने ही पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता की नींव डाली। सप्रे जी ने माखनलाल जी को लिखते रहने के लिए प्रेरित किया। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र लिखते हैं- “इन दोनों महापुरुषों के मिलन ने न केवल महाकोशल, मध्यभारत, छत्तीसगढ़, बुंदेलखंड एवं विदर्भ को बल्कि सम्पूर्ण देश की हिंदी पत्रकारिता और हिंदी पाठकों को राष्ट्रीयता के रंग में रंग दिया।”  दादा ने तीन समाचार पत्रों; प्रभा, कर्मवीर और प्रताप, का संपादन किया।