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| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना पर आधारित 'राष्ट्र प्रेरणा स्थल' |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी वैचारिक विरासत को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इसका नवीनतम उदाहरण ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती प्रसंग पर प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का लोकार्पण किया। यह स्थान भारतीय राजनीति और समाज के लिए सामान्य नहीं है, अपितु यह उस लंबी वैचारिक यात्रा का गौरवपूर्ण पड़ाव है, जिसने आधुनिक भारत की नियति को बदलने का कार्य किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी है कि “राष्ट्र प्रेरणा स्थल, उस सोच का प्रतीक है जिसने भारत को आत्मसम्मान, एकता और सेवा का मार्ग दिखाया है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी जी की विशाल प्रतिमाएं जितनी ऊंची हैं इनसे मिलनी वाली प्रेरणाएं उससे भी बुलंद है”। कहना होगा कि भारतीय राजनीति को राष्ट्रीय दिशा देने में तीनों ही विभूतियों का उल्लेखनीय योगदान है।
स्मरण रहे कि किसी राष्ट्र का निर्माण केवल ईंट-पत्थरों की इमारतों से नहीं, बल्कि महापुरुषों के विचारों और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर होता है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी के योगदानों को प्रधानमंत्री मोदी ने जिस प्रकार एक सूत्र में पिरोया, वह यह दर्शाता है कि आज का ‘विकसित भारत’ उन्हीं महान मनीषियों के त्याग और दूरदृष्टि का परिणाम है। डॉ. मुखर्जी का अखंड भारत का संकल्प, पंडित दीनदयाल उपाध्याय का अंत्योदय का दर्शन और अटल जी का सुशासन- ये तीनों स्तंभ ही वर्तमान सरकार की नीतियों और योजनाओं के मूल आधार बने हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने उल्लेख किया कि आज जहाँ कहीं भी अटल जी होंगे, वे भारत के विकास को देखकर प्रसन्न होते होंगे। डिजिटल भारत को लेकर अटल जी ने जो सपना देखा था, आज वह साकार है।
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| राष्ट्र प्रेरणा स्थल पर भारत माता की भव्य प्रतिमा |
देश में जब राजनीतिक अनिश्चितता का वातावरण था, तब अटल जी ने कालजयी घोषणा की थी- “अंधेरा छंटेगा, सूरज उगेगा और कमल खिलेगा”। इन पंक्तियों के पीछे एक संकल्प था, जो लंबे संघर्ष के बाद सिद्ध हो गया है। आज जब हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘अमृत काल’ की यात्रा कर रहे हैं और भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी धाक जमा रहा है, तो यह स्पष्ट है कि अंधेरा छंट चुका है और विकास का सूरज पूरी आभा के साथ चमक रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की विशेषता यह है कि उन्होंने अपने पूर्व नेतृत्व के दृष्टिकोण के प्रकाश में विकास की आधुनिक राह को अपनाया।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों की परिवारवादी राजनीति पर प्रश्न उठाया। उन्होंने उचित ही कहा कि परिवार को स्थापित करने के चक्कर में पूर्ववर्ती सरकारों ने देश के विकास में योगदान देने वाले कई महापुरुषों को वह स्थान नहीं दिया, जो उन्हें मिलना चाहिए था। भारतीय राजनीति के तीन महत्वपूर्ण विचारकों को समर्पित राष्ट्र प्रेरणा स्थल पर जब आम लोग आएंगे, तो उन्हें राष्ट्रीय राजनीति की दूसरी धाराओं से भी परिचित होने और प्रेरणा लेने का प्रसंब बनेगा। लोगों को यह बात भी ध्यान आएगी कि इस राष्ट्र के निर्माण में केवल एक परिवार के लोगों का योगदान नहीं है, अपितु अनेक लोगों ने अपना जीवन खपाया है। प्रेरणा के ये स्रोत आने वाली पीढ़ियों को निरंतर यह याद दिलाते रहेंगे कि आत्मनिर्भरता का मार्ग कठिन अवश्य है, लेकिन दृढ़ संकल्प से इसे प्राप्त किया जा सकता है।
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| लखनऊ स्थित राष्ट्र प्रेरणा स्थल की विशेषताएं |



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