प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर मध्यप्रदेश की भूमि से ‘स्वदेशी’ का आग्रह किया है। नवरात्रि से हमारे उत्सवों की एक शृंखला शुरू हो रही है। इसके साथ ही जीएसटी की संशोधित दरें भी 22 सितंबर से शुरू हो रही हैं। ऐसे में बाजार में खरीदारी का वातावरण रहनेवाला है। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी का यह आह्वान केवल तात्कालिक नहीं है अपितु उनका आग्रह है कि हमारा स्थायी स्वभाव स्वदेशी के अनुकूल बन जाना चाहिए। प्रत्येक भारतीय को यह स्मरण रखना चाहिए कि ‘स्वदेशी’ का आह्वान, केवल एक नारा नहीं, बल्कि 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का एक मजबूत आधार है। धार में ‘प्रधानमंत्री मित्र पार्क’ के उद्घाटन के अवसर पर उनके संबोधन से यह स्पष्ट होता है कि सरकार अब आर्थिक आत्मनिर्भरता को राष्ट्र निर्माण की प्रमुख रणनीति मान रही है। यह सिर्फ वस्तुओं के उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी सोच है जो भारतीयता के गौरव और देश की आर्थिक शक्ति को केंद्र में रखती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से स्वदेशी को ‘विकसित भारत की नींव’ बताया है, वह भविष्य के भारत का संकेत है। उन्होंने न केवल उपभोक्ताओं से आग्रह किया कि वे ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों को गर्व के साथ खरीदें, बल्कि व्यापारियों से भी यह सुनिश्चित करने को कहा कि वे स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता दें। यह एक साधारण सिद्धांत है: जब हम भारतीय सामान खरीदते हैं, तो हमारा पैसा देश में ही घूमता है। यह पैसा सड़कों, योजनाओं और नए रोजगारों के सृजन में लगता है, जिससे देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत होती है। यह सोच उन सभी आर्थिक नीतियों को बल देती है जो भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने पर केंद्रित हैं। सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। 22 सितंबर से लागू होने वाली जीएसटी की नई दरें और दुकानों पर स्वदेशी सामानों की जानकारी वाले बोर्ड लगाने का सुझाव इस अभियान को जमीनी स्तर पर उतारने का प्रयास है।
इसी कड़ी में, धार में प्रधानमंत्री मित्र पार्क की स्थापना एक रणनीतिक कदम है। यह पार्क ‘फार्म, फाइबर, फैक्टरी, फैशन और फॉरेन’ की पूरी वैल्यू चेन को एक ही जगह पर लाकर कपड़े के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह दिखाता है कि सरकार केवल नारे नहीं लगा रही, बल्कि एक-एक कर उन सभी क्षेत्रों को मजबूत कर रही है जहां भारत विश्व में अपनी पहचान बना सकता है। स्वदेशी अभियान से विकसित भारत की यात्रा के चारों स्तंभों- नारी शक्ति, युवा शक्ति, गरीब और किसान, को सीधा लाभ मिलेगा। स्थानीय उत्पादन बढ़ने से महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलेगा और गरीबों का जीवन स्तर सुधरेगा।
‘आदि सेवा’ जैसे कार्यक्रमों का मध्य प्रदेश संस्करण इसी सोच का विस्तार है, जो दर्शाता है कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन एक स्पष्ट संदेश देता है कि आत्मनिर्भरता ही 21वीं सदी के भारत का भविष्य है। यह सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक की भागीदारी से ही संभव है। स्वदेशी को जन-आंदोलन बनाकर ही हम 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार कर सकते हैं।
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