शनिवार, 13 दिसंबर 2025

मध्यप्रदेश की मोहन सरकार के दो वर्ष

सशक्त नेतृत्व और संतुलित विकास के दो वर्ष

राजनीति में नेतृत्व परिवर्तन अकसर अनिश्चितता लेकर आता है, लेकिन मध्यप्रदेश में पिछले दो वर्षों ने साबित किया है कि यदि नेतृत्व में स्पष्टता और इच्छाशक्ति हो, तो परिवर्तन ‘विकास की नई गति’ का पर्याय बन जाता है। आज, जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूर्ण कर रहे हैं, तो पीछे मुड़कर देखने पर एक ऐसी सरकार की छवि उभरती है जिसने परंपरा, आधुनिकता, कल्याकारी योजनाओं और कठोर प्रशासनिक फैसलों के बीच एक बेहतरीन संतुलन साधा है। 13 दिसंबर, 2023 को जब डॉ. मोहन यादव ने सत्ता की बागडोर संभाली थी, तब उनके सामने ‘लाड़ली बहना’ जैसी लोकप्रिय योजनाओं को जारी रखने के साथ-साथ अपनी अलग पहचान बनाने की चुनौती थी। दो साल बाद, यह कहा जा सकता है कि उन्होंने न केवल अपनी ही पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार के अच्छे कार्यों को आगे बढ़ाया, बल्कि शासन की एक नई, अधिक सख्त और परिणाम-मूलक शैली भी विकसित की है।

मध्यप्रदेश में लाल आतंक की समाप्ति मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल की महत्वपूर्ण उपलब्धि बन गई है। केंद्र के साथ कदम मिलाते हुए उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि संविधान, लोकतंत्र और मानवता के विरोधी नक्सलियों का खात्मा होना चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने एक समान दृष्टि से उन सब पर कार्यवाही की, जिन्होंने अपराध किया। मछली से लेकर मगरमच्छ तक, कोई भी अपने रसूख के कारण कानून को अपनी जेब में नहीं रख सका। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की सामने चुनौती है कि जिस प्रकार उन्होंने प्रदेश को लाल आतंक से मुक्ति दिलायी है, उसी प्रकार प्रदेश को अपराध मुक्त बनाएं। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि ‘विकास का विकेंद्रीकरण’ रही है। उन्होंने निवेश को केवल इंदौर और भोपाल तक सीमित न रखकर उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, सागर और रीवा जैसे शहरों तक पहुँचाया है। ‘रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव’ की जो श्रृंखला उन्होंने शुरू की, उसने प्रदेश के हर अंचल में रोजगार और उद्योग की नई उम्मीद जगाई है। यह उनकी दूरदर्शिता ही है कि आज प्रदेश का टियर-2 और टियर-3 शहर भी निवेशकों के रडार पर है। प्रशासनिक स्तर पर उनकी छवि एक ऐसे नेता की है जो कड़े फैसले लेने से नहीं हिचकता। चाहे वह खुले में मांस-मछली की बिक्री पर रोक हो, धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के नियमन का मुद्दा हो, या फिर अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई, डॉ. यादव ने स्पष्ट संदेश दिया है कि कानून का राज सर्वोपरि है। 

सांस्कृतिक मोर्चे पर, ‘महाकाल की नगरी’ से आने वाले मुख्यमंत्री ने प्रदेश की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ‘राम वन गमन पथ’ का विकास हो या उज्जैन में सिंहस्थ-2028 की अभी से शुरू हुई वृहद तैयारियां, यह दर्शाता है कि वे विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक पहचान के पथ पर भी उतनी ही मजबूती से अग्रसर हैं। उज्जैन-इंदौर संभाग को उन्होंने धार्मिक-आध्यात्मिक सर्किट के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है। भारतीय कालगणना को लोक प्रचलन में लाने के लिए उनकी पहल पर 'विक्रमादित्य वैदिक घड़ी' तैयार की गई है, जिसकी बहुत सराहना हो रही है। प्रदेश को जल-समृद्ध बनाने के लिए उन्होंने ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ की शुरुआत की है। पार्वती, कालीसिंध, चंबल, केन बेतवा और ताप्ती नदी जोड़ो परियोजनाओं को नए युग की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। 

निस्संदेह, चुनौतियां अभी भी शेष हैं। कृषि को और अधिक लाभप्रद बनाना और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना, निरंतर चलने वाली प्रक्रियाएं हैं। लेकिन, पिछले दो वर्षों का रिपोर्ट कार्ड यह बताता है कि मध्यप्रदेश एक सुरक्षित और सक्षम हाथों में है। डॉ. मोहन यादव ने ‘डबल इंजन’ की सरकार के फायदों को धरातल पर उतारा है। अगले तीन वर्ष इस नींव पर इमारत खड़ी करने के होंगे। 

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