सोमवार, 31 दिसंबर 2018
दूध धारा : नर्मदा के इस जल प्रपात का ऋषि दुर्वासा से है संबंध
रविवार, 30 दिसंबर 2018
कपिल धारा : 100 फीट की ऊंचाई से गिरती दो धाराएं
शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018
माई की बगिया : जहाँ छुटपन में खेला करती माँ नर्मदा
मंगलवार, 25 दिसंबर 2018
माँ नर्मदा मंदिर, उद्गम स्थल
रविवार, 23 दिसंबर 2018
एक चतुर कलाकार की तरह राजनीतिक/धार्मिक कार्ड खेल गए नसीरुद्दीन शाह
गुरुवार, 20 दिसंबर 2018
हिंदू राष्ट्र पर उच्च न्यायालय का अभिमत
मंगलवार, 11 दिसंबर 2018
पत्रकारिता की पाठशाला : जहाँ कलम पकड़ना सीखा
गुरुवार, 29 नवंबर 2018
जातिभेद मिटाता रेल का सामान्य डिब्बा और संघ
सोमवार, 26 नवंबर 2018
उजाले से भरा स्वदेश का दीपावली विशेषांक
बुधवार, 21 नवंबर 2018
बेटी के लिए कविता-6
सोमवार, 19 नवंबर 2018
नाग को दूध पिलाते- "हम असहिष्णु लोग"
मंगलवार, 23 अक्टूबर 2018
अब प्रयाग 'राज'
शनिवार, 20 अक्टूबर 2018
ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता के गौरवशाली 51 वर्ष
शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018
श्रीराम मंदिर निर्माण और आरएसएस
रविवार, 30 सितंबर 2018
तेलुगु मीडिया की विकास यात्रा पर महत्वपूर्ण सामग्री से भरपूर मीडिया विमर्श का "तेलुगु मीडिया विशेषांक"
सोमवार, 24 सितंबर 2018
सहिष्णुता और सादगी से प्रश्न करती ‘हम असहिष्णु लोग’
रविवार, 23 सितंबर 2018
हैरतंगेज और रोमांचक नृत्य भवई
शनिवार, 22 सितंबर 2018
समाधानमूलक प्रश्नोत्तरी
गुरुवार, 20 सितंबर 2018
हिंदुत्व का अर्थ
बुधवार, 19 सितंबर 2018
संघ एक परिचय
सोमवार, 17 सितंबर 2018
संघ की पहल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिवसीय व्याख्यानमाला कार्यक्रम पर सबकी नजर है। देश में भी और देश के बाहर भी। सब जानना चाहते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन आरएसएस ‘भविष्य का भारत’ को किस तरह देखता है? संघ का ‘भारत का विचार’ क्या है? दरअसल, यह उत्सुकता इसलिए भी है क्योंकि पिछले 93 वर्षों में कुछेक राजनीतिक/वैचारिक खेमों से संबद्ध राजनेताओं, लेखकों, पत्रकारों, कलाकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर अनेक मिथक गढ़ दिए हैं। किंतु, संघ सब प्रकार के दुष्प्रचारों की चिंता न करते हुए समाज के बीच कार्य करता रहा और तमाम आरोपों का उत्तर अपने आचरण/कार्य से देता रहा। परिणामस्वरूप आज संघ का विस्तार ‘दशों दिशाओं...’ में हो गया है। उसके निष्ठावान स्वयंसेवक सबदूर ‘दल बादल...’ से छा गए हैं। इसके बावजूद व्यापक स्तर पर किए गए दुष्प्रचार के कारण समाज के कुछ हिस्सों में संघ को लेकर स्पष्टता नहीं है। एक विश्वास व्यक्त किया जा रहा है कि इस महत्वपूर्ण आयोजन से बहुत हद तक भ्रम और मिथक के बादल छंट जाएंगे।रविवार, 16 सितंबर 2018
नर्मदा के तट पर हुई सांख्य दर्शन की रचना
शनिवार, 15 सितंबर 2018
‘हिन्दीपन’ से मिलेगा हिंदी को सम्मान
बुधवार, 29 अगस्त 2018
सिख विरोधी दंगा : जब एक व्यक्ति के अपराध का बदला पूरे समुदाय से लिया गया
सोमवार, 27 अगस्त 2018
भ्रम के जाले हटाएं राहुल गांधी
रविवार, 26 अगस्त 2018
भारत, भारतीयता और भारत के देशभक्त नागरिकों के प्रति नकारात्मक विचार
शुक्रवार, 24 अगस्त 2018
यहाँ का कंकर-कंकर शंकर है
शनिवार, 18 अगस्त 2018
अटल कभी मरते नहीं
सोमवार, 13 अगस्त 2018
देहरी छूटी, घर छूटा
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काम-धंधे की तलाश में
देहरी छूटी, घर छूटा
गलियां छूटी, चौपाल छूटा
छूट गया अपना प्यारा गांव
मिली नौकरी इक बनिया की
सुबह से लेकर शाम तक
रगड़म-पट्टी, रगड़म-पट्टी
बन गया गधा धोबी राम का।
आ गया शहर की चिल्ल-पों में
शांति छूटी, सुकून छूटा
सांझ छूटी, सकाल छूटा
छूट गया मुर्गे की बांग पर उठना
मिली चख-चख चिल्ला-चौंट
ऑफिस से लेकर घर के द्वार तक
बॉस की चें-चें, वाहनों की पों-पों
कान पक गया अपने राम का।
सीमेन्ट-कांक्रीट से खड़े होते शहर में
माटी छूटी, खेत छूटा
नदी छूटी, ताल छूटा
छूट गया नीम की छांव का अहसास
मिला फ्लैट ऊंची इमारत में
आंगन अपना न छत अपनी
पैकबंद, चकमुंद दिनभर
बन गया कैदी बाजार की चाल का।
- लोकेन्द्र सिंह -
(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)
रविवार, 5 अगस्त 2018
दोस्ती क्या है?
सोमवार, 30 जुलाई 2018
सेकुलर-लिबरल साहित्यकारों की असहिष्णुता को उजागर करती एक पुस्तक ‘हम असहिष्णु लोग’
रविवार, 29 जुलाई 2018
चिंतनशील युवाओं को जोड़ने का प्रयास है "यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव"
मंगलवार, 17 जुलाई 2018
हामिद अंसारी का शरीयत और जिन्ना प्रेम
रविवार, 15 जुलाई 2018
कांग्रेस से छूट नहीं पा रही हिंदू विरोध और मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति
कठघरे में चर्च से संचालित संस्थाएं
रविवार, 8 जुलाई 2018
पहली बारिश की सौंधी सुगंध-सी हैं 'रिश्तों की बूंदें'
गुरुवार, 5 जुलाई 2018
‘सबको शिक्षा-अच्छी शिक्षा’ की ओर बढ़ते कदम
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| भारत सरकार के प्रकाशन विभाग की पत्रिका 'योजना' के जुलाई-2018 के अंक में प्रकाशित |
- जगदीश उपासने एवं लोकेन्द्र सिंह
किसी भी राष्ट्र की पहचान उसके मानव संसाधन से बनती है। जबकि श्रेष्ठ मानव संसाधन शिक्षा व्यवस्था पर निर्भर करता है। एक सामान्य किंतु महत्वपूर्ण बात सभी जानते हैं कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति वहाँ के नागरिकों पर निर्भर करती है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त किए हुए नागरिक ही अपने देश की प्रगति में सहयोग कर सकते हैं। शिक्षित नागरिक ही अपने देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाने में सक्षम होते हैं। स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा के महत्व को समझाते हुए यहाँ तक कहा है कि 'यदि शिक्षा से सम्पन्न राष्ट्र होता तो आज हम पराभूत मन:स्थिति में न आए होते।' भारत में स्वामी विवेकानंद ऐसे संन्यासी हुए जिन्होंने नागरिकों को शिक्षित बनाने पर सर्वाधिक जोर दिया। भारत जैसे विविधता सम्पन्न और विशाल देश में अब भी शिक्षा सब तक नहीं पहुँच सकी है। अनेक स्थानों पर शिक्षा के उपक्रम प्रारंभ तो हो गए किंतु उसमें गुणवत्ता नहीं है। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था में भारतीय दृष्टिकोण ही नदारद है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने अपने पहले साल से ही शिक्षा में गुणात्मक एवं भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार सुधार का शुभ संकल्प ले लिया था। सरकार के संकल्प 'सबको शिक्षा-अच्छी शिक्षा' की पूर्ति के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय योजनाबद्ध तरीके से निरंतर कार्य कर रहा है। पिछले चार वर्ष में स्कूली शिक्षा के साथ-साथ उच्च शिक्षा में भी महत्वपूर्ण आवश्यक कदम सरकार ने उठाए हैं। शिक्षा के दोनों स्तर पर जितने भी प्रयास हुए हैं, सराहनीय हैं।
बुधवार, 27 जून 2018
खूंटी सामूहिक बलात्कार के पीछे चर्च और नक्सलियों का खतरनाक गठजोड़
मंगलवार, 26 जून 2018
आपातकाल : जब 'भारत माता की जय' कहना भी अपराध था
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| सामाजिक कार्यकर्ता एवं सेवानिवृत्त शिक्षक श्री सुरेश चित्रांशी के हाथों में पुस्तक "हम असहिष्णु लोग" |
































