क भी-कभी हम सुनते हैं कि जिन्दगी सवालों के नागपाश में उलझी हुई है। ये सवाल मानव को जीवन भर सताते हैं। हर आदमी इनके उत्तर खोजता रहता है, लेकिन उसे ठीक-ठीक उत्तर नहीं मिलते। ऐसे ही सवालों के जवाब 'मंगल भवन अमंगलहारी' पुस्तक देती है। पुस्तक में जन्म से मृत्यु तक जीवन के विकट सफर से जुड़े सभी सवालों के उत्तर हैं। यह पुस्तक जीवन को सरल, सुगम और संस्कारपूर्ण बनाने में मदद कर सकती है।
पुस्तक में कुल ३६४ पृष्ठ हैं। इंसान के जीवन के उद्देश्य, इस संसार में करना ही चाहिए ऐसे कार्य कौन-से और कितने हैं, ८०० प्रश्नों के उत्तर में सब समाहित है। खास बात यह है कि इन सवालों को पुस्तक रूप देने से पहले कर्नाटक के कई मंदिरों में प्रयोग किया गया। मंदिरों व अन्य जगह प्रत्येक दिन एक प्रश्न सूचना पटल पर लिखकर टांग दिया जाता था। इससे मंदिर आने वाले सभी लोगों के मन में प्रश्नों के उत्तर को लेकर कौतूहल देखा गया। उनकी मनोस्थिति में बदलाव देखे गए। ऐसे ही ८०० प्रश्नों को बाद में पुस्तक की सूरत में प्रकाशित कराया गया।
वर्ष २०१० में पहली बार पुस्तक कन्नड भाषा में 'मनेय मांगल्य' के नाम से प्रकाशित कराई गई। मनेय मांगल्य का अर्थ होता है घर ही मांगल्य स्त्रोत। पुस्तक की मांग को देखते हुए एक ही साल में इसके छह: सस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। कर्नाटक में पुस्तक की लोकप्रियता इतनी है कि शुभ और मांगलिक अवसरों पर उपहार स्वरूप देने की परंपरा सी बन गई है। इसकी लोकप्रियता और समाज में आवश्यकता को देखते हुए इसे हिन्दी भाषा में 'मंगल भवन अमंगलहारी' नाम से प्रकाशित कराया गया है।
वर्तमान संदर्भ में देखें तो ऐसी पुस्तकों के प्रचार-प्रसार की अति आवश्यकता है। हमारे साथ की पीढ़ी भारतीय संस्कारों से दूर हो रही है। ऐसे में आने वाली पीढ़ी की हम कल्पना कर सकते हैं। परिवारों में संस्कारपूर्ण वातावरण न होने से समाज के सामने विकट समस्या खड़ी हो गई है। समाज में व्याभिचार बढ़ गया है। हर कोई भोग विलास में डूबा है। उन्हें सही राह भी नहीं दिख रही है। ऐसे में मंगल भवन अमंगलहारी पुस्तक बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।
प्रकाशक : परिवार प्रदीपिका
७५ - ७६, ज्ञानगिरि
४ वां क्रॉस, २ वां मईन, सौदामिनी ले आउट
कोणनकुंटे मईन रोड
बेंगलूरु - ५६००६२
दूरभाष - ०९९००१५७७१४
मूल्य - १२० रुपए
रोचक विवरण, पुस्तक के बारे में और जानने की उत्सुकता बनने लगी है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही गूढ़ विषय पर चर्चा करती तथा प्रश्नों के समाधान सुझाती पुस्तक है यह..! पठनीय एवं संग्रहणीय!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,उपुओगी,जानकारी देने के लिए आबार
जवाब देंहटाएंMY NEW POST...आज के नेता...
पढने की इच्छा जागृत हो गयी है।
जवाब देंहटाएंकोई अंश भी हो, तो बेहतर होता.
जवाब देंहटाएंराहुल जी से सहमत. उपयोगी जानकारी.
जवाब देंहटाएंपुस्तक का आईडिया तो अच्छा लगा, अंश वाली बात पर गौर फ़रमाया जाये।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल साहब।
हटाएंयानि पढ़ा जाये ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जानकारी उपलब्ध कराने के लिए..
Dear Lok, Thanks for sharing the useful information.
जवाब देंहटाएंbahut achchi lgi pustak ki smiksha aur uska vishay.
जवाब देंहटाएंपुस्तक पढ़ने योग्य है ... शुक्रिया
जवाब देंहटाएंजीवन की समस्याओं का समाधान करने वाली ऐसी पुस्तकों की आज अधिक आवश्यकता है।
जवाब देंहटाएंक्या मैं इस पुस्तक का लेखक जान सकती हूँ ?
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