दे श की जनता को हैरानी है कि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के सहारे राजनीति में आने वाले अरविन्द केजरीवाल और उनका दल भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी को पाक-साफ साबित करने का प्रयास क्यों कर रहा है? आआपा और केजरीवाल प्रधान सचिव राजेन्द्र कुमार के साथ खड़े क्यों दिखाई दे रहे हैं? मान लीलिए कि राजेन्द्र कुमार पर लगे आरोप सही साबित हो जाएं, तब अरविन्द केजरीवाल अपने वर्तमान व्यवहार के लिए क्या जवाब देंगे? किससे माफी मांगेंगे? उस समय किस आधार पर यू-टर्न लेंगे? जनता ने अरविन्द केजरीवाल को शासन-प्रशासन में से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए चुना था, भ्रष्ट अधिकारियों का संरक्षण करने के लिए नहीं। इसलिए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे प्रधान सचिव राजेन्द्र कुुमार के साथ खड़े होने से पहले अरविन्द केजरीवाल को ठंडे दिमाग से सोचना चाहिए था।
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के चेहरा अन्ना हजारे ने अरविन्द केजरीवाल पर एक बार फिर गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि किसी को भी प्रधान सचिव नियुक्त करने से पहले उसकी पृष्ठभूमि की जांच की जानी चाहिए थी। अरविन्द केजरीवाल को इस बारे में पूरी पड़ताल करनी चाहिए थी कि राजेन्द्र कुमार की छवि कैसी है? अन्ना हजारे का सवाल गंभीर है। बेदाग लोगों को साथ लेकर चलने की बात करने वाले अरविन्द केजरीवाल ने प्रधान सचिव के दाग क्यों नहीं देखे? क्या उनके दाग केजरीवाल को अच्छे लगे? गौरतलब है कि दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में राजेन्द्र कुमार की छवि ठीक नहीं है। वह भ्रष्टाचार के लिए बदनाम रहे हैं। प्रधान सचिव बहुत ही महत्वपूर्ण पद है। आखिर क्यों अरविन्द केजरीवाल ने राजेन्द्र कुमार को इस पद के लिए नियुक्त किया? उनके बारे में इतनी खबरें आने के बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल किस आधार पर उनको ईमानदार अधिकारी का प्रमाण-पत्र थमाने की जिद लेकर बैठे हैं?
सीबीआई की प्रारंभिक जांच-पड़ताल में ही स्पष्ट हो रहा है कि राजेन्द्र कुमार भ्रष्टाचार के अलावा कई और मामलों में भी फंस सकते हैं। उनके घर से विदेशी मुद्रा बरामद हुई है। सीबीआई इसकी जांच कर रही है। घर में तय सीमा से अधिक शराब रखने का मामला भी प्रधान सचिव के खिलाफ बन गया है। ई-मेल की जांच में उन्होंने सीबीआई को सहयोग नहीं किया है। आखिर ऐसा क्या है, जिसे प्रधान सचिव छिपा रहे हैं? इस मामले में अरविन्द केजरीवाल भी संदिग्ध नजर आ रहे हैं। राजेन्द्र कुमार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की खबर अरविन्द केजरीवाल को नहीं होगी, इस बात पर भरोसा करना आसान नहीं है। क्योंकि, अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की भारतीय शाखा ने दावा किया है कि उसने दिल्ली के मुख्यमंत्री को उनके प्रधान सचिव के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की जानकारी दी थी। इसी साल मई में उसने केजरीवाल को इस संबंध में पत्र लिखा था। लेकिन, दिल्ली मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से अब तक इस मामले पर कोई जवाब नहीं आया है। इसका क्या अर्थ निकाला जाए? क्या अरविन्द केजरीवाल अपने प्रधान सचिव की कारगुजारियों पर पर्दा डालना चाहते हैं? राजेन्द्र कुमार पर लगे गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों पर केजरीवाल अनजान क्यों बने हुए हैं? क्या केजरीवाल अपने प्रधान सचिव पर लगे आरोपों की विधिवत तरीके से जाँच कराने के बाद उन्हें ईमानदार अधिकारी का प्रमाण-पत्र दे रहे हैं?
भ्रष्टाचार के मामले में दोषी साबित हो चुके लालू प्रसाद यादव को गले लगाने का प्रकरण अभी जनता भूली भी नहीं होगी कि केजरीवाल फिर से भ्रष्टाचार के साथ खड़े होते दिख रहे हैं। इसलिए इस प्रकरण में राजनीति करने और केन्द्र सरकार पर तोहमत लगाने की अपेक्षा अरविन्द केजरीवाल को इन सवालों के जवाब भी देने चाहिए। ताकि उनकी विश्वसनीयता और ईमानदारी पर गहरा रहे संकट के बादल छंट सकें। वरना, देश की जनता यही मानेगी कि अरविन्द केजरीवाल कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। वैकल्पिक राजनीति करने का दम भरने वाले केजरीवाल ने भी चलताऊ राजनीति के दांव-पेंच सीख लिए हैं।
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