अ सहिष्णुता का मुद्दा शांत होने की जगह रह-रहकर उठ रहा है। अब फिल्मी कलाकार आमिर खान ने असहिष्णुता को हवा दी है। आठवें रामनाथ गोयनका अवार्ड समारोह में आमिर खान ने यह कहकर निराधार बहस को फिर से तूल दे दिया है- 'पिछले 6-8 महीने से असुरक्षा और डर की भावना समाज में बढ़ी है। यहां तक कि मेरा परिवार भी ऐसा ही महसूस कर रहा है। मैं और पत्नी किरण ने पूरी जिंदगी भारत में जी है, लेकिन पहली बार उन्होंने मुझसे देश छोडऩे की बात कही। यह बहुत ही खौफनाक और बड़ी बात थी, जो उन्होंने मुझसे कही। उन्हें अपने बच्चे के लिए डर लगता है। उन्हें इस बात का भी डर है कि आने वाले समय में हमारे आसपास का माहौल कैसा होगा? वह जब अखबार खोलती हैं तो उन्हें डर लगता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अशांति बढ़ रही है।'
देश नहीं जानता कि यह आपकी पत्नी की चिंता है या फिर पत्नी किरण राव की आड़ लेकर आप अपने मन की बात कह रहे हैं। खैर, जो भी हो। अब देश आपसे जानना चाहता है कि आपने किरण राव को क्या कहा? क्या आपने उनसे पूछा कि भारत छोड़कर कहाँ जाकर बसना ठीक होगा? किस देश में भारत से अधिक व्यक्तिगत आजादी है? सहिष्णुता का प्रतीक कौन-सा देश है? क्या आपने उन्हें यह बताने की कोशिश कि इस देश ने आपको आमिर खान बनाया है? क्या आपने उन्हें अतुल्य भारत के बारे में नहीं बताया? क्या आपने किरण को सलीम खान की टिप्पणी का हवाला देकर बताया कि मुसलमानों के लिए सबसे सुरक्षित देश भारत है? ऐसे ढेरों सवाल हैं, आपसे। जिनका जवाब आपको देना चाहिए। ताकि देश जान सके कि वास्तव में वह आपकी पत्नी की ही चिंता थी और आपका ड्रामा नहीं। वैसे, जनता को पूरा भरोसा है कि आप एक भी सवाल का जवाब नहीं देंगे, क्योंकि आपकी मंशा कुछ और ही है। इस तरह की बात सार्वजनिक कार्यक्रम में कहकर आपने अपनी पत्नी के डर को तो दूर किया नहीं, बल्कि देश की जनता को जरूर डराने का प्रयास किया है।
आपको नहीं लगता कि भारत में सबकुछ सहज है। पहले की तरह है। देश में सब आपस में मिलजुल कर रह रहे हैं। देश को बड़ा अच्छा लगता यदि आमिर खान अपनी पत्नी को समझाते कि देश में बहुत कुछ सकारात्मक है। एकाध घटना से देश के चरित्र का आकलन करना ठीक नहीं है। कितना अच्छा होता कि आमिर खान 'अतुल्य भारत' की पूरी विज्ञापन श्रृंखला किरण राव को अपने साथ बैठाकर दिखाते और उन्हें समझाते कि भारत तो ऐसा है, मीडिया की नजर से भारत के बारे में धारण बनाना ठीक नहीं। लेकिन, आमिर खान ने ऐसा कुछ संभवत: नहीं किया। यदि किया है तो बताएं। उन्होंने जिस तरह का बयान दिया है वह निंदनीय है।
असहिष्णुता पर बकवास से देश की छवि पूरी दुनिया में खराब हो रही है। क्या किसी आमिर खान को इससे कोई फर्क पड़ता है। आमिर खान के इस बयान के बाद यह कहने में भी कोई गुरेज नहीं कि वह अतुल्य भारत के प्रचारक भी पैसे के कारण ही हैं। उनकी नजर में तो भारत अतुल्य नहीं असहिष्णु है। भाजपा के शहनवाज हुसैन और कांग्रेस के राशिद अल्वी ने भी आमिर के विचारों की निंदा की है। भाजपा और राष्ट्रवादी खेमे के लोगों को छोडि़ए आमिर खान पर उनके पेशे के लोग ही आपत्ति उठा रहे हैं। क्या वे अनुपम खैर के सवालों का जवाब दे सकते हैं? परेश रावल, रामगोपाल वर्मा, अशोक पंडित और मनोज तिवारी ने आमिर खान के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। रवीना टंडन ने सीधा सवाल खड़ा कर दिया है कि जो लोग मोदी को पीएम देखना नहीं चाहते, वे चाहते हैं कि मौजूदा सरकार गिर जाए। दुर्भाग्य से इस तरह के लोग देश को शर्मसार कर रहे हैं। ये लोग देश को शर्मसार करने की जगह खुलकर क्यों नहीं कहते कि वे मोदी के पीएम बनने से खुश नहीं हैं। रवीना का सवाल चुभता जरूर है लेकिन एक हद तक सही भी है।
जिस असहिष्णुता का हल्ला मचाया जा रहा है, आम समाज को वह दिखती नहीं है। आम समाज तो वैसे ही खुलकर जी रहा है, जैसा डेढ़ साल पहले तक जीता आया है। यही कारण है कि आम समाज की बेचैनी बढ़ जाती है कि आखिर हमारे कुछ साहित्यकार, फिल्मकार, कलाकार, इतिहासकार और वैज्ञानिक किस आधार पर देश का अपमान करने का प्रयास कर रहे हैं? ऐसे में उन्हें भारत और भारतीय परंपरा के खिलाफ किसी भयंकर षड्यंत्र की बू आती है। वैसे तो परेश रावल और ऋषि कपूर की बात सही है कि यदि देश की परिस्थितियां बिगड़ भी गईं हों तो उन्हें दूर करना चाहिए, यूं देश छोड़कर भागने की बातें करना ठीक नहीं। आमिर खान सरीखे अभिनेताओं को एक बार फिर सोचना चाहिए कि उन्होंने इस तरह का बयान देकर देश का कितना नुकसान कर दिया है।
आमिर खान ने शायद अपने आप को आम आदमी समझकर बिना कुछ सोचे विचार कह दिया वे अपनी बात फ़िल्मी टाइप डायलॉग समझ कर कह गए और जग हसाई कर बैठे ..
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