भा रत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नवंबर में ब्रिटेन जाने वाले हैं। यह दौरा भारत से अधिक ब्रिटेन के लिए महत्वपूर्ण है। एक जमाने में व्यापार के बहाने भारत में घुसने वाला ब्रिटेन फिर भारत के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए भारत से गहरी दोस्ती ब्रिटेन की जरूरत भी है। बहरहाल, हाल में बार-बार ब्रिटेन का जिक्र हो रहा है। भारत के सांसद शशि थरूर ने ब्रिटेन को उसके ही घर में उसे असली चेहरा दिखा दिया। ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसायटी में 'ब्रिटिश शासन' की धज्जियां उड़ाता हुआ महज 15 मिनट का उनके भाषण का वीडियो वायरल हो गया। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि ब्रिटेन ने 200 साल तक भारत में लूट मचाई। ब्रिटेन को समृद्ध करने के लिए भारत के खजाने लूटे गए थे। इसलिए ब्रिटेन से भारत को मुआवजा मिलना चाहिए। ब्रिटेन पर भारत का नैतिक कर्ज भी है। थरूर ने बताया कि जब अंग्रेज भारत आए तब दुनिया की इकोनॉमी में भारत का हिस्सा 23 प्रतिशत था। जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा तब यह आंकड़ा महज चार फीसदी रह गया। वैसे, एक अध्ययन के मुताबिक 14वीं शताब्दी तक दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत का हिस्सा 66 फीसदी था। गांधीवादी विचारक और प्रख्यात इतिहासकार धर्मपाल ने लम्बे समय तक ब्रिटिश दस्तावेजों का अध्ययन कर यह बात सिद्ध भी की है कि अंग्रेजों के आने तक भारत प्रत्येक क्षेत्र में समृद्ध था। अंग्रेजों ने यहां के कपड़ा मिल, लोहा निर्माण के कारखाने, उत्पादन के अन्य उपक्रम और गांव-गांव में संचालित पाठशालाएं, सबको खत्म कर दिया। यह पहली बार है जब किसी कांग्रेसी सांसद ने ब्रिटेन के बारे में इस तरह बेबाकी से सच बोला है। प्रधानमंत्री सहित पूरे देश ने शशि थरूर की प्रशंसा की है। वरना तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल चुके पी. चिदम्बरम तो ब्रिटेन के सामने नतमस्तक थे। बल्कि इन्होंने तो यह तक कहा था कि हम धन्य हैं कि अंग्रेज हम पर शासन करने आए।
खैर, थरूर का भाषण जब वायरल हुआ तो दुनियाभर से आवाजें आईं कि ब्रिटेन मुआवजा नहीं दे सकता तो कम से कम भारत से माफी ही मांग ले। ब्रिटेन को बर्बर औपनिवेशिक शासन के लिए माफी मांगनी चाहिए। अब ब्रिटिश सांसद कीथ वाज ने नवम्बर में प्रधानमंत्री के दौरे के समय विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भारत को लौटाने का आह्वान किया है। उन्होंने शशि थरूर के विचारों से सहमति भी जताई है। वास्तव में देखा जाए तो पूर्वजों की गलती को सुधार लेना ही सज्जनता की पहचान है। यदि ब्रिटिश 'जेंटलमैन' देश है तो उसे भारत ही नहीं दूसरे देशों से लूटी गई कीमती वस्तुओं को लौटा देना चाहिए। खस्ताहाल अर्थव्यवस्था वाले ब्रिटेन के लिए आर्थिक मुआवजा देना कठिन हो सकता है लेकिन किसी देश की ऐतिहासिक धरोहरों को वापस करना बहुत कठिन न होगा। सोचिए कितना खूबसूरत क्षण होगा जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 'कोहिनूर' सौंपकर नए संबंधों की नींव रख रहे होंगे। अच्छे-सच्चे और गहरे संबंधों की नींव ऐसे ही प्रयासों से मजबूत होती है। भारतीयों का दिल जीतना है तो ब्रिटेन को अधिक उदार बनना होगा। अधिक सद्भावना दिखानी होगी। ब्रिटेन ऐसा शायद ही कर पाए। वर्ष 2010 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन भारत आए थे। तब साक्षात्कार में अंग्रेजी न्यूज चैनल के पत्रकार ने उनसे प्रश्न पूछ लिया था- 'भारत यदि ब्रिटेन से कोहिनूर मांगता है तो क्या ब्रिटिश सरकार कोहिनूर लौटा सकेगी?' कैमरन ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा था- 'यह संभव नहीं है। यदि एक के लिए हाँ बोला तो ब्रिटिश म्यूजिम खाली हो जाएंगे।' यह सच है कि ब्रिटिश के संग्रहालय ही नहीं खजाना भी लूट से भरा है। कितने देशों को क्या-क्या लौटाएगा ब्रिटेन? अब तक का ब्रिटेन का व्यवहार तो यही बताता है कि वह न तो भारत सहित किसी देश से माफी मांगेगा और न ही कोहिनूर लौटाएगा। अगर ब्रिटेन ऐसा कर सका तो बहुत अच्छा होगा। दुनिया में उसकी ही इज्जत बढ़ेगी। अपनी गलतियों को छिपाने से ज्यादा भला है अपनी गलतियों को सुधारना। दुनिया प्रशंसा करती है, ऐसे व्यवहार की। भविष्य के गर्व में छिपा है कि ब्रिटेन अपनी कितनी गलतियों को सुधारता है।
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