भा रतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो दिन की यात्रा के दौरान संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ संबंधों का जो निवेश किया है, वह किसी भी आर्थिक निवेश से अधिक महत्वपूर्ण है। दो दिन में हुए महत्वपूर्ण घटनाक्रमों और संकेतों से हमें यह समझना होगा कि प्रधानमंत्री की यूएई की यात्रा निकट भविष्य में भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगी। यूएई के साथ जो समझौते हुए हैं उनके कारण न केवल पश्चिम एशिया में भारत का कद बढ़ेगा बल्कि समूचे विश्व में भी भारत की छवि और सशक्त होगी। यूएई ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन किया है। भारत के उस प्रस्ताव को भी समर्थन दिया है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र में समग्र अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद संधि की बात की गई है। आतंकवाद पर भी दोनों देशों का मन एक है। आतंकवाद में अच्छे-बुरे का भेद नहीं। प्रत्येक आतंकवाद मानवता के लिए खतरा है, कलंक है। धर्म की आड़ लेकर लोगों का खून बहाने के कृत्य को दोनों देशों ने गलत ठहराया है। अपने साक्षा बयान में भारत और यूएई ने आतंकवाद और सभी प्रकार की कट्टरता के खिलाफ मिलकर लडऩे का फैसला किया है। यूएई की धरती से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को भी इशारों ही इशारों में सुधरने की चेतावनी दे दी है। अंतरराष्ट्रीय अपराधी दाऊद इब्राहिम के मामले में भी भारत को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। यूएई सरकार ने भरोसा दिया है कि जांच के बाद वह दाऊद की संपत्तियों को सीज करने की कार्रवाई करेगी। यदि यह हो गया तो दाऊद इब्राहिम, उसके जैसे अन्य आतंकवादियों और पाकिस्तान के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
बहरहाल, दोनों देशों के बीच साइबर सुरक्षा, मादक पदार्थो, कालेधन पर लगाम लगाने और प्रत्यर्पण के मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी। रक्षा क्षेत्र में भी एक-दूसरे के सहयोग की बात हुई है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूएई के राजकुमार शेख सुल्तान बिन जायेद अल नाह्मान के बीच सकारात्मक बातचीत और व्यवहार से जाहिर होता है कि दोनों देशों के बीच संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं। पहली बार यूएई सरकार ने दुबई में किसी बाहरी राजनेता को विशाल जनसभा को संबोधित करने की अनुमति प्रदान की है। दुबई के क्रिकेट स्टेडियम में 50 हजार से अधिक संख्या में प्रवासी भारतीय और यूएई के नागरिकों के बीच मोदी ने अपना भाषण दिया। इस मौके पर उन्होंने दुनिया में बसे भारतीयों को भरोसा दिलाया कि भारत सरकार उनके साथ है। भारतीय प्रधानमंत्री यूएई से भारी निवेश की उम्मीद की पोटली साथ लेकर लौटे हैं। कहा जा सकता है कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी भारतीय प्रधानमंत्री की यह यात्रा सफल रही है। भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा है कि क्राउंन प्रिंस ने हिन्दुस्थान में साढ़े चार लाख करोड़ रुपये का निवेश करने का संकल्प किया है। साझा बयान में दोनों देशों ने अगले पांच साल में आपसी व्यापार को 60 फीसदी तक बढ़ाने पर सहमति जताई है। निवेश बढ़ाने के लिए 75 अरब अमेरिकी डालर से यूएई-भारत आधारभूत निवेश फंड बनाया जाएगा। इससे भारत में रेलवे, बंदरगाहों, सड़कों, हवाई अड्डों और औद्योगिक गलियारों का विकास किया जाएगा। भारत में तेल के संरक्षित क्षेत्रों के विकास में भी यूएई महत्वपूर्ण सहयोग देगा। 34 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री के दो दिवसीय यूएई के दौरे से भरोसे का जो माहौल तैयार हुआ है, उसकी सराहना की जानी चाहिए। आतंकवाद की लड़ाई हो, दुनिया में महाशक्ति के रूप में स्वयं को स्थापित करना हो या फिर विकास की बात हो, इन उद्देश्यों को पूरा करने में खाड़ी देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध बहुत काम आएंगे।
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