व र्षों से उग्रवाद के कारण हिंसा से परेशान नगालैण्ड और वहां के रहवासियों के लिए संभवत: अच्छे दिन आ गए हैं। केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम-आईएम (एनएससीएन-आईएम) के साथ शांति समझौता कर लिया है। नगा गुट की ओर से समझौते पर एनएससीएन-आईएम के महासचिव थुइंगालेंग मुइवा ने हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के लिए लम्बे समय से प्रयास चल रहा था। लेकिन, सरकार और एनएससीएन के बीच अनुकूल परिस्थितियां नहीं बनने के कारण यह अब तक अटका हुआ था। सरकार के प्रति भरोसा कायम होने के बाद ही उग्रवादी संगठन ने शांति की राह पर बढऩे का फैसला किया है। इस समझौते के साथ ही देश के सबसे पुराने और पूर्वोत्तर में सबसे प्रभावी उग्रवादी आंदोलन के समाप्त होने की दिशा में हम बढ़ गए हैं। समझौते के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा भी कि नार्थ-ईस्ट उनके दिल में बसता है। वे यह सुनिश्चित करेंगे कि नार्थ-ईस्ट उपेक्षित महसूस न करे। उन्होंने आश्वासन दिया है कि नगाओं का भरोसा नहीं टूटने देंगे।
समझौते से पूर्व, सोमवार शाम करीब छह बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट किया- 'आज शाम साढ़े छह बजे रेसकोर्स रोड पर हम एक ऐसी घटना के गवाह बनेंगे, जो महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ मील का पत्थर साबित होगी।' इसके बाद उनका अगला ट्वीट था- 'मैं साढ़े छह बजे रेसकोर्स रोड से खास घोषणा करूंगा।' इसके बाद अटकलों का दौर तेज हो गया था कि प्रधानमंत्री कौन-सी महत्वपूर्ण घोषणा करने वाले हैं। शाम छह बजकर चालीस मिनट पर जब प्रधानमंत्री निवास पर कार्यक्रम शुरू हुआ तब वहां गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ-साथ एनएससीएन (आईएम) के नेता भी मौजूद थे। इसके बाद धीरे-धीरे स्थितियां स्पष्ट होती गईं। एनएससीएन के नेता थुइंगालेंग मुइवा ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए तो वास्तव में भारत सरकार ने मील का पत्थर स्थापित कर दिया। मुइवा ने भी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस फैसले से नगालैंड का भला होगा।
बहरहाल, इस समझौते से महज नगालैण्ड के लिए ही बेहतरी का मार्ग नहीं खुला है बल्कि इससे सम्पूर्ण पूर्वोत्तर में शांति और सौहार्द का वातावरण बनने वाला है। क्योंकि, पूर्वोत्तर राज्यों में जितनी भी अलगाववादी गतिविधियां चल रही हैं, सबको कहीं न कहीं एनएससीएन-आईएम का समर्थन और सहयोग मिलता रहता है। अब जब यह गुट बाकि उद्रवादी गुटों को मदद नहीं करेगा तो निश्चित ही वे सब कमजोर पड़ जाएंगे। परिणामस्वरूप पूर्वोत्तर राज्यों में जारी हिंसक गतिविधियों में कमी आएगी और एनएससीएन-आईएम प्रेरित होकर वे भी शांति की राह पकड़ सकते हैं। यह समझौता अन्य राज्यों में चल रहे उग्रवादी और नक्सली आंदोलनों के लिए भी नजीर की तरह काम करेगा। यह सरल-सा सिद्धांत है कि हिंसा से किसी का कल्याण नहीं हो सकता। हिंसा से सबका नुकसान ही होता है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में चल रही अलगाववादी हिंसा में हजारों लोगों की जान जा चुकी है। राष्ट्र की सम्पत्ति का भी नुकसान हुआ है। हिंसक गतिविधियों के डर से निवेशक भी इन क्षेत्रों में उद्योग-धंधे शुरू नहीं कर रहे हैं। इस कारण रोजगार की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। स्पष्टत: जिन राज्यों में हिंसक आंदोलन चल रहे हैं वे विकास की राह पर कहीं पिछड़ गए हैं। इसलिए नगा विद्रोहियों से सीख लेकर नक्सलियों और दूसरे उग्रवादी गुटों को भी हथियार छोड़कर सबके कल्याण के लिए 'हल' पकड़ लेना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
पसंद करें, टिप्पणी करें और अपने मित्रों से साझा करें...
Plz Like, Comment and Share