रा ष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की बातचीत से पाकिस्तान ने कदम खींच लिए हैं। बैठक के चंद घंटे पहले पाकिस्तान ने साफतौर पर इनकार कर दिया। संभवत: वह भारत की तैयारियों को देखकर डर गया। यह सामान्य-सी बात है कि डरा हुआ देश आतंकवाद से नहीं लड़ सकता। पाकिस्तान की इच्छाशक्ति ही नहीं है आतंकवाद से लड़ाई करना। वह तो आतंकवाद को पनाह देने वाला देश है। आतंकियों का पालन-पाषण करने वाला देश आखिर आतंकवाद से क्यों लड़ेगा? पाकिस्तान शुरू से ही आतंकवाद के मसले पर भारत से बात करना नहीं चाह रहा था। सीमापार से लगातार गोलाबारी और इस गोलाबारी की आड़ में भारत में आतंकियों की घुसपैठ कराने की उसकी हरकतें बताती हैं कि वह चाह रहा था कि भारत भड़क जाए और एनएसए स्तर की बातचीत रद्द कर दे। इससे भी बात नहीं बनी तो मीटिंग से ठीक पहले हुर्रियत के भूत से भारत को उकसाने की कोशिश करने लगा। उसे मालूम है कि भारत को यह कतई मंजूर नहीं होगा कि पाकिस्तान अलगाववादी संगठन हुर्रियत के नेताओं से कोई बातचीत करे।
बैठक में बातचीत का सबसे बड़ा मसला आतंकवाद और सीमा पर शांति था लेकिन पाकिस्तान अचानक से जिद्दी बच्चे की तरह जम्मू-कश्मीर पर बातचीत के लिए मचल उठा। उसकी यह जिद और मचलन बैठक रद्द करने के लिए भारत को उकसाने के षड्यंत्र का हिस्सा थी। लेकिन, भारत की सरकार ने यहां भी सूझबूझ का प्रदर्शन किया। हुर्रियत के नेताओं पर दबाव डालकर उन्हें इस बात के लिए राजी कर लिया कि वे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ वार्ता से पहले पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज से मुलाकात नहीं करेंगे। भारत की तरफ से बैठक रद्द हो, इसके लिए पाकिस्तान की सारी पैंतरेबाजी जब खत्म हो गईं तो उसने खुद को फंसा हुआ पाया। पाकिस्तान अच्छी तरह से जानता था कि इस बार एनएसए मीटिंग में आतंकवाद के मसले पर उसकी जमकर थू-थू होने वाली है। भारत सारा मेकअप धोकर दुनिया को उसका असली चेहरा दिखा देगा। पाकिस्तानी न्यूज चैनल्स पर आयोजित चर्चाओं में वहां का राजनीतिक और बुद्धिजीवी वर्ग भी स्पष्ट तौर पर यह स्वीकार कर रहा था कि यदि यह वार्ता होती है तो आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को जवाब देते नहीं बनेंगे। अजीज का मुकाबला भारत के जेम्सबॉन्ड अजीत डोभाल से था। आखिरकर पाकिस्तान घबराकर भाग खड़ा हुआ।
अब हमें इस बात को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाहिए। अतंरराष्ट्रीय मंच से बताना चाहिए कि पाकिस्तान कभी आतंकवाद से नहीं लड़ सकता। उसकी फितरत आतंक को पालने की है। जो देश उसे मदद कर रहे हैं उन्हें बताना होगा कि उनकी आर्थिक मदद का उपयोग पाकिस्तान आतंकवाद के पोषण में करता है, विश्व मानवता के हित में पाकिस्तान की आर्थिक मदद बंद करनी होंगी। पाकिस्तान यूं तो नहीं समझने वाला, उसकी कमर तोडऩी पड़ेगी। वार्ता से भारत को जो हासिल होना था वह अब भी हो सकता है। इसलिए भारत को कूटनीतिक सूझबूझ से पाकिस्तान को घेरने की तैयारी करनी चाहिए।
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