प टना के प्रसिद्ध गांधी मैदान से 'महागठबंधन' ने बिहार के स्वाभिमान के नाम पर चुनावी हुंकार भर दी है। बिहार चुनाव प्रचार अभियानों पर पूरे देश की नजर है। ये चुनाव और चुनाव प्रचार दोनों ही महत्वपूर्ण होने वाले हैं। महागठबंधन की स्वाभिमान रैली 'बहुप्रतीक्षित' थी। इसे जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस के गठबंधन के औपचारिक चुनावी अभियान की शुरुआत माना जा रहा था। हालांकि माहौल तो पहले से ही बनने लगा था। स्वाभिमान रैली के मंच से गठबंधन के तीनों प्रमुख दलों के नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी और नरेन्द्र मोदी को घेरने का प्रयास किया। कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने सीधे तौर मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने नरेन्द्र मोदी की नीतियों और नीयत पर सवाल खड़े किए। श्रीमती गांधी ने कहा कि मोदी की नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था खराब होती जा रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनावी प्रचार के लिए प्रधानमंत्री बिहार को बीमारू राज्य कहकर उसका अपमान करते हैं। मोदी को बिहार को नीचा दिखाने में आनंद आता है। नीतीश कुमार ने भी मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि केन्द्र सरकार को 14 महीने बाद बिहार की याद क्यों आई है? बिहार में चुनाव नहीं होते तो मोदीजी बिहार और बिहार की जनता को याद ही नहीं करते। बहरहाल, चुनावी महागठबंधन पिछले कई दिन से रैली की जोरदार तैयारियां कर रहा था। मोदी की परिवर्तन रैली सहित अन्य कार्यक्रमों में उमड़े जनसैलाब से अधिक भीड़ पटना के गांधी मैदान में जमा करने का दबाव भी तीनों पार्टियों पर था। रैली के सफल आयोजन से भारतीय जनता पार्टी पर मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने के लिए नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने काफी तैयारी की हैं और कर रहे हैं।
महागठबंधन का चुनावी प्रचार अभियान अपेक्षा के अनुरूप शुरू हो चुका है। जोरदार भाषण। एक-दूसरे पर तीखे हमले। जुमलेबाजी। भाषणों में बिहार के विकास का कोई रोडमैप नहीं। सिर्फ एक-दूसरे की छीछलेदारी। बिहार की जनता के स्वाभिमान को नीतीश बाबू क्या समझ रहे हैं और किस तरह से जगाना चाहते हैं, यह तो चुनाव बाद ही पता चलेगा। पटना रैली से एक बात साबित हो गई है कि हमारे राजनेता जातियों को कभी आपस में समरस नहीं होने देंगे। स्वाभिमान रैली के मंच से लालू ने जाति का कार्ड चल दिया है। उन्होंने कहा है कि भाजपा यादव जाति को बांटना चाह रही है। लालू ने दावा किया है कि यादव उनका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। लालू के राजनीतिक करियर के लिए ये चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। इसीलिए यह पहली बार है जब लालू प्रसाद यादव मुस्लिम-यादव वोटबैंक में यादव वोटबैंक पर बहुत अधिक फोकस कर रहे हैं। अब देश को एक सितंबर का इंतजार है। जब भागलपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली के बाद राजनीतिक सरगर्मी और बढेगी। देखना होगा कि नरेन्द्र मोदी भारतीय जनता पार्टी और खुद पर लगे आरोपों का जवाब कैसे देंगे? जवाब देते समय बिहार के विकास की बात भी करेंगे या नहीं? या फिर वे भी महागठबंधन में शामिल दलों और उनके नेताओं पर आरोप लगाकर चले जाएंगे? हमारे राजनेताओं के सामने एक बड़ा सवाल है, क्या चुनाव प्रचार का मतलब एक-दूसरे पर पलटवार करना ही हो गया है?
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