शि वराज सिंह चौहान ने 29 नवम्बर, 2005 को पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। सप्ताहभर बाद उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के 10 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान की छवि सहज, सुलभ और सरल व्यक्तित्व के मुख्यमंत्री की है। अपने व्यवहार से वे इस बात को साबित भी करते रहते हैं। भारतीय जनता पार्टी अपने लोकप्रिय मुख्यमंत्री के दस वर्ष पूरे होने पर बड़ा जश्न मनाने की तैयारी कर रही थी। लेकिन, किसानों की पीड़ा और उनके संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कहने पर यह पूरा कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया है। शिवराज एक किसान के बेटे हैं, इसलिए किसानों के दर्द को समझ पाए हैं। सोचिए, यदि सूखे की मार झेल रहे किसानों की अनदेखी करते हुए सरकार जश्न मना रही होती तो क्या होता? मुख्यमंत्री की दस साल की कमाई एक झटके में चली जाती। सब उन्हें कठघरे में खड़ा करते? शिवराज सिंह चौहान पर सीधा आरोप लगता कि यह कैसा किसान का बेटा है, जिसे किसानों की पीड़ा दिखाई नहीं दे रही।
बहरहाल, मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ खड़े होकर अपनी पहचान को तो बचा ही लिया है बल्कि किसानों को हौसला भी दिया है। 'किसानों की पीड़ा देखकर, मैं तीन दिन से सोया नहीं हूं।' मुख्यमंत्री का यह कहना, किसानों के लिए बड़ी हमदर्दी है। सूखे की हालत से चिंतित मुख्यमंत्री ने सोमवार को आपात बैठक बुलाई थी। बैठक में उन्होंने अफसरों को चेतावनी दी है कि किसानों को राहत देने के लिए, उनके दर्द को बांटने के लिए कुछ ठोस योजना बनाओ। संकट की इस घड़ी में आपकी प्रतिभा की परीक्षा होनी है। कुछ दीर्घकालीन उपाय सोचिए। कृषि, राजस्व, सहकारिता, ऊर्जा और वित्त विभाग के अधिकारियों को मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सुनियाजित व्यवस्थाएं बनाई जाएं।
मुख्यमंत्री की चिंता इसलिए भी बढ़ी हुई है क्योंकि कांग्रेस किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की योजना बना रही है। कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया तो किसानों की आत्महत्या को 'क्रांतिकारी कदम' बता चुके हैं। हालांकि सिंधिया के इस बयान की चौतरफा निंदा हो रही है। आत्महत्या करने वाले किसानों को क्रांतिकारी बताकर कांग्रेस आत्महत्या को प्रोत्साहित करना चाह रही है क्या? प्रदेश में मृतप्राय: कांग्रेस इस मुद्दे से ऑक्सीजन प्राप्त करे, भाजपा यह कतई नहीं चाहेगी।
मुख्यमंत्री ने निर्णय लिया है कि वे अपने मंत्रियों और अफसरों के साथ प्रदेश के गांवों में जाएंगे। सरकार किसानों की समस्याओं को नजदीक से देखकर, उनके स्थायी समाधान के उपाय करने का प्रयास करेगी। किसानों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्र सरकार से भी मदद की गुहार लगाई है। बैठक के दौरान ही मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को फोन पर प्रदेश के किसानों के हालात की जानकारी दे दी थी। अब प्रदेश सरकार के दो मंत्री साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये का मांगपत्र केन्द्र सरकार को सौंपेंगे। प्रदेश के अन्नदाता ने मुख्यमंत्री को लगातार तीन बार कृषि कर्मणा पुरस्कार दिलाया है। इसलिए अब मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है कि वह अन्नदाता की चिंता करे। अन्नदाता के कर्ज को चुकाने की बारी भाजपा और उसके किसान मुख्यमंत्री की है।
धन्यवाद राजेंद्र जी
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