पा किस्तान आतंकवाद का पालन-पोषण करता रहा है, यह बात वहां के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व सेना जनरल परवेज मुशर्रफ ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार कर ली है। मुशर्रफ ने पाकिस्तानी चैनल 'दुनिया टीवी' को दिए साक्षात्कार में माना कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को खड़ा करने और उसे बढ़ावा देने के लिए आतंकवादियों को पैसा और प्रशिक्षण देता रहा है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान द्वारा फैलाए आतंकवाद से भारत लम्बे समय से पीडि़त है। भारत बरसों से कहता आ रहा है कि पाकिस्तान भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया में भी आतंकवाद को पैर पसारने में मदद करता रहा है। लेकिन, यह सब जानकार भी अमरीका और चीन जैसे देश पाकिस्तान को आर्थिक मदद करते रहे। दूसरे देशों से प्राप्त आर्थिक मदद का उपयोग पाकिस्तान ने अपनी आवाम की बेहतरी के लिए नहीं किया बल्कि आतंकवाद को पालने के लिए किया।
पाकिस्तान के संदर्भ में भारत के प्रत्येक आरोप को आज पाकिस्तान के पूर्व सेना जनरल और पूर्व राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। मुशर्रफ का कहना है कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान का हीरो है। लश्कर-ए-तैयबा और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी संगठन पाकिस्तान ने ही खड़े किए हैं। पूरी दुनिया और सोवियत संघ से लडऩे के लिए हमने मुजाहिदीन तैयार किए। तालिबान को सब तरह की मदद की। मुशर्रफ ने स्वीकार किया है कि मुंबई हमलों के गुनाहगार हाफिज सईद को जम्मू-कश्मीर में जेहाद छेडऩे के लिए पाकिस्तान में हीरो की तरह सम्मान दिया जाता है।
मुशर्रफ के दावे चौंकाने वाले नहीं हैं। क्योंकि, यह वह सच है जिसे दुनिया पहले से ही जानती है लेकिन अपने स्वार्थों की चादर से काले सच को ढंक देती है। यह माना जाना चाहिए कि आतंकवाद की लड़ाई में प्रत्येक उस देश की निष्ठा संदिग्ध है, जो पाकिस्तान को मदद कर रहा है। ऐसे देश आतंकवाद से लडऩे का सिर्फ दंभ भरते हैं।
गौरतलब है कि हाल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भारत के खिलाफ शिकायत लेकर अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिले थे। ओबामा ने पाकिस्तान की बातों को खारिज करते हुए, शरीफ को पाकिस्तान में फैल रहे आतंकवाद पर लगाम लगाने की नसीहत दे दी। आखिरकार नवाज शरीफ ने ओबामा को भरोसा दिलाया कि वह मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। क्या वास्तव में यह संभव है? जिन्हें पाकिस्तान हीरो मानता है, उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी? इतना हौसला नवाज कहां से लाएंगे? मुशर्रफ की स्वीकारोक्ति के बाद तो यही कहा जा सकता है कि नवाज शरीफ अमरीका से झूठ बोलकर आए हैं। आतंकवाद से लडऩे के लिए हिम्मत चाहिए, जो पाकिस्तान सरकार में नहीं है। खुद की पाली-पोसी औलाद को पाकिस्तान मारने की हिम्मत करे भी तो कैसे?
वैसे मुशर्रफ ने यह भी माना है कि धार्मिक आतंकवाद को बढ़ावा देकर पाकिस्तान ने बहुत फायदा उठाया है। लेकिन, अब यह आतंकवाद पाकिस्तान को ही निशाना बना रहा है। पाकिस्तान में रोज बम विस्फोट हो रहे हैं। जिस आतंकवाद के जरिए वह भारत सहित दूसरे देशों को जख्मी कर रहा था, अब उस खूंखार दरिंदे का शिकार पाकिस्तान खुद हो रहा है। ओसामा बिन लादेन, अयमान अल जवाहिरी, जलालुद्दीन हक्कानी और हाफिज सईद जैसे आतंकवादियों को हीरो मानने वाला पाकिस्तान ठोकर खाकर भी सुधरेगा, इसकी संभावना शून्य ही है। भारत तो कई मौकों पर पाकिस्तान को चेतावनी दे चुका है कि आतंकवाद अच्छा या बुरा नहीं होता। आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद होता है। यह बुरा ही है। सबके लिए खतरनाक है। पाकिस्तान की स्वीकारोक्ति के बाद अब तो दुनिया की आंखें खुल जानी चाहिए कि आतंकवाद की जड़ कहां है? आतंकवाद को खत्म करना है तो जड़ पर चोट करने की जरूरत है। खाद-पानी देना बंद कर दिया जाए तो जड़ सूख जाएगी।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन राजनैतिक प्रवक्ता बनते जा रहे हैं हम - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी
हटाएं