आ तंकवाद का पोषण करने वाला पाकिस्तान भारत को सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के विदेश विभाग ने बयान जारी करते हुए गजल गायक गुलाम अली और पूर्व पाक विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी का विरोध किए जाने पर चिंता जताई है। बयान में कहा गया है कि भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं हों। पाकिस्तान को समझना चाहिए कि भारत के अभी ऐसे दिन नहीं आए हैं कि उसे दोगले देश नसीहत देने लग जाएं। भारत कल भी सहिष्णु था और आज भी सहिष्णु है। भारतीय समाज की प्रवृत्ति ही उदारवादी है। इसलिए पाकिस्तान जैसा अनुदार देश भारत को सीख दें, यह हास्यास्पद है।
आवश्यक है कि सबसे पहले पाकिस्तान खुद ही सहिष्णुता के रास्ते पर चलने की कोशिश करे। पाकिस्तान सरकार अपने देश में अभिव्यक्ति की आजादी सुनिश्चित करे। धार्मिक आधार पर हो रहे भेदभाव को रोके। ईशनिंदा की आड़ में कत्ल किए जा रहे गैर-मुस्लिमों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। पाकिस्तान की सरकार, सेना और सुफिया एजेंसी कितनी बर्बर हैं, इसकी पुष्टी हाल की घटनाएं करती हैं। अमरीका में यूएन के दफ्तर के सामने मुहाजिरों का प्रदर्शन हो या फिर पाक अधिक्रांत कश्मीर की आवाम का हिन्दुस्थान के समर्थन में नारे लगाना। दोनों ही प्रदर्शन जाहिर करते हैं कि पाकिस्तान में आम आदमी की आवाज को कुचला जा रहा है।
भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ठीक ही कहते हैं कि पाकिस्तान में हो रहे मानवाधिकारों के हनन के मामलों को दुनिया के सामने उठाने की जरूरत है। वह समय आ गया है जब भारत को पाकिस्तान का असहिष्णु चेहरा उजागर करना चाहिए।
बहरहाल, भारत में तो एक पार्टी शिवसेना ने गजल गायक गुलाम अली और पूर्व पाक मंत्री कसूरी का विरोध किया है। जबकि पाकिस्तान में तो सीधेतौर पर सरकार ही भारतीय कलाकारों को प्रतिबंधित कर देती है। पाकिस्तान बताएगा कि बॉलीवुड की फिल्मों पर वहां बैन क्यों लगाया जाता है? क्यों पाकिस्तान की आवाम को चोरी-छिपे भारतीय सिनेमा देखने को मजबूर होना पड़ता है? जबकि भारत में गजल प्रेमी बड़े शौक से गुलाम अली साहब की आवाज का लुत्फ उठाते हैं।
कलाकारों से अधिक कातिलों की खुशामद पर ध्यान देने वाली पाकिस्तानी हुकूमत को शायद मालूम नहीं होगा कि पाक के कई फनकार रोजगार की तलाश में भारत आ रहे रहे हैं। भारतीय सिनेमा उनका पेट पाल रहा है। यहां उन्हें काम का अवसर मुहैया कराया जा रहा है।
पाकिस्तान ने कभी अपने गिरेबां में झांककर देखा है क्या? आतंकवाद से लडऩे की झूठी कसमें उठाती पाकिस्तानी हुकूमत तो आतंकवादियों के इशारों पर नाचती है। पाकिस्तान में एक आतंकवादी के इशारे पर भारतीय फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी जाती है। मुम्बई के ताज होटल में विस्फोट के मास्टर माइंड हाफिज सईद के कहने पर पाकिस्तान ने सैफ अली खान और कैटरीना कैफ अभिनीत फिल्म 'फैंटम' के प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी। भारत को नसीहत देने वाले पाकिस्तान के हुक्मरान तब कहां चले गए थे? पाकिस्तान के बयान का भारत की ओर से कड़ा जवाब दिया गया है। भारत ने कहा है कि सहिष्णुता पर उसे पाकिस्तान से नसीहत लेने की जरूरत नहीं है, जो खुद सहिष्णुता और अनेकता का सम्मान नहीं करता है।
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