दा दरी हत्याकांड के बाद से देशभर में गाय पर राजनीतिक, सामाजिक और वैचारिक बहस छिड़ी हुई है। खुद को सेक्युलर कहने वाले तथाकथित बुद्धि के ठेकेदार गोमांस खाने को उतावले हैं। वे गोहत्या पर प्रतिबंध के खिलाफ खूब लिख-बोल रहे हैं। शोभा डे सरीखी वाममार्ग पर प्रगतिशील महिला हिन्दुओं को उकसाने वाला बयान देती हैं- मैंने गोमांस खाया है, आओ मुझे मार डालो। फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर, पूर्व न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू, बिहार के नेता लालू प्रसाद यादव, भाजपा सरकार के केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू से लेकर विभिन्न क्षेत्रों की कई प्रमुख हस्तियों ने गोमांस पर हिन्दू समाज की भावनाओं को आहत करने वाले बयान दिए हैं। साहित्यकार भी गाय पर राजनीति करने में पीछे नहीं हैं। इस सब वितंडावाद के बीच हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोहत्या और गोमांस बिक्री पर रोक लगाने का महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से भी आग्रह किया है कि पूरे देश में गोहत्या और गोमांस बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने पर विचार किया जाना चाहिए। गोमांस और उससे बने उत्पाद की बिक्री, आयात और निर्यात पर तीन माह में पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट के इस फैसले को हिन्दुओं को खुश करने वाले निर्णय के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। बल्कि यह तो धर्मनिरपेक्षता को पुष्ट करता है। यह निर्णय संविधान की मूल भावना के अनुरूप भी है। लोकतंत्र की बुनियाद है समानता। इस देश में विभिन्न धर्म के लोग निवास करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि सभी धर्मों को मानने वाले लोगों की भावनाओं का समान रूप से सम्मान किया जाए। इस अहम फैसले में न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और सुरेश ठाकुर की खंडपीठ ने कहा है- 'भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्षता एक मुख्य बिन्दु है। लोगों को एक-दूसरे की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए। समाज में एकात्मता की भावना होनी चाहिए। इस तरह के झगड़े-फसादों के चलते लोकतंत्र की मूल भावना को भी चोट पहुंचेगी और एक-दूसरे के प्रति अविश्वास भी बढ़ जाएगा।' सच ही तो है, गाय पर हुई संकीर्ण राजनीति से हिन्दू और मुसलमान के बीच अविश्वास की खाई गहरी हो रही है। कई मुस्लिम विद्वान मानते हैं कि इस्लाम के संदेशों में गोमांस खाने की मनाही है। इसके बावजूद, सेक्युलर राजनेता और लेखक गोहत्या और गोमांस भक्षण को मुसलमानों का मौलिक अधिकार बताने की कोशिश कर रहे हैं।
अपने राजनीतिक स्वार्थ पूरे कर रहे इन राजनेताओं और लेखकों को दरअसल अहसास नहीं है कि ये लोग क्या कर रहे हैं? इन्होंने हिन्दू और मुसलमानों के बीच अविश्वास को बढ़ाने का काम किया है। बहरहाल, आपसी विश्वास को कायम करने के लिए आज गोहत्या और गोमांस बिक्री पर रोक लगाने के लिए कानून की जरूरत है। क्योंकि, वर्तमान में जैसी परिस्थितियां हमने बना रखी हैं, उनमें सामाजिक सौहार्द की उम्मीद करना बेमानी होगा। लगातार एक धर्म के लोगों की भावनाओं की उपेक्षा से स्थितियां बिगड़ रही हैं। चूंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा और जीवंत लोकतंत्र है इसलिए उसे बचाए रखने के लिए गोसंरक्षण को सुनिश्चित करना आवश्यक है। धर्मनिरपेक्षता का तकाजा भी कहता है कि सबको एक समान नजरिए से देखा जाए। यही कारण है कि भारतीय संविधान की धारा 48, 48ए और 51 ए (जी) के मद्देनजर हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को ऐसा कानून लागू करने पर विचार करने के निर्देश दिए हैं, जिसके तहत गोहत्या, गोवंश की तस्करी, आयात-निर्यात, गोमांस और उससे बने उत्पादों की बिक्री पर रोक लग सके।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के निर्णय की तरह है सभी राज्यों को भी ऐसी तरह का फैसला करना चाहिए ताकि सम्पूर्ण भारत वर्ष में गोहत्या और गोमांस बिक्री पर रोक लग सके. सरकार को इस पर गंभीरता से राजनीति से ऊपर उठकर कठोरतापूर्वक अधिनयम बनाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति हेतु आभार!
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