ने ताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत से जुड़ी फाइलों पर जमी गर्द अभी ठीक से साफ भी नहीं हुई थी कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु से जुड़ी फाइलों को भी सार्वजनिक करने की मांग उठने लगी है। अनिल शास्त्री ने अपने पिता की तत्कालीन सोवियत संघ के ताशकंद में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि यह संभव है कि उनके पिता की हत्या की गई हो। कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री और उनका परिवार पहले भी पूर्व प्रधानमंत्री की मौत से जुड़ी फाइलों को सामने लाने की मांग कर चुका है। लेकिन, पूर्ववर्ती सरकारें गोपनीयता एवं विदेशी संबंधों का हवाला देकर इसे उजागर करने से इनकार करती रही हैं। लेखक और पत्रकार अनुज धर भी सूचना के अधिकार के तहत शास्त्रीजी के निधन के संबंध में जानकारी मांग चुके हैं। उन्हें भी सरकार ने कोई जानकारी नहीं दी।
आमजन के मन में एक सहज सवाल उठता है कि संदिग्ध परिस्थितियों में हुई शीर्ष नेताओं और महत्वपूर्ण व्यक्तियों की मौतों से जुड़ी फाइलों को उजागर होने से किन्हें डर लगता है? सच सामने आने से विदेशी संबंधों में तनाव क्यों आएगा? देश की महत्वपूर्ण व्यक्तियों की मौत में विदेशी सरकारों की क्या भूमिका हो सकती है? क्या भारत के तत्कालीन प्रभावशाली नेताओं के इशारे पर विदेशी सरकारों ने सुभाषचंद्र बोस और लाल बहादुर शास्त्री की मौत की साजिश रची थी? आखिर हमारी सरकारें अफवाहों का बाजार क्यों गर्माने देती हैं, सच सामने क्यों नहीं आने देना चाहती? इतना तो सच है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस का मामला हो या फिर पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु का, परिस्थितियां तो संदिग्ध थी। उनसे जुड़े कई सवालों का ठीक-ठीक जवाब कोई नहीं दे पाता है।
इसी तरह, जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु भी जम्मू-कश्मीर की जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में हुई थी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव मुगलसराय रेलवे स्टेशन के यार्ड में पड़ा मिला था। उनकी मृत्यु के पीछे वामपंथियों का हाथ बताया जाता है। पंडितजी की मौत के कारणों का खुलासा नहीं होने पर उनके परिजन भी नाराजगी जता चुके हैं। दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष चल रहा है। उनके विचार को आधार बनाकर केन्द्र की सत्ता में आज भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बैठी है। क्यों नहीं दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु से भी पर्दा उठाया जाना चाहिए? उनकी मृत्यु के कारणों को खोजने के लिए जांच आयोग का गठन क्यों नहीं किया जाना चाहिए?
आज देश की जनता सच जानना चाहती है। पूरा सच। प्रत्येक मौत के रहस्य से पर्दा उठना ही चाहिए। संबंधित राज्य सरकारों और केन्द्र सरकार को इन नेताओं से संबंधित सभी फाइलों को सार्वजनिक कर देना चाहिए। विदेशी संबंध बिगड़ते हैं तो बिगडऩे दीजिए। देश का आपसी सौहार्द तो बना रहे। वरना अभी एक-दूसरे पर जो कीचड़ उछाली जा रही है, वह खतरनाक है। सबसे महत्वपूर्ण, जनता को पूरा अधिकार है कि वे अपने प्रेरणास्रोतों और राजपुरुषों के विषय में पूरा सच बेहिचक जाने। इसलिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के परिजनों की बात को गंभीरता से सुना जाए। यह सिर्फ उनकी आवाजें नहीं हैं, उनकी मांग नहीं है बल्कि यह पूरे देश की आवाज है।
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