पा किस्तान के आर्मी चीफ जनरल राहील शरीफ ने अपनी 'शराफत' की नुमाइंदगी की है। उन्होंने धमकी भरे अंदाज में कहा है कि अब जंग छिड़ी तो भारत को मुंह की खानी पड़ेगी। रावलपिंडी स्थित सेना मुख्यालय में पाकिस्तान 'भारत-पाक युद्ध-1965' में अपनी कथित 'विजय' की वर्षगांठ मना रहा था, तब शरीफ का यह बड़बोलापन जाहिर हुआ। दरअसल, शरीफ जिस सेना का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसका वजूद भारत विरोध पर ही टिका है। इसीलिए गाहे-बगाहे पाकिस्तान सेना के प्रमुख इस प्रकार की बयानबाजी करते रहते हैं। प्रत्यक्ष और छद्म युद्ध में हर बार पराजित होने वाला पाकिस्तान अपनी जीत की और भारत को मजा चखाने की कल्पना करके ही खुश हो लेना चाहता है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने जिस कार्यक्रम में भारत को चेतावनी दी है, उसकी बुनियाद भी सबसे बड़े झूठ पर टिकी है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति और रक्षा मंत्री भी अपनी विजय के झूठे दावे पर इतरा चुके हैं। लेकिन, सच तो दुनिया जानती है। साँच को आँच नहीं।
पाकिस्तान के ही इतिहासकार अकबर एस. जैदी ने अभी हाल में प्रमुख समाचार-पत्र 'डॉन' में लेख लिखकर स्वीकार किया है कि 1965 के युद्ध में पाकिस्तान बुरी तरह परास्त हुआ था। उन्होंने पाकिस्तान की जीत के दावे को सबसे बड़ा झूठ करार दिया। साथ ही यह भी कहा कि पाकिस्तान के बच्चों को भी पाठ्यपुस्तकों में भयंकर झूठ पढ़ाए जा रहे हैं। शरीफ धौंस देने तक ही नहीं रुके वरन उन्होंने इशारों ही इशारों में भारत पर आरोप तक जड़ दिए। अनर्गल आरोप, जिनका कोई आधार नहीं। शरीफ ने कहा है कि पाकिस्तान का रुख तब तक नरम नहीं पड़ेगा जब तक आतंकियों को भड़काने और फंडिंग करने वालों को सबक नहीं मिल जाता। शरीफ ने और कुछ नहीं बल्कि अपना मैला आँचल छिपाने के लिए, भारत पर कीचड़ फेंकने का प्रयास किया है। पाकिस्तान अभी इसलिए भी तिलमिलाया हुआ है क्योंकि सीमा पार से हो रही गोलाबारी का भारत की ओर से कड़ा जवाब दिया जा रहा है। पिछले कई दिनों से पाकिस्तान लगातार सीमा पार से गोलाबारी की आड़ में भारी संख्या में आतंकवादियों को भारत की सीमा में घुसपैठ कराने का प्रयास कर रहा है। वह अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो पा रहा है। जिंदा पकड़े गए आतंकियों ने पाकिस्तान की इस करतूत का खुलासा किया है।
वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता रद्द करने के कारण भी पाकिस्तान का चरित्र दुनिया के सामने आ गया है। भारत ने उस घटना का कूटनीतिज्ञ लाभ लेते हुए यह साबित करने का प्रयास किया है कि पाकिस्तान शांति नहीं चाहता है। भारत को युद्ध की धमकी देकर भी पाकिस्तान के आर्मी के प्रमुख ने अपनी असलियत को प्रकट किया है। लेकिन, भारत युद्ध नहीं, शांति चाहता है। पाकिस्तान की गलतियों को माफकर बार-बार भारत दोस्ती का हाथ इसीलिए बढ़ता है, क्योंकि शांति में सबका कल्याण है, युद्ध से किसी का भला नहीं होगा। पाकिस्तान बड़बोला न बने। थोथा चना किसी काम का नहीं होता है। पाकिस्तान को चाहिए कि वह अतीत से सबक ले और भारत विरोधी मानसिकता छोड़कर शांति की राह पर आगे बढ़े।
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